शरलॉक होम्स की जासूसी

वर्ष 1878 में मुझे लंदन विश्वविद्यालय से डाक्टर ऑफ मेडिसिन की उपाधि मिली और मैं सेना में सर्जनों के लिए तय पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए नेटली रवाना हुआ. वहां अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं सही वक्त पर असिस्टेंट सर्जन के तौर पर पांचवीं नार्थंबरलैंड फ्यूसिलियर में दाखिल हो गया. यह रेजीमेंट उस समय भारत में थी.
मेरे वहां पहुंचने के पहले ही दूसरी अफगान लड़ाई छिड़ चुकी थी. मुंबई में उतरने से पहले ही मुझे पता चला कि मेरी पलटन दर्रों से गुजर कर दुश्मन के देश में दाखिल हो चुकी है. फिर भी मेरे जैसे हालात में फंसे कई दूसरे अफसरों के साथ मैं उन के पीछेपीछे गया और सहीसलामत कांधार पहुंचने में कामयाब रहा, जहां मैं ने अपनी रेजीमेंट को ढूंढ़ निकाला और फौरन अपना काम संभाल लिया.
कई लोगों के लिए यह लड़ाई इज्जत और कामयाबी लाई थी, पर मेरे लिए तबाही के अलावा यह कुछ नहीं थी. मुझे अपनी ब्रिगेड से हटा कर बर्कशायर के साथ कर दिया गया, जिन के साथ मैं ने मायवांड की खूनी लड़ाई में काम किया. वहां मेरे कंधे पर एक गोली लगी, जिस ने मेरी हड्डी को चूरचूर कर दिया और हंसली की धमनी को छील डाला.
मेरा अर्दली एक घोड़े पर मुझे लाद कर अंगरेजों के खेमों तक सहीसलामत पहुंचाने में कामयाब हो गया था,जिस की वफादारी और बहादुरी के बगैर मैं खूंखार गाजियों के हाथों में पड़ गया होता. दर्द की वजह से मैं परेशान था और शरीर भी कमजोर हो गया था.
इसलिए मुझे बहुत सारे जख्मी रोगियों के साथ पेशावर के बेस सैन्य अस्पताल में पहुंचा दिया गया. यहां मेरी सेहत में इतना सुधार हुआ कि मैं वार्डों में चलफिर सकता था और बरामदे में धूप भी सेंक सकता था.
फिर मुझे आंतों के बुखार ने दबोच लिया, जो हमें हिंदुस्तान से विरासत में मिला था. महीनों तक मेरी जिंदगी में मायूसी छाई रही और आखिर में जब मैं ने होश संभाला और मेरी तबीयत सुधरने लगी, तब तक मैं इतना कमजोर और पतला हो चुका था कि एक मेडिकल बोर्ड ने फैसला किया कि मुझे वापस इंगलैंड भेजने में एक दिन की भी देरी न की जाए.
इसीलिए मुझे ओरोनटीस नामक जहाज में रवाना कर दिया गया और एक महीने बाद मैं पोट्‌र्समाउथ के तट पर उतरा. मेरी तबीयत हमेशा के लिए खराब हो चुकी थी, पर नेकदिल सरकार से इजाजत मिल गई थी कि अगले नौ महीनों तक मैं अपनी सेहत सुधारने की कोशिश करूंगा.
इंगलैंड में मेरा कोई सगा रिश्तेदार नहीं था. इसलिए मैं हवा की तरह आजाद था या उतना आजाद, जितना रोजाना ग्यारह शिलिंग और छह पेंस (वर्ष 1878 के हिसाब से) कमाने वाला इनसान हो सकता था. इन हालात में मैं कुदरती तौर पर लंदन की ओर खिंचा चलागया. लंदन, यानी वह बड़ा नाला जो पूरी ब्रिटिश हुकूमत के आलसियों, निठल्लों को अपनी ओर खींच लेता है.
वहां मैं कुछ समय के लिए स्ट्रेंड में एक प्राइवेट होटल में रहा, एक आरामहीन, बेकार जिंदगी बिताता रहा. मैं उस से ज्यादा खर्च करता था जितना मुझे करना चाहिए था. मेरी जमापूंजी की हालत इतनी पतली हो गई थी कि मैं ने जल्दी ही महसूस किया कि मुझे इस जगह से निकल कर मुल्क के किसी दूसरे हिस्से में सादी जिंदगी बितानी चाहिए या अपनी आदतों में बदलाव लाना चाहिए. दूसरे रास्ते को चुनते हुए मैं ने फैसला किया कि यह होटल छोड़ कर किसी कम चकाचौंध वाली और कम महंगी जगह कमरा ढूंढ़ूं.
जिस दिन मैं इस नतीजे पर पहुंचा, उसी दिन मैं क्राइटेरियन बार पर खड़ा था. किसी ने धीरे से मेरा कंधा थपथपाया. पीछे मुड़ने पर मैं ने स्टैमफोर्ड को देखा, जो बार्ट्स में मेरे नीचे एक ड्रेसर था. एक अकेले इनसान के लिए लंदन की बड़ीबड़ी भूलभुलैयों में किसी दोस्त का चेहरा नजर आना बड़ा अच्छा लगता है. स्टैमफोर्ड मेरा कोई नजदीकी दोस्त नहीं था, पर मैं तपाक से उस से मिला. वह भी मुझे देख कर खुश हुआ. मैं ने उस से होलबर्न में अपने साथ लंच करने के लिए कहा. फिर हम दोनों एक साथ घोड़ागाड़ी (हैनसम) में रवाना हुए.
“तुम अपने साथ आखिर कर क्या रहे थे, वाटसन?” उस ने ताज्जुब से पूछा. उस वक्त हम लंदन की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर चल रहे थे. “तुम डंडे कीतरह पतले और मूंगफली की तरह भूरे हो रहे हो.”
मैं ने उसे संक्षेप में अपने कारनामों के बारे में जानकारी दी. अपनी मंजिल पर पहुंचने तक मैं कहानी बस खत्म करने ही वाला था.
“बेचारा भूत!” जब उस ने मेरे हालात के बारे में सुना, तो उस ने तरस खा कर कहा, “अब तुम क्या कर रहे हो?”
“रहने की जगह ढूंढ़ रहा हूं.” मैं ने जवाब दिया. “यह दिक्कत सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं कि क्या यह मुमकिन है कि सही दामों पर आरामदेह कमरा मिल सकेगा.”
“बड़ी अजीब बात है.” मेरे मित्र ने टिप्पणी की, “आज तुम दूसरे इनसान हो जिस ने यह बात मुझ से कही है.”
“और पहला कौन था?” मैं ने पूछा.
“अस्पताल रसायन प्रयोगशाला में काम करने वाला एक व्यक्ति. आज सुबह ही वह अफसोस जाहिर कर रहा था कि उसे कोई ऐसा नहीं मिल रहा है जो उन अच्छे कमरों में रहने का खर्चा उस के साथ बांट ले, जो उस ने ढूंढ़े थे, पर उस की जेब पर भारी पड़ रहे थे.”
“और, हां!” मैं चिल्ला पड़ा, “अगर हकीकत में वह ऐसे किसी व्यक्ति की तलाश में है जो उस के कमरे और खर्चा बांटने के लिए तैयार है, तो मैं उस के लिए बिलकुल सही हूं. मैं चाहता हूं कि अकेले रहने की बजाए मैं किसी के साथ रहूं.”
युवा स्टैमफोर्ड ने अपने वाइन गिलास के ऊपर से मुझे अजीब नजरों से देखा. फिर बोला, “तुम अभी शरलॉक होम्स को नहीं जानते हो. शायद तुम उसे लंबे अरसे तक साथी के तौर पर न रखना चाहो.”
“क्यों, ऐसा क्या है, उस के खिलाफ?” “ओह, मैं ने यह नहीं कहा है कि उस के खिलाफ कुछ है. वह अपने खयालातों में थोड़ा सा अजीब है. विज्ञान की कुछ शाखाओं में बहुत ज्यादा दिलचस्पी रखता है. जहां तक मैं जानता हूं, वह एक शरीफ इनसान है.”
“शायद मेडिकल का छात्र है,” मैं ने कहा.
