आयाम के भवर

रवि बहुत ही ज्यादा खुस था आज उसके पापा ने नए घर मे शिफ्ट होने का फैसला जो कर लिया था।वो भी अपने खुद के घर मे।बरसो से थोड़े थोड़े पैसे जुटा कर उसके पापा ने नया घर खरीदा था।रवि आज पहली बार उस घर को देखने जा रहा था।ये घर शहर के मुख्य बाजार के पास ही था।
रवि जब वहां पहुँचा तबतक शाम होने को आ गई।रवि के खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उसने पिले रंग में रंगा दो कमरे का घर देखा।एक हॉल मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही था उसके आगे दो कमरे थे और एक चौड़ा गलियारा पीछे को निकलता था।
रवि घर देखते देखते उस गलियारे से बाहर को निकल गया वह उसने देखा हर घर के पीछे वैसा ही निकास है और हर निकाश से लगा हुआ एक चौड़ा से चबूतरे नुमा जगह जो शायद मंदिर की जगह हो।
रवि चलता हुआ थोड़ा आगे निकल जाता है और इधर उधर की एक दो गालियां देखने लगता है।
अंधेरा हो चला था घरों की बत्तियां जल चुकी थी।रवि को घर वापस आने का भान हुआ वो लौट कर आने लगा उसे ऐसा महसूस हुआ कि वो किसी नई जगह पर है जिस घर के निकास से वो बाहर आया था उस घर का कोई नामोनिशान मिट चुका था जबकी वो घर से मुश्किल से 100 मीटर ही आगे गया था।
उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि वो क्या करे।
उसे सड़क पर कुछ लोग दिखे कुछ बच्चे भी वहीं कुछ दूरी पर खेल रहे थे रवि ने सबसे पूछा नए घर के बारे में पर कोई कुछ बता नही पा रहा था।जहा पर उसका नया घर था उधर अब पुराने सीलन भरे टूटे फूटे खंडर नज़र आ रहे थे।
रवि का एकबार तो मन हुआ उसी घर मे जाकर देखे शायद कुछ पता चले पर उस घर के आसपास भिखारियों का जमावड़ा लगा था और काफी गंदगी भी थी इसलिए उसकी हिम्मत ही नहीं हुई उधर जाने की।
वो अपने घर के बारे मे पूछताछ करते करते आगे मुख्य सड़क पर आ गया था।वहाँ का जादुई नज़ारा देख कर उसे थोड़ी राहत मिली।सामने बड़ी बड़ी बिल्डिंग उनमे जगमगाते लाइट्स और सड़क पर चलती गाड़िया और लोग ,इनको देखकर उसे थोड़ी राहत महसूस हुई।

उसे वहाँ कुछ हमउम्र लड़के दिखे जो किसी बात को लेकर आपस मे मारपीट कर रहे थे तीन लड़के मिलकर किसे एक लड़के को पिट रहे थे जब ये कार्यक्रम समाप्त हुआ तो वो तीनो अपने रास्ते निकल गए।

रवि ने उस पिट चुके लड़के को सहारा देकर उठाया।उसने नजरे उठाकर एक बार रवि को घूरा फिर मुस्कुरा दिया।
रवि ने उससे अपने घर के बारे मे पूछा तो उस लड़के ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर करी और कहा मेरा नाम भविस है मैं यहाँ 20 सालो से राह रहा हु पर मुझे नही लगता ऐसी कोई जगह यहाँ आसपास है।तुम कौन हो कहा से आये हो।
रवि ने उसे अपना नाम बताया और उसके साथ ही चलने लगा।
भविस कोई टपोरी टाइप का बदमास था हमेसा पुलिश वालो से उसका पाला पड़ता रहता था कुछ दूर चलने के बाद ही एक मोटरसाइकिल पर गस्त करते पुलिस वाले कि नज़र इसने पड़ी वो इनके पास आकर कुछ पूछताछ करने लगा।
उसे दोनो की बातों से कुछ शक हुआ तो उसने पुलिस वैन मंगवाई ऐसे इनको थाने ले जाने लगा।
