तिनगी का नाच

आजकल के आधुनिक भारत में जब महिलाओं को पुरुषों की बराबरी का दर्जा दिया गया है और महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं ऐसे ही माहौल में कुछ दकियानूसी विचारों के लोग महिलाओं को समानता का अधिकार न देकर भोग्या ही समझते हैं।अपनी गिद्ध दृष्टि और किसी भी महिला की मजबूरी का फायदा उठाने की ताक में बैठे रहते हैं।ऐसी ही एक सज्जन पुरुष की कहानी यहां प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

सुधा एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर थी उसका सभी काम अच्छे से चल रहा था।उसकी कंपनी में और भी लड़कियां थी सब मन लगाकर काम किया करती थी।सबकुछ अच्छा चल रहा था।सुधा के ऊपर घर की पूरी जिम्मेदारी थी पिताजी का देहांत 4 वर्ष पूर्व हो गया था पिता के देहांत के बाद घर के हालात अच्छे नहीं थे तब सुधा ने बड़ी बेटी होने के नाते 2 छोटे भाइयो और माँ की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।पूरे घर को उसकी नौकरी का ही सहारा था।

कुछ महीने बाद उनके मैनेजर का ट्रांसफर किसी दूसरे ब्रांच में हो गया और उसकी जगह एक नया मैनेजर आया।लोग नए मैनेजर का बढ़चढ़ कर स्वागत कर रहे थे।अपनी पहचान और जुगाड़ लगाने का इससे अच्छा मौका कब मिलता।सुधा और बाकी लड़कियां भी सजधज कर मैनेजर के स्वागत की तैयारी कर रही थीं सुधा अपनी नीली साड़ी में बला की खूबसूरत लग रही थी।

नया मैनेजर आया और उसने लड़कियों खास करके सुधा में बहुत ही दिलचस्पी दिखाई।सुधा को ये नॉर्मल लगा वो भी काफी खुलकर अपने मैनेजर से बाते करती चहकती रही।
कुछ समय तक तो सबकुछ ठीक चलता रहा।

एक दिन मैनेजर ने सुधा को अपनी केबिन में बुलाया और उसके काम का मीनमेख निकालने लगा।सुधा को लगा शायद उससे कुछ गलती हो गयी है।उसने वादा किया कि काम में पूरा ध्यान लगाएगी और शिकायत का मौका नहीं देगी।बात आई गई हो गयी दूसरे दिन बॉस ने उसे फिर केबिन में बुलाया और कहा सुधा जैसा कि तुम्हें पता है यहाँ मुझे इस ब्रांच को प्रोफिट में लाने के लिए भेजा गया है इसके लिए सबको मिलकर मेहनत करनी होगी इस लिए अब तुम्हारे टार्गेट को बढ़ा दिया गया है अब यह 90 करोड़ हो गया है।सुधा अवाक रह गयी 30 करोड़ से सीधा 90 ये तो असंभव है।उसने मैनेजर से कहा ये कैसे संभव है सर इतना बड़ा टारगेट तो असंभव है।
मैनेजर उसके पास सरक आया और उसके वक्षस्थल को निहारते हुये बोला तुम चाहो तो टार्गेट काम हो सकते है।
सुधा ने पूछा कैसे सर्?
बस तुम्हे कुछ सेवा मेरी करनी होगी मुझे खुश करना होगा बेबी फिर सारे टारगेट पूरे समझो।उसने अपना हाथ सुधा की गर्दन पर फेरना चाहा मगर सुधा गुस्से में तमतमाते हुये केबिन से बाहर चली गयी।सुधा के कानों में ये शब्द पिघले शीशे की तरह महसूस हो रहें थे।

अब ये आये दिन की बात हो गयी मैनेजर सुधा को रोज केबिन में बुलाकर उसके काम का मीनमेख निकलता सबके सामने उसे जोर जोर से डॉट देता उसकी बेइज्जती का कोई मौका नहीं छोड़ता।सुधा ये सब कुछ दिनों तक बर्दास्त करती रहीं पर एक दिन तो हद हो गयी बॉस ने सुधा को केबिन में बुलाया और कहा देखो सुधा मैं जानता हूं तुमपर कितनी जिम्मेदारी है अगर ऐसा ही चलता रहा तो तुम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठोगी।मेरी बात मान जाओ तुम भी इंजॉय करो अभी उम्र ही क्या है तुम्हारी।तुम मेरी बात मान जाओ नही तो नौकरी गई समझो।
सुधा केबिन से बाहर आकर वाशरूम में चली गयी और घंटो वहाँ रोती रही।शाम को घर आकर भी चुपचाप पड़ी रही।मा ने पूछने की बहुत कोशिस की मगर उसने कुछ नहीं बताया।घर की चिंता उसे खाये जा रहीं थीं नौकरी नहीं रहने के सूरत में उसका और उसके घरवालों के क्या होगा ये सोचकर उसे नींद भी नही आ रही थी।