“नहीं, मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है कि वह क्या करना चाहता है. मैं सोचता हूं कि शायद वह एनाटामी (शरीर रचना) में काफी जानकारी रखता है और वह आला दरजे का केमिस्ट भी है. पर जहां तक मैं जानता हूं, उस ने ढंग से कोई मेडिकल क्लास नहीं ली है. उस की जानकारी बेहद अटपटी और अजीब है. ऐसा लगता है कि उस ने बहुत सारी इधरउधर की जानकारी इकट्ठी कर ली है, जो उस के प्रोफेसरों को भी हैरत में डाल सकती है.”
“क्या तुम ने उस से कभी नहीं पूछा कि वह क्या करने की सोच रहा है?”
“नहीं, वह इस तरह का इनसान नहीं है कि जिस के अंदर की बात आसानी से निकाली जा सके, हालांकि जब उस पर सनक सवार होती है, तब वह काफी बातूनीबन जाता है.”
“मैं उस से मिलना चाहूंगा,” मैं ने कहा, “अगर मुझे किसी के साथ रहना पड़ता है, तो मैं किसी पढ़ाकू और शांत स्वभाव वाले व्यक्ति के साथ रहना पसंद करूंगा. मैं अभी इतना तंदुरुस्त नहीं हुआ हूं कि ज्यादा शोरगुल बरदाश्त कर सकूं.
“अफगानिस्तान में मैं इतना ज्यादा भुगत चुका हूं कि मेरी बाकी जिंदगी के लिए काफी है. मैं तुम्हारे इस दोस्त से कैसे मिल सकता हूं?”
“वह लैब में ही होगा,” मेरे दोस्त ने जवाब दिया, “वह या तो हफ्तों तक उस जगह से कतराता है या फिर सुबह से शाम तक वहीं काम करता रहता है. अगर तुम चाहो तो लंच के बाद हम वहां चल सकते हैं.”
“बिलकुल.” मैं ने जवाब दिया और बातचीत का रुख दूसरी बातों की ओर मुड़ गया.
होलबर्न छोड़ने के बाद जब हम अस्पताल की ओर जा रहे थे, तो स्टैमफोर्ड ने उस के बारे में कुछ और जानकारी दी जिस के साथ रहने का मैं मन बना रहा था.
“अगर तुम्हारी उस से न पटे तो मुझ पर इलजाम मत लगाना,” वह बोला, “मैं उस के बारे में इस से ज्यादा कुछ नहीं जानता जितना लैब में कभीकभार उस से मुलाकात होने पर मैं जान पाया हूं. यह सुझाव तुम्हारी ओर से आया था, इसलिए मुझे जिम्मेदार मत ठहराना.”
“अगर हमारी नहीं पटेगी तो अलग होना आसान होगा,” मैं ने जवाब दिया. “मुझे लगता है स्टैमफोर्ड,” मैंने आगे कहा, और अपने दोस्त की ओर गौर से देखा, “इस मामले से हाथ धो लेने की तुम्हारे पास जरूर कोई वजह है. क्या इस आदमी का गुस्सा बहुत तेज है या और कोई बात है? इस बारे में घुमाफिरा कर बात मत करो.”
“अनकही बात को कहा नहीं जा सकता,” हंसते हुए उस ने जवाब दिया, “मेरी दिलचस्पी के हिसाब से होम्स कुछ ज्यादा ही साइंटिफिक दिमाग रखता है. प्रायः अनमना और रूखा सा रहता है वह. कभीकभी वह अपने दोस्त को चुटकी भर वनस्पति (वेजीटेबल एलकालाइड) चटाता है, किसी दुष्टता से नहीं, समझे. पर सिर्फ इस कुतूहल से यह देखने के लिए कि उस का ठीकठीक क्या असर होता है. उस की सिफारिश करते हुए, मैं सोचता हूं कि उसी उतावलेपन से वह उस को खुद भी चख लेता होगा. ऐसा लगता है कि उसे ठीकठीक जानकारी हासिल करने का जुनून है. यह ठीक भी है. हां, पर कभीकभी कुछ ज्यादती भी हो जाती है. जब चीरफाड़ के कमरे में वह लाशों को डंडे से मारता है, तो यह पागलपन ही मालूम पड़ता है.”
“लाशों को मारता है!”
“हां, यह साबित करने के लिए कि मौत के बाद किस हद तक जख्म पहुंचाए जा सकते हैं. मैं ने अपनी आंखों से उसे ऐसा करते देखा है.”
“और फिर भी तुम कहते हो कि वह मेडिकल का छात्र नहीं है?”
“नहीं, यह तो वही जानता है कि उस की स्टडी का क्या टापिक है. पर हम यहां आ पहुंचे हैं. अब तुम्हें उस के बारे में अपनी राय खुद बनानी होगी.”
जब वह बोल रहा था, हम एक संकरी गली में मुड़े और एक छोटे से साइड दरवाजे से गुजरे जो एक बड़े अस्पताल के एक भाग में खुलता था. मेरे लिए यह इलाका जानापहचाना था. बदरंग सी पत्थर की सीढ़ियां चढ़ते वक्त मुझे किसी गाइड की जरूरत नहीं थी. हम सफेदी की हुई दीवारों और धुंधले काले रंग के दरवाजों के बीच से गैलरी में अपने रास्ते चलते गए. गैलरी के दूसरे छोर के पास एक नीचा सा गुंबद के आकार का रास्ता निकला और हमें केमिकल लैब तक ले गया.
वह एक बहुत आलीशान कमरा था, जो लाइन से लगी अनगिनत बोतलों से भरा हुआ था. चौड़ी, नीची मेजें इधरउधर रखी थीं. उन पर तरहतरह के बकयंत्र (रिटार्ट), परखनली (टेस्ट ट्यूब) और छोटेछोटे बुनसेन लैंप अपनी नीली, लपलपाती लपटें उगल रहे थे. कमरे में सिर्फ एक ही छात्र था, जो दूर वाली मेज पर झुका अपने काम में तल्लीन था.
हमारे कदमों की आवाज से उस ने चारों ओर देखा और खुशी से खड़ा हो गया और चिल्लाया, “मैं ने ढूंढ़ लिया. मैं ने ढूंढ़ लिया,” वह मेरे दोस्त को देख कर जोर से बोला.
उस के हाथ में टेस्ट ट्यूब था जिसे ले कर वह हमारी ओर दौड़ता आ रहा था. “मैं ने एक ऐसा री एजेंट ढूंढ़लिया है, जो हीमोग्लोबिन से ही मजबूत हो सकता है, किसी और से नहीं.”
यदि उस ने सोने की खान ढूंढ़ ली होती, तब भी उस के चेहरे पर इस से ज्यादा खुशी नहीं चमक सकती थी.
“डाक्टर वॉटसन, मिस्टर शरलॉक होम्स,” स्टैमफोर्ड ने हमारा परिचय करवाते हुए कहा.
“हाऊ आर यू?” उस ने विनम्रता से कहा और मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा जितना कि मैं सोच भी नहीं सकता था. “मुझे लगता है कि आप अफगानिस्तान हो कर आए हैं?”
“अरे, आप को यह कैसे मालूम पड़ा?” मैं ने हैरानी से पूछा.
“कोई बात नहीं,” उस ने हलके से हंसते हुए कहा.
“अब सवाल हीमोग्लोबिन का है. मेरी इस खोज की आप को बेशक अहमियत मालूम तो होगी.”
“इस में कोई शक नहीं कि रासायनिक तौर पर यह बहुत दिलचस्प है. पर व्यावहारिक रूप से…”
“क्यों, भाई, यह तो वर्षों पुरानी चिकित्सा कानून संबंधी सर्वाधिक व्यावहारिक खोज है. क्या तुम नहीं देख पा रहे हो कि खून के ध्ब्बों का यह शर्तिया टेस्ट है. इधर आओ!” तुरंत उत्साह में उस ने मेरे कोट की आस्तीन को पकड़ कर उस मेज की ओर खींचा, जहां वह काम कर रहा था.
“थोड़ा सा ताजा खून लेना पड़ेगा.” उस ने एक लंबा सूआ अपनी उंगली में चुभोते हुए कहा और इस कीवजह से निकली खून की बूंद को एक पतली नलिका में इकट्ठा कर लिया.
“अब मैं इस खून को एक लीटर पानी में मिलाऊंगा. तुम गौर करोगे कि यह मिश्रण शुद्ध पानी जैसा दिखाई पड़ेगा, खून का अनुपात दस लाख में एक से ज्यादा नहीं हो सकता. फिर भी मुझे कोई शक नहीं है कि हम इस से होने वाला रिएक्शन पा लेंगे.”