रवि का पाला पहली बार पुलिस से पड़ा था व्व घबरा रहा था पर भविस शांत था।गाड़ी में एक पुलिस वाले ने रवि से उसका पता पूछा रवि ने उसे अपना पता बात दिया ये सुनकर पुलिस वाला हँसने लगा और बोला ऐसी तो कोई जगह इस धरती पर है ही नही उसने नक्सा निकाला और रवि से पूछा इसमे बताओ कहा है तुम्हारा घर रवि ने एक जगह उंगली रख दी पुलिस वाले ने कहा मज़ाक करते हो यहाँ पर indusrial एरिया है कोई घर नही है यहाँ यह सुनकर रवि का दिमाग काम करना बंद कर दिया रवि ने नक्से को गौर से देखा उसकी समझ मे नही आ रहा था कि नक्सा तो ठीक है पर हर जगह का नाम अलग लिखा हुआ है।उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था तभी उसकी नजर गाड़ी में रखे न्यूज़ पेपर पर गयी न्यूज़ पेपर पर छपी तारीख़ देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी क्योंकि तारीख उसके वक़्त से 500 साल बाद कि थी उसकी समझ मे ये तो आ गया कि को किसी और आयाम में फस चुका है पता नही यह उसके साथ क्या होगा।उसको चक्कर आने लगा तो पुलिस वाले ने गाड़ी रुकवाई और रवि वहा उतरकार खड़ा हो गया और सुखी उल्टी करने लगा।इतने में रवि की नींद टूटी गयी और उसे पता चलता है कि वह सपना देख रहा था।
रवि सुबह सोकर उठने के बाद सपने के बारे में ही सोच रहा था उसका सिर भारी हो गया था लेकिन उसे कॉलेज भी जाना था वो उठा और जल्दी जल्दी तैयार होकर कॉलेज जाने की तैयारी शुरू कर दी।आज कॉलेज में उसका टेस्ट था वो टेस्ट छोड़ नही सकता था वो भागते हुए कालेज पहुचा।
वहाँ पहुचकर उसने अपने टेस्ट को निबटाया और बाकी क्लास खत्म करी फिर दोस्तों के साथ मस्ती की और घर वापस आ गया।घर पर माँ ने उसके लिए मनपसंद खाना बनाया था वो उसको खाकर सो गया।शाम को उठकर वो खेलने चला गया।
रात में घर आकर रवि ने थोड़ी पढ़ाई करि और खा पीकर अपने बेडरूम में सोने चला गया।अगले दिन उसे अपने मामा के यहाँ जाना था वो वहाँ जाने की तैयारी करने लगता हैं।
जल्दी जल्दी व्व तैयार हो गया और निकल पड़ा रेलवे स्टेशन की ओर।स्टेशन काउंटर पर जाकर उसने टिकट खरीदी और प्लेटफार्म पर ट्रेन का इंतजार करने लगा।ट्रेन के आते ही वो अपनी सीट पर जाकर बैठ गया।
ट्रेन चलती जा रही थी और वो बाहर के नजारे देखने मे व्यस्त हो गया।

अब ट्रैन पहाड़ी इलाकों से गुजर रही थी और बीच बीच में पहाड़ों के बीच में बने सुरंग आ जा रहे थे।ऐसी ही एक सुरंग से गुजरते हुए रवि का सिर चकराने लगा और ट्रेन के सुरंग से बाहर आते ही रवि ने देखा ट्रेन बिल्कुल धीमी गति से चल रही हैं और ट्रेन के अंदर धुंद से छाया हुआ है।रवि को मितली भी आ रही थी उसे सबकुछ अजीब सा लग रहा था तो वो अगले स्टेशन पर ट्रेन से उतर गया।
यह भी मुसीबतों ने उसका पीछा नही छोड़ा।उसने देखा वो एक छोड़ा से स्टेशन है काफी साफ सुथरा चारो तरफ फूलों की क्यारियां लगी हुई है।उसमें तरह तरह के फूल लगे हुए है।सभी फूलो का रंग हरा था और सभी फूलों की पत्तियों का रंग अलग अलग था कुछ लाल कुछ पिले कुछ नीले रंग के थे।पर कोई भी पता उसे हरे रंग का नही दिखाई दिया।पर व्व दृश्य मनोरम था।अब रवि का ध्यान उस स्टेशन के नाम पर गया व्व जानना चाहता था कि वो कहा पर है।स्टेशन का नाम के के सी था।उसे ये नाम बड़ा अजीब सा लगा।उसे स्टेशन पर कोई इंसान दिखाई नहीं दिया तो वो स्टेशन से बाहर निकल जाता है।