उसकी माँ को सुधा की चिंता हो रही थी भाइयों को भी घर और दीदी के हालात बहुत अजीब लग रहे थे मगर बेचारे कुछ पूछ नहीं पा रहे थे।सुधा अपने कमरे में लेटे हुए बहुत कुछ सोच रही थीउसके मन मे आत्महत्या करने का खयाल आने लगा।उसे सबसे आसान राह यही लग रहा था।कभी खयाल घरवालों का आता तो लगता बॉस की बात मान लिया जाए कमसे कम घरवाले तो खुश रहेंगे।

छोटा भाई रवि तभी रेडियो ऑन कर देता है जिसमें ये गाना आ रहा होता है।

कोमल है कमजोर नहीं तू, 
शक्ति का नाम ही नारी है
जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है 
सतियों के नाम पे तुझे जलाया, मीरा के नाम पे जहर पिलाया, सीता जैसे अग्नि परीक्षा जग में अब तक जारी है
कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम नारी है
इल्म हुनर में …. दिल दिमाग मेंकिसी बात में कम तो नहींपुरुषो वाले … सारे ही अधिकारों की अधिकारी है, 
कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम नारी है 
जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है… बहुत हो चुका ….. अब मत ना सहना तुझे इतिहास बदलना है नारी को कोई कह ना पाए … अबला है, बेचारी है 
कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम नारी है 
जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है, 
कोमल है तू कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है 
जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है”

इस गाने को सुनते सुनते ही सुधा की थोड़ी हिम्मत बढ़ी जीने का जज्बा आ गया सुधा के अंदर।उसने अपने आप से कहा अब वो हार नहीं मानेगी किन किन से और कबतक भागेगी वो । सुधा ने कुछ निश्चय किया और सो गई।अगली सुबह सुधा बनठन कर ऑफिस के लिए निकली आज ऑफिस जाते समय उसकी चिंता थोडी कम थी आज उसने कुछ निष्कर्ष निकाल रखा था।

ऑफिस पहुँच कर थोड़ी देर के बाद वो अपने बॉस की केबिन के गयी और केबिन का द्वार अंदर से बंद कर दिया और बॉस के पास बैठकर बोली सर् आपके बारे में मैंने रातभर सोचा और मुझे आपकी बात समझ में आ गयी मैं आज आपको सरप्राइज देना चाहती हूं।बॉस खुस हो गया और बोला अच्छा किया जो मान गयी नहीं तो आजतक मैंने जिसे चाहा उसे पाकर ही रहा हु चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़ा हो।अब बताओ तुम्हारा सरप्राइज क्या है।

सुधा ने कहा ऐसे नहीं आप पहले अपनी आंखे बंद करें।बॉस रोमांटिक होकर अपनी आंखें बंद करके सुधा के बगल में बैठ गया।सुधा ने अपने पर्स से एक कपड़े का टुकड़ा निकाला और बॉस की आंखों पर पट्टी की तरह बंधने लगी।बॉस अपनी फंतासी में खोता जा रहा था वो सुधा की अगली हरकत का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था।सुधा उसकी चेहरे को सहलाते हुए उसके कपड़े उतारने लगी पहले शर्ट फिर पैंट उतार दिया।
बॉस ने कहा अब बाहों में आ भी जाओ डार्लिंग अब सब्र नहीं होता।सुधा ने कहा सब्र का फल मीठा होता है बस कुछ देर और रुको।

सुधा बॉस के कपड़े को मोड़कर कोने में ले गयी और अपने पर्स से स्पिरिट निकाल कर उसपे छिड़क दिया और लाइटर से उसमे आग लगा दी उसके बाद आराम से केबिन से बाहर आकर अपने डेस्क पर बैठ गई।

थोड़ी ही देर में मैनेजर के केबिन में आग फैल गयी और मैनेजर केवल चड्ढा पहने भागता हुआ अपनी केबिन से बाहर निकला और सीधा सड़क पर खड़ी अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया।गाड़ी स्टार्ट कर वहा से फुर्र हो गया।सारे स्टाफ उसकी हालत देखकर हस रहे थे।अब वो किसी को मुह दिखाने के काबिल नहीं रहा।उसने घर से ही मेल करके ऑफिस में त्यागपत्र दे दिया।ये सबक उसके लिए बहुत ही बड़ा सबक था।और सुधा ने उसको तिनगी का नाच नचा दिया।ऑफिस के सारे स्टाफ सुधा के बहादुरी की प्रशंसा कर रहे थे।

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