बोलतेबोलते उस ने बरतन में कुछ सफेद दाने डाले और फिर एक पारदर्शी तरल पदार्थ की कुछ बूंदें उस में मिला दीं. पलभर में ही वह मिश्रण हलके भूरे रंग का हो गया. भूरे से रंग की धूल उस कांच के जार के तल पर जम गई.
“हां! हां!” वह ताली बजाते हुए चिल्लाया.
उस समय ऐसा लग रहा था मानो एक नया खिलौना पाकर बच्चा खुश हो रहा हो.
“इस के बारे में क्या राय है?”
“यह बहुत ही नाजुक टेस्ट मालूम होता है.” मैं ने कहा.
“सुंदर! अतिसुंदर! पुराना वाला बहुत फूहड़ और अनिर्णायक था, ब्लड कारपसल (रक्त कणिका) का माइक्रोस्कोपिक टेस्ट भी ऐसा ही था. अगर धब्बे कुछ घंटे पुराने हो जाते हैं, तो यह बेकार हो जाता है. अब चाहे खून पुराना हो या नया, यह नया टेस्ट उतना ही असरदार रहता है. अगर इस टेस्ट की पहले खोज कर ली गई होती तो सैकड़ों ऐसे लोग जो आजाद घूम रहे हैं,वे अपने जुर्म की सजा भुगत रहे होते.”
“वाकई!” मैं बुदबुदाया.
“जुर्म के मामले अकसर इसी एक मुद्दे पर लटके रहते हैं. एक इनसान गुनाह के कई महीनों बाद शक के दायरे में आता है. उस के कपड़ों का टेस्ट किया जाता है और उन पर भूरे रंग के धब्बे पाए जाते हैं. ये खून के धब्बे हैं या मिट्टी के धब्बे हैं या जंग के या फलों के या किस चीज के धब्बे हैं? यह सवाल है जिस ने अनेक विशेषज्ञों को उलझन में डाला है और क्यों? क्योंकि कोई भरोसेमंद टेस्ट नहीं था. अब हमारे पास शरलॉक होम्स टेस्ट है इस लिए कोई दिक्कत नहीं आएगी.”
बोलते समय उस की आंखें चमक रही थीं. उस ने अपने दिल पर अपना हाथ रखा और किसी काल्पनिक भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट को झुक कर सलाम किया.
“तुम बधाई के हकदार हो,” उस की खुशी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मैं ने कहा.
“पिछले साल फ्रैंकफर्ट में वान बिशचौफ का केस था. अगर यह टेस्ट तब मौजूद होता, तो वह शर्तिया सूली पर लटका दिया जाता. फिर ब्रैडफोर्ड का मेसन था, कुख्यात मुलर और मोंटपेलियर का लिफेव्रे और न्यू ऑरलियंस का सैमसन. मैं ऐसे बीसियों केस गिना सकता हूं जिन का यह टेस्ट फैसला कर देता.”
“तुम गुनाह के चलतेफिरते कैलेंडर लगते हो,” हंसते हुए स्टैमफोर्ड ने कहा. “इस आधार पर तुम अखबारनिकाल सकते हो. उसे तुम उसे–‘पुलिस के भूतपूर्व समाचार’– का नाम दे सकते हो.”
“यह काफी दिलचस्प भी होगा पढ़ने में,” अगली अंगुली पर सूआ चुभोने की जगह प्लास्टर का छोटा सा टुकड़ा चिपकाते हुए शरलॉक होम्स ने फब्ती कसी, “मुझे होशियार रहना पड़ेगा,” वह बोलता गया, फिर मुसकराते हुए मुड़ कर मुझे देखा, “क्योंकि मुझे जहरीले पदार्थों से काफी उलझना पड़ता है,” बोलते हुए उस ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.
मैं ने गौर किया कि वह ऐसे ही प्लास्टर के छोटेछोटे टुकड़ों से भरा पड़ा था और तेज एसिडों से बदरंग हो रहा था.
“हम यहां काम से आए हैं,” एक ऊंचे तिपाए स्टूल पर बैठते हुए और एक पैर से दूसरा स्टूल मेरी ओर खिसकाते हुए स्टैमफोर्ड ने कहा, “यह मेरा दोस्त रहने की जगह चाह रहा है और क्योंकि तुम शिकायत कर रहे थे कि तुम को आधा किराया बांटने वाला कोई नहीं मिल रहा है, मैं ने सोचा कि अच्छा होगा कि तुम दोनों को मिला दूं.”
मेरे साथ कमरा बांटने के खयाल से शरलॉक होम्स खुश दिखाई पड़ा.
“मेरी नजर बेकर स्ट्रीट के एक स्यूट पर है,” उस ने कहा, “जो हमारे लिए पूरी तरह ठीक है. मैं उम्मीद करता हूं कि तुम को तेज तंबाकू की महक से एतराज नहीं है?”
“मैं तो खुद ही सिगरेट सुलगाता हूं,” मैं ने जवाबदिया.
“वह तो ठीक है. मेरे पास अकसर ही केमिकल रहते हैं और कभीकभी मैं टेस्ट भी किया करता हूं. इस से तुम को खीझ तो नहीं होगी?”
“किसी भी तरह की नहीं.”
“मुझे देखने दो– मेरी दूसरी कमियां कौनकौन सी हैं. मैं कभीकभी मूडी हो जाता हूं और कईकई दिनों तक मुंह नहीं खोलता. जब मैं ऐसे करूं तो तुम यह मत सोचना कि मैं यूं ही ऐंठ रहा हूं. बस, मुझे अकेला छोड़ देना और मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा. अब तुम्हारे पास कबूलने के लिए क्या है? यह अच्छी बात होगी कि दोनों लोगों को एकदूसरे की बुरी से बुरी आदतों की जानकारी हो, इस के पहले कि वे साथसाथ रहना शुरू करें.”
इस बात पर मैं हंसा.
“मैं ने एक छोटा पिल्ला पाला हुआ है,” मैं ने कहा, “मुझे शोरशराबे से एतराज है क्योंकि मेरा दिल सिहर जाता है और मैं वक्तबेवक्त जग जाता हूं. मैं बेहद आलसी हूं. जब मैं तंदुरुस्त होता हूं तो मेरे अंदर दूसरी तरह की बुराइयां होती हैं पर अभी के लिए ये ही मेरी खास बुराइयां हैं.”
“वायलिन बजाना क्या तुम्हारे शोरशराबे की लिस्ट में शामिल है?” उस ने बेचैन हो कर पूछा.
“यह तो बजाने वाले पर है,” मैं ने जवाब दिया, “अच्छी तरह बजा वायलिन तो सभी को अच्छा लगेगा. बुरी तरह बजाया जाने वाला वायलिन तो किसी को भीअच्छा नहीं लगेगा.”
“ओह, वह सब ठीक है,” खुशी से हंसते हुए उस ने कहा, “मैं सोचता हूं कि हम यह मामला निपटा हुआ समझें. यदि कमरे तुम को पसंद आ जाते हैं, तो.”
“हम कमरों को कब देखेंगे?”
“कल दोपहर यहां पर मुझ से मिलने आ जाना और हम एकसाथ जा कर मामला पक्का कर लेंगे,” उस ने जवाब दिया.
“ठीक है, कल दोपहर ठीक बारह बजे,” उस से हाथ मिलाते हुए मैं ने कहा.
हम ने उसे अपने केमिकलों के बीच काम करते हुए छोड़ा और हम साथसाथ अपने होटल की ओर बढ़े.
“वैसे,” मैं ने रुक कर स्टैमफोर्ड की ओर मुड़ कर अचानक पूछा, “उसे यह कैसे मालूम पड़ा कि मैं अफगानिस्तान से आया हूं?”
मेरा दोस्त रहस्यमय तरीके से मुसकराया, “यह उस की एक छोटी सी खासियत है,” वह बोला, “काफी सारे लोगों ने जानना चाहा है कि वह यह कैसे पता कर लेता है.”
“ओह! तो यह एक राज है?” हाथ मिलाते हुए मैं ने कहा, “यह बिलकुल साफ है. हमें साथ मिलाने के लिए मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करता हूं. इनसानों की सही जानकारी किसी आदमी के बारे में तहकीकात करने पर होती है.”
“तब फिर तुम इस को पढ़ना.” मुझ से विदा लेते हुएस्टैमफोर्ड ने कहा, “पर तुम्हें वह बहुत पेचीदा जान पड़ेगा. मैं शर्त लगा सकता हूं कि तुम उस के बारे में जितना जान पाओगे, उस से ज्यादा वह तुम्हारे बारे में  जान लेगा. गुडबाय.”

