फरिश्ते और आदम

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आदम की उत्पत्ति के प्रस्ताव को फरिश्तों ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि हम हरेक काम को उससे अच्छा कर सकते हैं, फिर उसके उत्पन्न करने की क्या आवश्यकता है? उस दिन से ही अल्लाह मियाँ ने फरिश्तों को सबक सिखलाने की मन में ठान ली थी; लेकिन वह सुअवसर की प्रतीक्षा में थे। हज़रत आदम बनाए जा चुके तो अल्लाह ने फरिश्तों को सबक सिखलाने के लिए एक उपाय ढूँढ निकाला। – दुनिया में जितनी भी चीजें हैं, अल्लाह ने उन सबके नाम हज़रत आदम को फरिश्तों की चोरी-चोरी रटा दिए। फिर वे सब चीजें उन्होंने फरिश्तों के सामने रखकर कहा”तुमने जो कहा था कि हम हरेक काम आदम से अच्छा कर सकते हैं, तो जरा इन सब चीजों के नाम तो बतलाओ।”

अल्लाह की बात सुनते ही फरिश्तों के पैर के नीचे से धरती खिसकने लगी। उन बेचारों ने तो ये चीजें कभी सपने में भी न देखी थीं। वे कानों पर हाथ रखकर बोले”हे परवरदिगार! इन चीजों के नाम हम कैसे बतला सकते हैं? हम तो उतना ही जानते हैं, जितना कि तूने हमें सिखलाया है। हाँ, तू सब चीजों का जानने वाला है!”

यह सुनकर अल्लाह मियाँ ने आदम से कहा-“तुम इन चीजों के नाम बतलाओ!”

इतना कहना था कि हज़रत आदम ने झटपट-दवात, कलम, कागज, किताब, लोटा, थाली, तवा, तगारी, चूल्हा, चक्की, सिल, बट्टा, नमक, मिर्च, सौंफ, धनिया, कुत्ता, बिल्ली, घोड़ा, गधा-सबके नाम सुना दिए। बस, फिर क्या था, अब तो अल्लाह मियाँ की चढ़ बनी। उन्होंने कहा-“मैंने पहले ही न कहा था कि आदम को पैदा करने का रहस्य तुम नहीं समझ सकते? तुम कहते थे कि हम हरेक काम आदम से अच्छा कर सकते हैं, कहाँ किया तुमने? कोई काम करना तो दूर रहा, तुम तो चीज़ों के नाम भी नहीं बतला सके! और तुमने पीछे पैदा हुए आदम ने बतला दिए। कहो, अब तो आदम तुमसे श्रेष्ठ है न?”

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