कई लोक कथाओं में आपने पढ़ा होगा कि सियार बड़े चालाक होते हैं। यह कहानी ऐसे ही एक चतुर सियार के बारे में है। एक बार की बात है, एक सियार भोजन की तलाश में भटक रहा था। बहुत देर घूमने के बाद सियार को एक मरा हुआ हाथी मिला। लेकिन एक समस्या थी। हाथी की बड़ी मोटी चमड़ी होती है। हाथी की चमड़ी को बेधना सियार के वश में नहीं था। सामने भोजन को देखकर सियार की भूख और तेज हो रही थी। वह हाथी के मॉस का मजा लेने का उपाय सोचने लगा।
तभी उधर से एक शेर गुजरा। सियार के दिमाग में बिजली कौंधी। उसने अदब से अपना सिर झुकाया और बोला, “हे जंगल के राजा, मैं आपका ही इन्तजार कर रहा था। मैंने आपके लिए ही इस हाथी को मारा है। इस भोज में आप सादर आमंत्रित हैं।”
लेकिन शेर सही मायने में राजा था। वह दूसरे जानवरो द्वारा मारे गए शिकार को हाथ भी नहीं लगाता था। यह उसकी शान के खिलाफ था। उसने सियार को मना कर दिया और वहाँ से चला गया।
उसके बाद वहाँ पर एक बाघ आया। सियार को पता था की बाघ के मिजाज शेरों की तरह राजसी नहीं होते हैं। उसने बाघ से कहा, “शेर ने इस हाथी का शिकार किया है। वह नहाने गया है और मुझसे इसकी रखवाली करने को कहा है। अच्छा होगा कि शेर के आने से पहले तुम यहाँ से निकल लो।” शेर का नाम सुनते ही बाघ सर पर पाँव रखकर भाग गया।
उसके बाद वहाँ पर एक चीता आया। सियार को पता था कि चीते के तेज नाखून और दांत आसानी से हाथी की चमड़ी को चीर सकते हैं। उसने चीते से कहा, “इस हाथी को शेर ने मारा है। वह नहाने गया है और मुझसे इसकी रखवाली करने को कहा है। तुम चाहो तो तबतक इसमें से थोड़ा मांस खा सकते हो। जैसे ही शेर आने लगेगा मैं तुम्हें आगाह कर दूंगा।” चीते की तो जैसे लॉटरी लग गई। वह झट से मरे हुए हाथी पर टूट पड़ा। जैसे ही चीते ने हाथी की चमड़ी को चीर दिया, सियार चिल्लाने लगा, “भागो, भागो शेर आ रहा है”। ऐसा सुनते ही चीता डर कर भाग गया। इस तरह से अपना तेज दिमाग चलाकर सियार ने छककर खाना खाया।
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