जैसा कि उस ने पहले तय किया था, हम अगले दिन मिले और हम ने नंबर 221 बी, बेकर स्ट्रीट के कमरों का जायजा लिया, जिन के बारे में उस ने बताया था. उन में दो आरामदायक बेडरूम थे और एक बड़ी हवादार बैठक थी, जिस में अच्छा फर्नीचर था और दो चौड़ी खिड़कियों से उस में रोशनी आती थी. यह अपार्टमेंट हर तरीके से इतना सटीक था और हमारे बीच बंट जाने पर किराया इतना सही कि हम ने वहीं पर सौदा तय कर लिया और वह कमरा हमारा हो गया.

उसी शाम मैं होटल से अपना सामान ले आया और अगली सुबह शरलॉक होम्स भी अपना सामान और कपड़ों से भरा चमड़े का सूटकेस ले कर आ पहुंचा. एक या दो दिनों तक हम अपना सामान लगाने में लगे रहे. धीरेधीरे हम अपने नए ठिकाने के आदी होने लगे.

होम्स के साथ रहना कोई मुश्किल काम नहीं था. वह बहुत शांति से अपना काम करता था और उस की आदतें नियमित थीं. वह शायद ही कभी रात में दस बजे के बाद जगा रहता. ज्यादातर सुबह मेरे उठने के पहले वह नाश्ता कर के निकल जाता था. कभी वह केमिकल लैब में दिन बिताता, कभी चीड़फाड़ वाले कमरे में और कभीकभी लंबी दूरी तक पैदल चला जाता, जिस से लगता कि वह शहर के निचले इलाकों में पहुंच गया है.

जब उस पर काम करने का भूत सवार होता, तो उस की एनर्जी को कोई मात नहीं दे सकता था. परकभीकभी उस पर कोई झक सवार हो जाती और कईकई दिनों तक वह बिना एक भी लफ्ज बोले या सुबह से शाम तक बगैर एक भी मांसपेशी हिलाए बैठक के सोफे पर लेटा रहता.