बाहर भी उसे सुनसान सी सड़क और गालियां दिखाई देती रही।धुंध छाया हुआ था उसे लगा खराब मौसम। के वजह से लोग बाहर नही निकले होंगे।
स्टेशन के अंदर उसे कुछ हलचल सुनाई दी अंदर आने पर उसे स्टेशन मास्टर नज़र आये रवि ने उनसे अगली ट्रेन का समय पूछा स्टेशन मास्टर ने बताया कि अगली ट्रैन 8 घंटे बाद ही आएगी ।रवि ने सोचा टिकट लेकर थोडी देर आराम करता हूं फिर जो ट्रेन आएगी उससे निकल जाएंगे।एक टिकट देहरादून का देना प्लीज रवि ने स्टेशन मास्टर से कहा।स्टेशन मास्टर उसे ऐसे देखने लगा जैसे कोई आठवा अजूबा देख रहा हो।स्टेशन मास्टर ने कहा ये ट्रेन वहा नही जाएगी।रवि ने सोचा जहा भी ये ट्रेन जाएगी वही निकल जाता हूं आगे कोई और स्टेशन पे ट्रेन बदल लूंगा।जहाँ भी ये ट्रैन जाएगी वहीं का टिकट दे दीजिए।रवि ने कहा।
अच्छा ये लो टिकट एलिस का।रवि ने सोचा एलिस कोई नजदीकी हिलस्टेशन होगा उसने पूछा कितने पैसे हो गए इसके।स्टेशन मास्टर ने कहा 1 डेककेँ!
एक डेककेँ ?क्या रवि ने सोचा 100 रुपया हुआ है शायद उसने 100 रुपये का नोट स्टेशन मास्टर को थमा दिया।स्टेशन मास्टर कभी रुपये को कभी रवि को घूरता रहा पर न जाने क्या सोचकर उसने रुपये अपने जेब मे रख लिए और टिकट रवि तो दे दिया।
रवि वही प्लेटफार्म पर एक बेंच पर चादर ओढ़कर लेट गया उसे धिरे धीरे नींद आ गई।कुछ देर सोये रहने के बाद उसकी नींद जब खुली तो वो अपने आप को काफी ताजगी भरा महसूस कर रहा था।उसने देखा प्लेटफार्म पर लोगों की आवाजाही बढ़ गयी थी शायद ट्रेन आने का समय हो गया था।करीब एकाध घंटे के बाद एक ट्रेन आयी रवि उसमें चढ़ गया।ट्रैन किसी टॉय ट्रेन जैसी थी रवि को लगा ये वैसी ही ट्रेन होगी जैसी पहाड़ों पर होती है।थोड़ी देर में ट्रेन अपने गंतव्य स्थान को चल पड़ी।बाहर के नजारे देख कर रवि को बहुत ही आनंद आ रहा था।
कई स्टेशनों को पार करते हुए ट्रेन चली जा रही थी।रवि को एक भी स्टेशन अपनी पहचान का नहीं दिखा उसने सहयात्री से कुछ जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की मगर कोई भी कुछ बता नही पाया।जिन जगहों की रवि बात करता उन जगहों से सब अनजान थे।अंततः ट्रेन अपने अंतिम पड़ाव एलिस पहुँच कर खड़ी हो गयी यह बस कुछ ही सवारी बचे थे।वो सब ट्रेन से उतरने लगे साथ मे रवि भी ट्रेन से उतर गया।
रवि स्टेशन पर उतर तो गया पर अब उसके समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे।उसने सोचा किसी दजसरे ट्रैन से आगे का सफर तय करेगा।तभी वह कुछ गार्ड नुमा वयक्ति आये और रवि को वह से जाने के लिए कहा रवि ने कहा मुझे देहरादून जाना है उन्होंने कहा आज तो यह से कोई ट्रैन नही है पर तुम जल्दी से जरत पहुँचो वह से शायद आखरी जहाज मिल जाये तुम्हे।रवि ने सोचा चलो ये काम बन जाये वो रास्तो से तो अनजान था उसने पूछा मैं वह कैसे जाऊ।तुम उन सवारियों के साथ लग जाओ वो वोग वही जा रहे है।
