साल 1950 का यह एक चौंकाने वाला किस्सा रानी बाजार का है। यहां रामप्रकाश रहता था, जिसकी बेटी को पांच साल की उम्र में कैंसर हो गया। कई डॉक्टरों को दिखाने और इलाज कराने पर भी उसमें किसी तरह का सुधार नजर नहीं आया। होते-होते एक रात कैंसर ने उसकी जान ले ली।
उस बच्ची की जान रात को करीब एक बजे गई थी। उसी रात को पास के ही एक गांव की महिला मोहिनी को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। मोहिनी के परिवार वालों ने पूरी विधि के साथ उसे अंतिम विदाई दी। अब बच्ची के परिवार वाले भी उसे दफनाने के लिए जंगल की तरफ निकले।
जंगल जाते समय अचानक से उस लड़की के शरीर में हलचल हुई। सभी हैरान हो गए कि मृत लड़की का शरीर कैसे हिल रहा है। थोड़ी ही देर में लड़की जिंदा हो गई और उसके परिवार वाले खुशी-खुशी उसे अपने साथ घर ले आए। किसी को इस बात की भनक नहीं थी कि उस लड़की के अंदर उसी रात ट्रक से टकराने वाली मोहिनी की आत्मा घुस गई थी।
बच्ची जब से मौत से लौटकर आई थी, तब से ही उदास और चुपचाप एक कोने में बैठी रहती थी। एक दिन उसकी मां ने उसे खुद अपने हाथों से खाना खिलाया और मामा के घर लेकर जाने की बात कही। खाना खिलाकर उसे अच्छे से तैयार करके वो उसे अपने मायके ले गई। रास्ते में वो बच्ची जैसे ही उस ट्रक के हादसे वाली जगह पहुंची, तो उसने अपनी मां को कहा कि मेरा गांव इधर है।
मां ने उसकी बातों पर बिल्कुल गौर नहीं किया और उस बात को हंसी में टाल दिया। कुछ ही देर में वो अपनी बेटी के मामा यानी अपने भाई के घर पहुंच गई। एक-दो दिन बाद मामा जी के घर के आसपास ही बच्ची के अंदर घुसी मोहिनी को अपनी पड़ोसन सिमरन दिखी। उसने जोर से उसे नाम से पुकारा।
सिमरन ने पलटकर देखा, तो एक छोटी बच्ची थी। उसे बड़ी हैरानी हुई कि इस लड़की को मेरा नाम कैसे पता है। तभी मोहिनी ने अपने साथ बीती सारी बातें उसे बता दी। उसने कहा कि मेरे परिवार वालों ने मेरी मौत से ही पहले मुझे जला दिया था, इसलिए मेरी आत्म भटक रही है। उसी दिन इस लड़की की भी मौत हो गई थी, तो मैं इसके शरीर में घुस गई।
सिमरन ने ये बात अपने गांव जाकर सबको बता दी। पूरे गांव वाले और उसके रिश्तेदार मोहिनी से मिलने के लिए उसी बच्ची के मामा के घर के पास पहुंच गए। उस लड़की के अंदर रह रही मोहिनी की आत्मा ने सबको एक-एक करके पहचान लिया। कुछ देर बातें करने के बाद वो अपने परिवार वालों के साथ अपने घर चली गई।
अब उस लड़की की मां बच्ची को घर में न देखकर परेशान थी। जब उसे पता चला कि वो कुछ लोगों के साथ दूसरे गांव गई है, तो वो उसे बुलाने के लिए चली गई। अपने परिवार के साथ खुश मोहिनी ने वापस आने से मना कर दिया। पास के ही लोगों ने उसे समझाया कि तुम्हें दोनों परिवार के साथ रहना चाहिए। इससे सभी को खुशी मिलेगी। तुम किसी एक परिवार को दुखी नहीं कर सकती हो।
इस बात को सुनने के बाद लड़की के शरीर में रह रही मोहिनी अपनी मां के साथ वापस आने के लिए राजी हो गई। अब वो दोनों परिवारों के साथ खुशी-खुशी रहने लगी।
कहानी से सीख : जल्दबाजी में किया गया है कार्य अधूरा रह जाता है, इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले उसे अच्छे से देख-परख लेना चाहिए।
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