इन मौकों पर मैं ने उस की आंखों में इतना खोयाखोया, खाली सा भाव देखा है कि मुझे शक होता कि वह किसी नशे की लत का शिकार हो गया है. पर उस की रोजमर्रा की जिंदगी में अनुशासन और साफसफाई को देख कर यह खयाल उठ ही नहीं पाता था.

जैसे जैसे हफ्ते गुजरते गए, उस के लिए मेरी दिलचस्पी और जिंदगी में उस के उद्देश्य की ओर मेरा कुतूहल गहराता और बढ़ता गया. उस की शख्सियत और रंगरूप ऐसा था कि किसी राह चलते इनसान का भी ध्यान अपनी ओर खींच ले. लंबाई में वह करीब दो मीटर था और इतना पतला कि वह और भी लंबा लगता था. उस की आंखें तीखी और भेदती हुई थीं, सिवा उस समय, जब वह अपनी दुनिया में खोया रहता था.

पतली बाज जैसी नाक से वह चौकन्ना और जिद्दी जान पड़ता था. उस की ठोड़ी भी साफ और चौकोर थी, जो किसी जिद्दी इनसान की निशानी होती है. उस के हाथ अकसर स्याही से रंगे होते और उन पर रसायनों के धब्बे होते. फिर भी उस की छुअन में बेहद नजाकत थी, जो मुझे अपने नाजुक उपकरणों का इस्तेमाल करते वक्त दिखाई पड़ी थी.पाठक मुझे दूसरों के कामों में दखल देने वाला बेकार आदमी मान सकते हैं, अगर मैं यह हामी भरूं कि इस शख्स ने किस हद तक मेरी दिलचस्पी जगाई है. मैं ने कितनी बार कोशिश की है कि मैं उस की उस जिद को चीर सकूं जो वह अपने मतलब के हर काम में दिखाता है.

पर किसी भी नतीजे पर पहुंचने के पहले यह याद रहे कि मेरी जिंदगी कितनी बेकार थी और मेरा मन लगाने के लिए कितने कम तरीके थे. बाहर जाने में मेरी तबीयत आड़े आती थी, जब तक मौसम बेहद खुशगवार न हो. मेरे ऐसे दोस्त भी नहीं थे जो मुझ से मिलने आते और मेरा रोजमर्रा का अकेलापन दूर करते. इन हालात में मैं उस छोटे से रहस्य का खुशी से स्वागत करता, जो मेरे दोस्त के इर्दगिर्द छाया रहता था. मैं अपना काफी समय उस रहस्य का परदाफाश करने की कोशिश में बिताता.

वह मेडिसिन नहीं पढ़ रहा था. एक सवाल के जवाब में उस ने खुद इस बारे में स्टैमफोर्ड की राय मानी थी. न ही ऐसा लगता था कि उस ने पढ़ाई का कोई भी कोर्स पूरा किया था जो उसे विज्ञान या किसी भी विषय में डिगरी प्राप्त करने के लायक बना सके. फिर भी कुछ विषयों में उस की दिलचस्पी तारीफ के काबिल थी और एक विचित्र सीमा में उस की जानकारी इतनी विस्तृत और बारीक थी कि उस के खयाल मुझे काफी हद तक ताज्जुब में डाल देते थे.यह तय था कि कोई भी किसी तय मंजिल के बगैर इतनी मेहनत या इतनी ज्यादा जानकारी इकट्ठी करने की जहमत नहीं उठाता. अनियमित पाठक अपनी जानकारी के लिए शायद ही कभी अपनी ओर ध्यान खींचते हैं. कोई भी शख्स छोटीमोटी वजह के लिए अपने दिमाग पर जोर नहीं देता, जब तक उस के पास ऐसा करने की कोई अच्छी वजह नहीं होती.

उस का अनजानापन उस के ज्ञान की तरह ही चौंकाने वाला था. सामयिक साहित्य, फलसफे और राजनीति के मसलों में वह बिलकुल अनजान मालूम होता था. थॉमस कारलाइल का हवाला देने पर उस ने बेहद अल्हड़ता से मुझ से पूछा कि वह कौन है और उस ने कौन सा तारीफ का काम किया है.

मेरे ताज्जुब की उस वक्त सीमा नहीं रही, जब मैं ने अचानक पाया कि उसे कॉपरनिक्स की थ्योरी के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था, न ही सोलर सिस्टम के बारे में कि कोई भी सभ्य व्यक्ति, इस उन्नीसवीं शताब्दी में यह भी न जानता हो कि धरती सूरज के चारों ओर चक्कर लगाती है. इतनी अजीब बात थी कि मैं यकीन ही नहीं कर पा रहा था.

“तुम ताज्जुब में दिखाई दे रहे हो,” मेरे भाव पर मुसकराते हुए उस ने कहा, “अब जब मुझे यह जानकारी हो गई है, मैं पूरी कोशिश करूंगा कि इस को मैं भूल जाऊं.”

“भूल जाऊं!”“देखो,” उस ने समझाया, “मैं मानता हूं कि आदमी का दिमाग असल में एक खाली अटारी की तरह होता है और तुम को उस में अपना मनपसंद सामान भरना होता है. जो बेवकूफ होता है वह हर तरह का सामान भरता जाता है, जिस से जो जानकारी उस के लिए मायने रखती है, वह भीड़ में खो जाती है, जिस से उस को वह जानकारी ढूंढ़ने में मुश्किल होती है. कुशल कारीगर अटारी भरते वक्त चौकन्ना रहता है कि वह क्या भर रहा है. वह उस में सिर्फ वे औजार रखता है जो काम करने में उस की मदद कर सकते हैं, पर ये मात्रा में काफी ज्यादा होते हैं और सभी को दिमाग में अच्छी तरह संभाल कर रखा जाता है. यह सोचना भूल है कि उस छोटे से कमरे में इतना लचीलापन है कि उस को किसी भी सीमा तक खींचा जा सकता है. यह याद रखो कि ऐसा वक्त आता है जब हर अतिरिक्त ज्ञान की जगह पर तुम ऐसा कुछ भूल जाते हो जो तुम को पहले से पता था, इसलिए यह सब से जरूरी है कि जरूरी तथ्यों पर अनावश्यक तथ्य भारी न पड़ जाए.”

“पर सौरमंडल!” मैं ने विरोध किया.

“उस से मुझे आखिर क्या मतलब हो सकता है,” उस ने विचलित हो कर पूछा. “तुम कहते हो कि हम सूरज के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, किंतु अगर हम चांद के चक्कर लगा रहे होते तो भी रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता न, मेरे काम में.”

