बदनसीब बूढ़े

एक गांव में एक बार एक बूढ़ा व्यक्ति रहने आया। वह दुनिया के सबसे बदनसीब और दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक था। वह जो काम करता था वही बिगड़ जाता था। वह जहां भी जाता था उसकी बदनसीबी उसके साथ जाती थी। वह हमेशा उदास रहता, हमेशा शिकायत करता रहता और हमेशा दूसरों के साथ लड़ते झगड़ते रहता था।

वह जितना अधिक बूढ़ा होता जा रहा था वह उतना ही अधिक दुर्भाग्यशाली होता जा रहा था। उसके झगड़ालू रवैये ने दूसरों में भी नाखुशी की भावना पैदा कर दी थी। पूरा गांव उसके इस रवैये से परेशान होकर थक चुका था। अब लोग उससे बात करने से बचने लगे थे। कोई भी उसके पास नहीं जाता और वह बूढ़ा व्यक्ति अब अकेले बैठे ही अपने आप में ही बड़बडाता रहता था।

लेकिन एक दिन एक अविश्वसनीय बात हुई। गांव का हर कोई व्यक्ति उस बूढ़े व्यक्ति के बारे में ही बात कर रहा था। पूरे गांव में यह बात आग की तरह फैल गई थी कि वह बूढ़ा आदमी अब बहुत खुश रहता है। अब वह किसी भी बात को लेकर कभी शिकायत नहीं करता है। अब वह हर समय मुस्कुराता रहता है और किसी से लड़ता झगड़ता भी नहीं है। यहां तक कि अब उसका चेहरा भी हंसी से खिलखिलाता रहता है।

लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था। सभी यह बात सोचने पर मजबूर थे कि यह कैसे हो सकता है। सभी को यही लग रहा था कि शायद यह अफवाह होगी। इस बात की सत्यता जानने के लिए एक दिन पूरा गांव इकट्ठा होकर उस बूढ़े व्यक्ति के पास गया। वहां जाकर देखा तो वह बूढ़ा व्यक्ति सच में मुस्कुरा रहा था। अब उसके चेहरे पर गुस्से की जगह एक हल्की सी मुस्कुराहट थी।

सभी ने बूढ़े व्यक्ति से उसकी खुशी का कारण पूछा।

गांव वाले -: “आपको अचानक से क्या हो गया है। पहले तो आप हमेशा उदास रहते थे, सबसे झगड़ते थे, शिकायत करते थे। लेकिन अब आप इतने खुश कैसे रहते हैं।”

उस बूढ़े आदमी ने जवाब दिया -: ” मुझे कुछ नहीं हुआ है। मैं बिल्कुल ठीक हूं। आज तक में खुशी का पीछा करता आ रहा था। मैं भौतिक चीजों में खुशी ढूंढ रहा था। जो कि बेकार था। अब मैंने खुशी का पीछा करना छोड़ दिया है। अब मैंने बिना खुशी जीने का फैसला किया और बस जीवन का आनंद लिया। इसलिए अब मैं खुश हूं।”

Ravi KUMAR

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