रवि उन सवारियों को साथ हो लिया चलते चलते करीब एक घंटे बाद वो एक मेले जैसी जगह पर पहुँच गया।
मेले में पहुचकर उसने देखा वहा बहुत सारे हाथी खड़े हैं और लोग उनपे सवार होकर कही जा रहे है।और उसी को वो लोग जहाज कह रहे थे।रवि भी एक हाथी के पास गया और अपने बैग में से निकाल कर खाने का सामान महावत को दिया और हाथी पर सवार हो गया जब चार छह हाथी चलने को तैयार हो गए तो वो एक झुंड बना कर चलने लगे।रवि को तो वैसे भी कुछ समझ नही आ रहा था वो चुपचाप अगल बगल के नजारे देखते हुए आगे बढ़ने लगा।
रास्ते मे अंधेरा हो गया था अँधरे में इनका काफिला बढ़ता ही जा रहा था तभी कुछ शोर मचा।रवि ने देखा जंगल से जंगली हाथियों का झुंड उनकी ओर बढ़ता ही जा रहा है और उनके साथ कुछ जंगली आदमी भी है।ये जंगली लुटेरे है महावत ने रवि को बताया और कहा हाथी से उतरकर कही आस पास छुप जाओ नही तो ये तुम्हे पकड़कर ले जाएंगे और अपना गुलाम बना लेंगे।महावत हाथी से उतारकर भाग गया।रवि भी हाथी से उतारकर इधर उधर कोई छुपने का स्थान ढूंढने लगा।उसकी नजर एक गड्ढे पर पड़ी व्व उसमे जाकर छुप गया।
जंगली लुटेरों ने हाथियों को अपने कब्जे में कर लिया और इधर उधर इंसानो को ढूंढने लगे एक दो इंसानो को उन्होंने पकड़ भी लिया रवि जिस गढ़े में छुपा था वहाँ रवि ने अपने ऊपर कुछ सरकती सी चीज महसूस कियाउसने देखा वो एक बड़ा काला नाग था डर के मारे उसके मुंह से चीख निकल गई।
उसकी चीख सुनकर जो लुटेरे पास में थे उन्हें लगा कि कोई आसपास छिपा हुआ है उन्होंने ढूंढने की कोशिश की मगर रवि की किस्मत अच्छी थी उनकी नज़र उसपे नहीं पड़ी
वो लोग बाकी कैद किये लोगों और उनके समान के साथ चले गए।रवि अकेला रह गया थोड़ी देर बाद रवि गढ़े से बाहर निकला और अकेले ही रास्ते पर चलने लगा।चलते चलते व्व किसी रिहायशी इलाके में पहुँच गया वहाँ उसने एक खंडहर नुमा मकान देखा।जिससे कुछ रोशनी आ रही थी रवि को आशा की किरण दिखाई दिया वो उस खंडहर नुमा मकान के पास गया औऱ दरवाजे पर दस्तक दी।
दरवाजा एक बुजुर्ग महिला ने खोला और रवि को देखकर पूछा क्या हुआ इतने रात के अंधेरे में कहाँ भटक रहे हो।
रवि ने कहा कि वह एक मुसाफिर है और डाकुओं से बचकर यहाँ किसी तरह पहुंचा है।बूढ़ी औरत ने उसे घर के अंदर आने दिया और उसके खाने पीने का इंतजाम किया।खाना खाने के बाद रवि को जोरो की नींद आ रही थी वो वहीं पसरकर सो गया।
सुबह उठकर रवि ने आसपास नजर दौड़ाई उसे न रात वाली बूढ़ी औरत दिखाई दी नाही वो खण्डर मकान।रवि की समझ मे कुछ नहीं आ रहा था कि वह कहा है व्व बूढ़ी औरत कौन थी।वो घर कहा गया।वो हैरान परेशान सा इधर उधर देख रहा था तभी उसे सामने रास्ते पर कुछ मुसाफिर दिखाई दिये।रवि उनके पास गया और उनसे पूछा ये कौन सी जगह है रात में यहां एक खंडहर था वो कहा गया।मुसाफिरों ने जो बताया उसे सुनकर रवि कि आंखे हैरत से फैल गयी।वो औरत एक समय मे वहाँ की रानी थीं और उसी महल में रहतीं थी।एक दिन जब डाकुओं ने उसके महल पे हमला कर सबको मार दिया तब पता नहीं कैसे वो रानी और महल दोनो ही लुप्त हो गये।कभी कभी किसी को वो महल और रानी दिखाई देती हैं।मुसाफिरों ने रवि को बताया।