मैं उस से पूछने ही वाला था कि उस का कामआखिर है क्या, पर उस के अंदाज में कुछ ऐसा था कि मुझे लगा कि इस सवाल से वह खुश नहीं होगा. मैं ने अपनी छोटी सी बातचीत पर गौर किया और उस से कुछ समझने की कोशिश की. उस ने कहा कि वह ऐसी कोई जानकारी नहीं लेगा जो उस से मतलब नहीं रखती हो. इसलिए उस के पास जितनी भी जानकारी थी, वह सब उस के लिए जरूरी थी.

मैं ने अपने मन में वे सभी बातें दोहराईं, जिन से मुझे मालूम पड़ा कि उस को बहुत कुछ मालूम था. मैं ने एक पेंसिल ले कर उन सब बातों को लिख लिया. जब मैं ने उस के बारे पूरा हुआ दस्तावेज पढ़ा, तो मैं अपनी हंसी दबा नहीं पाया. वह इस तरह था:

शरलॉक होम्स: उस की सीमाएं

  1. साहित्य की जानकारी- शून्य.
  2. फलसफे की जानकारी- शून्य.
  3. खगोल की जानकारी- शून्य.
  4. राजनीति की जानकारी- बेहद कामजोर.
  5. वनस्पति विज्ञान की जानकारी- थोड़ीबहुत. धतूरा, अफीम, जहरों के बारे में पूरा ज्ञान. बागबानी के बारे में कुछ नहीं जानता.
  6. भूतत्त्व विद्या का ज्ञान- व्यावहारिक पर सीमित. देख लेने भर से ही अलगअलग किस्मों की मिट्टियों का भेद बता सकता है. सैर के बाद मुझे अपनी पतलून पर पड़े छींटों को दिखाया है और उन के रंग और घनता से उस ने मुझे बताया है कि लंदन के किस भाग में वे उसको मिले हैं.
  7. रसायन शास्त्र की जानकारी- बहुत गहरी.
  8. शरीर रचना शास्त्र की जानकारी- अचूक पर अव्यावहारिक.
  9. सनसनीखेज साहित्य की जानकारी- शताब्दी में विस्तृत हुई हर भयंकर घटना की विस्तृत जानकारी रखने वाला दिखाई देता है.
  10. वायलिन अच्छा बजा लेता है.
  11. अच्छा लठैत, घूंसेबाज और तलवारबाज है.
  12. अंगरेजी कानून का अच्छा व्यावहारिक ज्ञान है.

जब मेरी सूची इतनी लंबी हो गई, तो घबरा कर मैं ने उसे आग में फेंक दिया. “अगर मैं केवल यह जान पाता कि इन उपलब्धियों से वह क्या करना चाहता है और ऐसा कौन सा पेशा है, जिस में सब की जरूरत पड़ेगी,” मैं ने अपने आप से कहा, “तो मैं अपनी यह कोशिश तुरंत छोड़ देता?”

मैं देख रहा हूं कि ऊपर मैं ने उस की वायलिन बजाने की काबिलीयत का जिक्र किया है. यह बेहद उल्लेखनीय थी, पर उस की अन्य उपलब्धियों की ही तरह विचित्र भी. वह अच्छी और कठिन धुनें निकाल लेता था. यह मैं अच्छी तरह जानता था, क्योंकि मेरे अनुरोध पर उस ने मेनडेलस्सोन की लाइडर और पसंदीदा धुनें बजाई हैं. जब वह अपने में होता तो शायद ही कभी संगीत बजाता या कोई अन्य जानापहचाना काम करता.शाम को अपनी आरामकुरसी में अधलेटा सा, वह आंखें मूंद कर घुटनों पर पड़ी सारंगी के तार छेड़ता रहता. कभी तान मीठी और उदास होती, कभी वह खुशनुमा होती. जाहिर है कि इस से उस के उस वक्त के मूड का पता चलता था, पर यह मूड उस तान से प्रेरित है. वह यूं ही बजा रहा है यह मेरी समझ के बाहर था. इन उबाऊ इकलबंदियों के खिलाफ मैं बोल उठता. अगर ऐसा नहीं होता, तो अंत में वह मेरी पसंदीदा धुनों की पूरी श्रृंखला बजा कर मुझे मेरी सहनशीलता का मुआवजा नहीं देता.

पहले सप्ताह के आसपास हमारे पास कोई मिलने वाला नहीं आया और मैं यह सोचने लगा था कि मेरा साथी भी मेरी ही तरह मित्रविहीन है. पर धीरेधीरे मुझे पता चला कि उस की काफी जानपहचान है और वह भी समाज के अलगअलग तबकों में. वह एक छोटा सा भूरे रंग का, चूहे जैसा, काली आंखों वाला व्यक्ति था, जिस का परिचय मुझ से मिस्टर लेस्ट्रेड कह कर कराया गया था और जो एक ही हफ्ते में तीन या चार बार आया. एक सुबह एक युवती आई, जिस ने फैशन के अनुकूल कपड़े पहन रखे थे और वह आधा घंटे या इस से अधिक समय तक रही. उसी दोपहर एक सफेद बालों वाला संदेहास्पद मेहमान आया, जो एक यहूदी फेरीवाला लग रहा था. वह मुझे बेहद उत्तेजित लगा और उस के ठीक पीछेपीछे चप्पल पहने अधेड़ औरत आई.

एक दूसरे मौके पर सफेद बालों वाले एक वृद्ध पुरुषने मेरे साथी से मुलाकात की और दूसरे अवसर पर अपनी मखमली वरदी पहने एक रेलवे के कुली ने. जब इन में से कोई भी साधारण सा व्यक्ति आता था, तो शरलॉक होम्स मुझ से अनुरोध करता था कि वह बैठक का इस्तेमाल करेगा और मैं बेडरूम में आराम करने चला जाता. मुझे इस तरह असुविधा में डालने के बाद वह हमेशा मुझ से माफी मांगता था. “यह कमरा मुझे अपने पेशे के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है,” वह बोला, “और ये लोग मेरे मुवक्किल हैं,” मेरे पास फिर से उस से सीधा, सपाट सवाल पूछने का मौका था और एक बार फिर मेरे लिहाज ने एक दूसरे शख्स को अपना हमराज बनाने को रोक दिया. उस वक्त मैं ने सोचा कि उस के पास इस बात का जिक्र न करने की कोई मजबूत वजह होगी, पर इस मुद्दे को खुद ही छेड़ कर उस ने मेरे इस खयाल को जल्दी ही तोड़ दिया.

चार मार्च की बात है. इस तारीख को याद रखने के लिए मेरे पास एक ठोस वजह यह थी कि मैं रोजाना से थोड़ा जल्दी जाग गया और पाया कि शरलॉक होम्स ने अभी नाश्ता नहीं किया है. मकान मालकिन मेरे देर से दिन शुरू करने की आदत की इतनी आदी हो चली थी कि उस ने मेज पर मेरे लिए प्लेट वगैरह भी नहीं रखी थीं और न मेरी कौफी तैयार थी. आदमजात की बेतुकी ढिठाई से मैं ने घंटी बजाई और रुखाई से कहलवाया कि मैं तैयार हूं. फिर मैं ने मेज पर से मैगजीन उठाई और उस से समय बिताने की कोशिश करने लगा, जबकि मेरामित्र चुपचाप टोस्ट खाता रहा. एक लेख के शीर्षक पर पेंसिल का निशान था और स्वाभाविक तौर पर मैं ने उस पर अपनी निगाह दौड़ाई.

