शेर और बन्दर

मिट्ठू

मिट्ठू

एकबार एक जंगल में कुछ बन्दर जमीन के कब्जे को लेकर दूसरे जानबेरो से लड़ाई लग जाते है। उन बंदरो का यह मानना था की उस जगह पर सिर्फ और सिर्फ बन्दर ही राज करेंगे। एकदिन अचानक एक शेर उस जगह रहने आ गया और उसने आकर पहाड़ी की एक गुफा पर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन बंदरो को शेर का उस जगह आना बिलकुल भी पसंद नहीं आया शेर का उस जगह आने से उन्हें बोहोत परेशानी हो गयी लेकिन शेर उस गुफा में एक लोमड़ी के साथ बोहोत खुश था।

एकदिन सारे बन्दर शेर के पाश शिकायत करने के लिए। बंदरो ने शेर और लोमड़ी से कहा की आपके आने से हमे यहाँ रहने में बोहोत परेशानी हो रही है कृपा करके आप यहासे चले जाइये लेकिन शेर ने बंदरो की बात नहीं मानी और उन्हें धमकाकर वहासे भगा दिया। शेर का गुस्सा बंदरो को बिलकुल भी पसंद नहीं आया और वे लोग पेड़ पर चले गए।

बंदरो ने फिर यह बोलना शुरू कर दिया की कुछ भी हो जाये लेकिन शेर को हमे इस पहाड़ी पर नहीं रहने देने है हमे उस शेर को इस पहाड़ी से भगाना है और फिर बंदरो ने शेर को भगाने की कोशिश शुरू करदी लेकिन लाख कोशिश के बाबजूद भी बन्दर शेर को नहीं भगा पाए।

एकदिन शेर लोमड़ी से कहता है की शिकार करने के बाद वे पानी पिने इतनी दूर नदी में नहीं जा सकता इसलिए लोमड़ी को कल से गुफा में ही पानी लाने के लिए कहता है यह बात बंदर शुन लेते है। दूसरे दिन जब लोमड़ी शेर के लिए जब एक कठौते में पानी लाकर गुफा में रखता है तब बन्दर कठौते के पानी को एक बम्बू के नल से मुँह से पानी को खींचकर पहाड़ी के निचे गिरा देते है और जब शेर ने कठौता खाली देखा तो लोमड़ी पर खूब चिल्लाता है ।गया होगा

लोमड़ी खाली कठौते को देखकर आश्चर्य हो जाते है क्युकी उसने तो भरा हुआ पानी रखाता कठौते में उसने कहा की धुप में सुख गया होगा महाराज में कल ज़ादा पानी लाऊंगा। दूसरे दिन जब लोमड़ी फिर पानी रखता है तो बंदरो की टोली फिर से पानी को पहाड़ी के निचे गिरा देती है और फिर शेर लोमड़ी पर चिल्लाता है की आज भी कठौता खाली है तुम तो दिन के दिन कामचोर होते जा रहे हो। इसबार शेर और लोमड़ी को शक हो जाता है और सोचने लगता है की इन बन्दर की टोली ने ही कुछ किया होगा फिर।

तीसरे दिन लोमड़ी पानी लाकर गुफा के सामने रखकर शेर के साथ छुप जाता है और उसी वक़्त बन्दर की टोली आती है और पानी को बम्बू के सहारे पहाड़ी से निचे गिरा देती है यह देखकर लोमड़ी कहता है देखिये महाराज यह सब इन बन्दर की टोली का काम है आपने कुछ किया क्यों नहीं महाराज। शेर ने कहा उन्हें जो करना है वे करने दो कल से आधा पानी हम गुफा में रखेंगे और आधा उस कटौती में। यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलने के बाद एकदिन शेर बंदरो की टोली को पानी गिराते देख लेता है लेकिन बंदरो की टोली यह सोचने लगता है शेर ने उन्हें कुछ कहा क्यों नहीं।

एकदिन परेशान होकर बंदरो की टोली शेर के पाश आकर कहता है की महाराज हम बोहोत परेशान है शेर ने कहा क्यों हमने तो तुम्हे परेशान नहीं किया फिर,तो बंदरो की टोली कहती है यही तो बात है की आप हमे कुछ कहते नहीं है जबकि कुछ दिन से हम आपके पिने का पानी पहाड़ी के निचे गिरा रहे है। हम आपके साथ इतना बुरा करते है फिर भी आप हमे कुछ भी नहीं कहते। तब शेर कहता है की तुम लोग मुझे कोई परेशान नहीं करते बल्कि तुम लोगो की बजह से मुझे फ़ायदा हो रहा है तब बंदरो की टोली कहता है की हम लोगो की बजह से आपको कैसे फ़ायदा हो रहा है तब शेर कहता है तुम लोग कुछ दिन से जो पानी पहाड़ी के निचे गिरा रहे हो उससे निचे हरी हरी घास हो गयी है और उन्हें खाने के लिए सारे जानबर वहां आते है तुम लोगो की बजह से मुझे शिकार के लिए बोहोत दूर जाना नहीं पड़ता है में वही से अपना शिकार कर लेता हु।

-: इस कहानी से क्या सिख मिलती है :-
तो दोस्तों इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है की अगर कोई हमारा नुकशान करता है तो हमे उस नुकशान में अपना फ़ायदा ढूंढ लेना चाइये।

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