जालूत और तालूत की लड़ाई

जब बनी इस्राईल के अख्लाक बिगड गए और आदतें खराब हो गई, तो अल्लाह तआला ने उन पर जालूत नाम का एक जालिम बादशाह मुसल्लत कर दिया। जालूत ने उन पर बडा जुल्म किया और उन्हे अपना गुलाम बना लिया | उस वक्त हजरत शमवील बनी इस्राईल के नबी थे, वह बहुत बुढे हो चुके थे, बनी इस्राईल ने उन से दरख्वास्त की कि हमारे लिये कोई बदशाह मुकर्रर कर दीजीये । हजरत शमवील ने अल्लाह के हुक्म से हजरत तालूत को उन का बदशाह मुकर्रर किया, बाज लोगों ने एतराज किया, तो हजरत शमवील ने फर्माया : यह अल्लाह तआला के हुक्म से है और उस की निशानी यह है कि तुम्हारा सन्दूक जिस में नबियों की मीरास थी और जिस को कौमे अमालोका ले कर चली गई थी, फरिश्ते वह सन्दूक ला कर देंगे, चुनान्चे ऐसा हि हुआ, फरिश्तों ने वह सन्दूक हजरत तालूत को पहुँचा दिया, और हजरत तालूत बादशाह बना दिये गए। तारीख में उन को बनी इस्राईल का सब से पहला बादशाह तस्लीम किया गया है ।

जब तालूत अपनी फौज बनाकर जालिम बादशाह जालूत पर हमला करने चला तो पैग़म्बर ने उसे बतलाया-“रास्ते में एक नहर पड़ेगी। वहाँ अल्लाह तुम्हारी जाँच करेगा। जो सिपाही अघाकर -गरमी से परेशान होकर उस नहर का पानी पी लेगा, समझ लेना कि वह हमारा नहीं है और जो गरमी को बर्दाश्त कर पानी नहीं पीएगा, समझ लेना कि वह हमारा है।” जब नहर आई तो गिने-चुने कुछ लोगों को छोड़कर सभी ने अघाकर नहर में से पानी पी लिया। जब तालूत और जो ईमानवाले उसके साथ थे वे नहर के पार हो गए तो जिन लोगों ने तालूत का हुक्म न मानकर पानी पी लिया था, वे कहने लगे-“जालूत और उसकी फौज का मुकाबला करने की ताकत आज तो हममें नहीं है।” इस पर ईमान लाने वाले लोग बोल उठे-“अल्लाह की मेहर से अक्सर थोड़ी फौज ने बड़ी फौजों को जीता है! अल्लाह सन्तोष वालों का साथी होता है!” ऐसा कहकर वे खुदा से दुआ करते हुए मैदान मे उतर पड़े।

जालूत से उन का मुकाबला हुआ । हजरत तालूत की फौज में हजरत दाऊद भी शरीक थे, हजरत दाऊद ने जालिम बादशाह जालूत को कत्ल कर दिया और बनी इस्राईल को उस के जुल्म व सितम से नजात मिल गई । इस अजीम काम की वजह से हजरत दाऊद को बादशाह बना दिया गया।

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