उस का कुछ इस तरह का महत्त्वाकांक्षी शीर्षक था- जीवन की पुस्तक.’ उस में यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि एक चौकन्ना व्यक्ति अपनी राह में आने वाली हर बात का सटीक और नियमबद्ध परीक्षण करने में कितना कुछ सीख सकता है. मुझे वह चतुराई और बेतुकेपन का एक अद्भुत मिश्रण लगा. उस के तर्क सटीक थे, पर उस के निष्कर्ष मुझे मुश्किल और बढ़ेचढ़े लगे. लेखक ने दावा किया था कि एक जरा सा भाव मांसपेशी का फड़कना या आंख की एक सरसरी नजर से वह किसी के भी अंदरूनी विचारों का थाह पा सकता है. उस के अनुसार, पर्यवेक्षण तथा विश्लेषण में प्रशिक्षित व्यक्ति के साथ छलकपट करना असंभव है. उस के निष्कर्ष यूक्लिड की अनेक प्रस्तावनाओं की तरह ही दोषरहित थे. एक अनजान व्यक्ति के लिए उस के नतीजे इतने चौंकाने वाले थे कि जब तक वे उन प्रक्रियाओं को नहीं सीख लेते जिन के द्वारा वह उन निष्कर्षों पर पहुंचा था, तब तक वे उस को जादूगर ही समझते.

‘एक बूंद पानी से,’ लेखक ने कहा- कोई तार्किक एक अटलांटिक या नियाग्रा की संभावना का अनुमान कर सकता है, भले ही उस ने इन में से किसी को भी न सुना और न देखा हो. इसलिए पूरी जिंदगी एक जंजीरहै, जिस की प्रवृत्ति के बारे में हम उस की एक कला दिखाई पड़ते ही जान जाते हैं. दूसरी कलाओं की तरह ही निष्कर्ष और विवेचन का विज्ञान लंबे और धैर्यपूर्ण अध्ययन द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है. जिंदगी इतनी लंबी नहीं होती कि कोई भी इनसान इस में पूरे तौर पर सटीकता प्राप्त कर सके.

इस तथ्य के नैतिक और मानसिक मुद्दों पर गौर करने से पहले जो बड़ी कठिनाइयां प्रस्तुत करते हैं, तहकीकात करने वाले को शुरुआती समस्याओं पर अपना प्रभुत्व कायम करना चाहिए. उसे अपने जैसा दूसरा इनसान मिलने पर एक नजर में ही उस का इतिहास जान लेना सीखने दीजिए और यह भी कि वह किस पेशे या व्यवसाय से संबंध रखता है. इस तरह की हरकत भले ही ओछी जान पड़ती हो, लेकिन इस से अवलोकन करने की क्षमता तीक्ष्ण हो जाती है. यह सिखाती है कि कहां देखना चाहिए और किस चीज को देखना चाहिए. किसी व्यक्ति को अंगुलियों को नाखूनों से, उस के कोट की आस्तीन से, उस के बूटों से, उस की पैंट के घुटनों से, उस की तर्जनी और अंगूठे के चमड़े के कड़ेपन से, उस के भाव से, उस की शर्ट की आस्तीन के छोर से, इन सभी चीजों से जाना जा सकता है. किसी भी मामले में किसी कुशल छानबीन करने वाले को ये सारे तथ्य मिल कर मामले की पूरी जानकारी नहीं दे देंगे, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता.

“क्या कोरी बकवास है!” मेज पर पत्रिका को जोर सेपटकते हुए मैं ने कहा, “ऐसी बेहूदा बातें मैं ने जिंदगी में पहले कभी नहीं पढ़ीं.”

“क्या बात है?” शरलॉक होम्स ने पूछा.

“क्यों, यह लेख,” नाश्ते के लिए बैठते हुए अपने अंडे की चम्मच से इशारा करते हुए मैं ने कहा. “मैं देख रहा हूं कि तुम ने यह लेख पढ़ा है क्योंकि तुम ने इस पर निशान लगा रखे हैं. मैं इनकार नहीं कर रहा हूं कि यह अच्छी तरह लिखा गया है, पर मुझे इस से खीज हो रही है. साफतौर पर ये एक ऐसे व्यक्ति के दिल की बातें हैं, जो आरामकुरसी पर पसर कर इस तरह के छोटेछोटे विरोधाभास अपने कमरे की तन्हाई में लिखा करता है. यह व्यावहारिक नहीं है. मैं उसे भूमिगत ट्रेन के तीसरे दरजे में बंद कर उस से अपने सभी सहयात्रियों के व्यवसाय के बारे में जानना चाहूंगा. मैं उस के खिलाफ हजार में एक की शर्त रखता हूं.”

“तुम अपना पैसा खो दोगे,” होम्स ने शांति से उत्तर दिया. “और जहां तक लेख का सवाल है, वह मैं ने खुद लिखा है.”

“तुम ने!”

“हां, मैं गौर से निरीक्षण भी कर सकता हूं और निष्कर्ष भी निकाल सकता हूं. जिन सिद्धांतों को मैं ने यहां पर व्यक्त किया है और जो तुम को इतने मनगढ़ंत लग रहे हैं, वास्तव में बेहद व्यावहारिक हैं, इतने कि मैं अपनी रोजीरोटी के लिए इन पर निर्भर हूं.”

“अरे, कैसे?” न चाहते हुए भी मैं ने पूछा.“मेरा अपना एक व्यवसाय है. मेरे विचार से इस व्यवसाय में मैं अकेला ही हूं. पूरी दुनिया में मैं एक सलाहकार जासूस हूं. अगर तुम इसे समझ सकते तो! यहां लंदन में बहुत सारे सरकारी जासूस हैं और बहुत सारे निजी जासूस भी. जब ये लोग गलती पर होते हैं तो ये मेरे पास आते हैं और मैं उन को सही दिशा में मोड़ देता हूं. वे लोग सारे सबूत मेरे सामने रखते हैं और अपराध के इतिहास की अपनी जानकारी की सहायता से मैं उन को सुलझाने में सफल हो जाता हूं. दुष्कर्मों की एक ठोस पारिवारिक समानता होती है और अगर तुम को एक हजार अपराधों की विस्तृत जानकारी मुंहजबानी याद हो, तो यह विचित्र बात होगी कि तुम एक हजार एकवीं वारदात को सुलझा नहीं पाओ. लेसट्रेड एक मशहूर जासूस है. जालसाजी के एक मामले में वह कुछ मुश्किल में पड़ गया था और यही परेशानी उसे यहां खींच लाई.”