रवि ने उन मुसाफिरों को अपनी कहानी बताई ये सुनकर मुसाफिर चौक पड़े।उन्हें कुछ समझ नहीं आया उन्होंने सोचा ये डाकुओं के डर से सदमे में चला गया है।उन्होंने रवि को अपने साथ ले लिया और सोचा उनके साथ रहने से थोड़े दिन में यह ठीक हो जाएगा।
रवि उनके साथ चल पड़ा काफी दूर चलने के बाद वे लोग एक पहाड़ी इलाके के एक गांव में पहुंचे जहां पर कुछ झोपड़ी बने हुये थे।रवि को उस गांव में कुछ बाते अजीब सी लगी।उसने देखा गांव में हर घर मे अजीब से पालतू जानवर है जो डाइनासोर की तरह के है कोई उनसे सवारी करते है तो कोइ गाय और भैंस की तरह दूध निकाल रहे हैं।कुछ लोग उन्हें काटकर उनका मांस बेच रहे है।रवि को लगा वो सपना देख रहा है पर ये हकीकत थीं।रवि उसी गांव में मुखिया के घर मे मेहमान बनकर रहने लगा।
रवि को हमेशा अपने घर की याद आती थी पर वो कुछ कर नही पा रहा था क्या करे कहाँ जाए।उसी गांव में एक मंदिर था रवि अक्सर वहाँ जाता था।उस मंदिर का पुजारी रवि को बड़े गौर से देखता।धीरे धीरे रवि की उस पुजारी से जान पहचान हो गयी।रवि ने एकदिन उस पुजारी को अपनी सारी आपबीती सुनाई वो सुनकर पुजारी चौक गया और मंद मंद मुस्कुराते हुए कहा कि तुम ही तो हो जो इस युग की मुसीबत दूर करने आये हो अब मनुष्य का भविष्य तुमपर टीका है कि तुम उसे अच्छा करते हो या खराब।भविष्यवाणी के अनुसार तुम्हे तो आना ही था इतनी जल्दी तुम आ जाओगे इसकी उम्मीद मुझे नहीं थी।रवि ने पूछा कैसी भविष्यवाणी 
पुजारी ने कहा वक़्त आने पर सब समझ जाओगे अभी जाओ तुम यहाँ से मुझे कुछ खास तैयारी करनी है।
रवि वहा से वापस मुखिया जी के घर आ गया और खा पीकर सो गया।सुबह जब उसकी आंख खुली तो देखा सारे गांव वाले उसके चारों ओर बैठे है और आपस मे उसके बारे में ही बात कर रहे है।
जब पुजारी जी वहां पहुंचे सबकी खुशर पुशर बढ़ गयी।पुजारी जी ने सबको शांत रहने का इशारा किया।फिर एक चाभी नुमा यंत्र  औऱ एक नक्शा रवि को देकर कहा जाओ आज से तुम्हारा सफ़र सुरू होता है और तुम्हें अपने जीवन के मकसद को पूरा करना होगा।रवि ने पूछा कैसा मकसद मुझे तो कुछ भी नहीं पता।पुजारी जी ने फिर विस्तार से बताना सुरु किया।
सदियों पहले की बात है जब मनुष्य अपनी चरम उन्नति की ओर बढ़ रहा था और उसके दिमाग में प्रकृति से जीत कर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का भूत सवार हो गया था उसने तरह तरह के प्रयोग किया और कई इंसानो की बली इस प्रयोग पर चढ़ा दिया।एक पागल साइंटिस्ट ने लोगो को बहला फुसलाकर ये अफवाह फैला दी कि उसने इंसानो को अमर करने का तरीका ढूंढ लिया है।उसने एक बहुत बड़े प्रयोग करने का स्वांग रचा और लाखों लोगों को अपने प्रयोग के लिए तैयार कर लिया।जिसमे सारे बड़े लोग जिनके पास पैसे थे और कुछ पढ़े लिखे थे उस प्रयोग में शामिल हो गए।केवल कुछ गरीब आदिवासियों और कुछ छोटे जानवरों को छोड़कर सारे लोग उसके प्रयोग में शामिल हो गए थे।
उस साइंटिस्ट ने उनसे जमा किए हुए धन से एक बहुत बड़े प्रयोगशाला की स्थापना किया उसको तत्कालीन सरकार की भी समर्थन प्राप्त थी।उसने दुनिया के सारे साइंटिस्ट को अपने साथ काम करने को राजी कर लिया था।
उसके शोध में प्रमुखता से एक थ्योरी थी समय चक्र को भेदना।इसके नुकसान को जाने बिना उसने अपना प्रयोग जारी रखा।
लाखो लोग जो इस प्रयोग में शामिल थे धीरे धीरे गायब हो गए और उनका कभी पता नहीं चला।उस पागल ने लोगो को बताया कि वे किसी दूसरे आयाम में चले गए है और वहाँ बहुत खुश है।वहाँ समय और मृत्यु जैसी कोई चीज नहीं है लोगो ने उनकी बहुत खोज की मगर उनके कोइ सुराग नहीं मिला।लोगों ने उस पागल साइंटिस्ट की बात मान ली और खुद भी उस प्रयोग में शामिल हो गए।
कुछ दिनों ये प्रयोग चलता रहा और इस दुनिया से प्रयोग में शामिल सारे लोग गायब हो गए और केवल बच गए हमारे जैसे लोग।
अब कभी कभी यह समय लहर आती है और उसके बाद कुछ शैतान नुमा इंसान आते है वो हम लोगो का शिकार करते है और 72 घंटे बाद पता नहीं कहा चले जाते है किसी को भी नहीं पता।
एक बार उसी समय लहर में एक संत नुमा इंसान आया उसने हमें ये चाबी और नक्सा दिया और कहा एक मानव आएगा भूतकाल से और वही इनसब से मुक्ति दिलवाएगा।और उन करोड़ों आत्मायें जो दूसरे आयाम में तडप रही हैं उनको भी तभी शांति मिलेगी।अब तुम आ गए हो तो हमे तुमसे बहुत ही उम्मीद है तुम ही हमारे मुक्ति दाता हो।
रवि को कुछ समझ नही आया उसने सबका मन रखने के लिए व्व समान ले लिया और सबसे वादा किया कि उससे जो भी हो सके वो करेगा।
रवि रात में सोते समय यही सब सोच रहा था ये सब क्या हो रहा है उसके साथ ।कहा वो अपने घर मे कॉलेज जाने वाला एक सामान्य सा लड़का था अब कहाँ इस नई दुनिया में लोग उससे क्या क्या उम्मीद लगाए बैठे है।उसे कुछ समझ नहीं आया तो थक हारकर वो सो गया।
अगली सुबह जब वो उठा तो उसे गांव में कोई इंसान दिखाई नहीं दिया उसे सिर में कुछ दर्द से अहसास हुआ।उसकी समझ में कुछ नही आया उसने अपने आप को किसी अंधड़ में घिरा पाया।जब अंधड़ कुछ कमजोर पड़ता तो उसे गांव वाले और कुछ अजीब से शैतान नुमा इंसान दिखते जो गांव वाले का पीछा कर रहे होते।थोड़ी देर के बाद अंधड़ काम होने लगा एक शैतान रवि के पीछे पड़ गया रवि उससे बचने के लिए भागने लगा भागते भागते रवि एक गोलाकार यान नुमा आकृति के पास पहुँच गया।उसने देखा इसके पीछे का एक दरवाजा खुला हुआ है रवि उस यान में चला गया अंदर जाकर वो एक कमरे में घुस गया जहाँ काफी सारे बटन और लाइट थी।रवि को लगा ये कोई अंतरिक्ष यान है व्व वहीं इधर उधर कहीं छिपने की जगह ढूंढने लगा।रवि को कुछ कदमो की आहट सुनाई दी जो उधर ही बढ़ती चली आ रही थी।रवि वही एक टेबल के नीचे छिप गया।कमरे में एक इंसान का आगमन हुआ जिसे देखकर रवि की आंखे फैल गई।उसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था।वो इंसान कोई और नहीं रवि ही था।
क्रमशः

Ravi KUMAR

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