“और ये बाकी लोग?”

“अधिकतर ये लोग किसी निजी छानबीन एजेंसी द्वारा भेजे जाते हैं. ये सब वे लोग होते हैं, जो परेशानी में होते हैं और कुछ जानकारी चाहते हैं. मैं उन की कहानी सुनता हूं, वे मेरी टिप्पणियां सुनते हैं और फिर मैं अपनी फीस जेब में रख लेता हूं.”

“पर तुम क्या कहना चाहते हो,” मैं ने कहा, “अपना कमरा छोड़े बगैर ही तुम ऐसी कोई गुत्थी सुलझा देते हो जो दूसरे लोगों की समझ के बाहर होती है, जबकिउन्होंने अपने पास एकएक चीज की गहरी छानबीन की है?”

“बिलकुल. इस बारे में मुझे गहरा ज्ञान है. बीचबीच में कोई ऐसा मामला आ जाता है, जो कुछ ज्यादा ही पेचीदा होता है. फिर मुझे इधरउधर जा कर अपनी आंखों से सब कुछ देखना पड़ता है. देखो, मेरे पास बहुत सी ऐसी विशेष जानकारी है, जो मैं समस्या पर लागू करता हूं जिस से आश्चर्यजनक तौर पर उन्हें सुलझाने में मदद मिलती है. उस लेख में निष्कर्ष के जो नियम मैं ने स्थापित किए हैं, जिन से तुम्हारे अंदर तिरस्कार जागा है, वे मेरे व्यावहारिक काम के लिए अनमोल हैं. मेरे लिए हर चीज का गौर से निरीक्षण करना मेरी दूसरी प्रवृत्ति बन चुकी है. जब मैं ने तुम्हें अपनी पहली मुलाकात में ही बताया था कि तुम अफगानिस्तान से आए हो, तो तुम आश्चर्यचकित से लगे थे.”

“तुम को बताया गया था, इस में कोई शक नहीं.”

“ऐसा कुछ नहीं था. मुझे मालूम था कि तुम अफगानिस्तान से आए हो. पुरानी आदत के अनुसार, विचारों की गाड़ी इतनी तेज मेरे मन में दौड़ी कि उस में आने वाले पड़ावों की ओर ध्यान दिए बगैर ही मैं इस नतीजे पर पहुंच गया, पर कुछ पड़ाव तो जरूर थे. तर्क का पहिया कुछ इस तरह दौड़ाः ‘यह मेडिकल किस्म का संभ्रांत व्यक्ति है, पर इस का हावभाव सेना का सा है. साफतौर पर तब यह सेना का डाक्टर है. यह अभीअभी अयनवृत्तों से लौटा है, क्योंकि इस का चेहरा काला पड़ाहुआ है. यह इस की स्वाभाविक त्वचा नहीं है क्योंकि इस की कलाइयां गोरी हैं.

“यह बहुत कठिनाइयों और बीमारियों से गुजरा है, जैसा कि कुम्हलाया हुआ चेहरा साफ बताता है. इस का बायां हाथ जख्मी है. वह बिलकुल अकड़ा हुआ है और वह उसे अस्वाभाविक रूप से रखता है. अयनवृत्तों में कौन से स्थान पर एक अंगरेज सेना का डाक्टर इतनी कठिनाइयां देखता और हाथ जख्मी करता? साफतौर पर अफगानिस्तान में.’ विचारों की इस पूरी प्रक्रिया ने एक क्षण भी नहीं लगाया, फिर मैं ने टिप्पणी की कि तुम अफगानिस्तान से आए हो और तुम आश्चर्य में पड़ गए.”

“जब तुम समझा रहे हो, तो यह बहुत सरल लग रहा है,” मुसकराते हुए मैं ने कहा, “तुम मुझे एडगर एलन पो के ड्यूपिन की याद दिलाते हो. मुझे मालूम नहीं था कि कहानियों के बाहर भी ऐसे व्यक्ति होते हैं.”

शरलॉक होम्स उठा और उस ने अपना पाइप सुलगाया. “इस में कोई शक नहीं कि तुम सोच रहे हो कि ड्यूपिन से मेरी तुलना कर के तुम मेरी प्रशंसा कर रहो हो,” उस ने टिप्पणी की. “मेरे विचार से ड्यूपिन बेहद घटिया व्यक्ति था. पंद्रह मिनटों की चुप्पी के बाद किसी अनुकूल टिप्पणी द्वारा अपने मित्र के विचारों को तोड़ने की उस की चालाकी बड़ी दिखावटी और खोखली है. बेशक उस में विश्लेषण की बुद्धि थी, पर किसी भी तरह वह उतना भी अपूर्व नहीं था. जैसी वह कल्पना करता प्रतीत होता था.”“क्या तुम ने गैबोरियाओ के कामों को पढ़ा है?” मैं ने पूछा. “क्या लिकौक तुम्हारी जासूस की कल्पना पर खरा उतरता है?”

शरलॉक होम्स ने तिरस्कार की सांस छोड़ी. “लिकौक एक अभागा एवं फूहड़ व्यक्ति था,” उस ने गुस्से भरी आवाज में कहा, “उस की तारीफ में सिर्फ एक ही बात थी और वह थी उस की ऊर्जा. उस किताब से मैं वास्तव में बीमार पड़ गया था. प्रश्न यह था किसी अनजाने कैदी की पहचान कैसे की जाए. मैं इस काम को चौबीस घंटों में कर देता. लिकौक को लगभग छह महीने लग गए. उसे जासूसों की पाठ्यपुस्तक में लिख देना चाहिए कि उन्हें किनकिन बातों को नजरअंदाज करना चाहिए.”

दो चरित्रों को, जिन का मैं प्रशंसक था, इस प्रकार तिरस्कृत किए जाने से मुझे गुस्सा आने लगा. मैं खिड़की तक गया और व्यस्त सड़क को देखने लगा. ‘यह शख्स बहुत होशियार भले ही हो,’ मैं ने अपने से कहा, ‘पर वास्तव में यह बहुत घमंडी है.’

“आजकल न अपराध होते हैं, न अपराधी,” लड़ने के अंदाज में वह बोला. “हमारे पेशे में दिमाग का क्या फायदा है? मैं अच्छी तरह जानता हूं कि मेरे अंदर वह बात है, जो मेरे नाम को प्रसिद्ध कर सकती है.

“अपराध की खोज में जितना अध्ययन मैं ने किया है और जितना मुझ में प्राकृतिक हुनर है, उतना किसी भी जीवित व्यक्ति के पास नहीं है और न पहले कभी किसी के पास रहा होगा और इस का परिणाम क्या निकला?अब ढूंढ़ने के लिए कोई अपराध नहीं है या फिर अधिक से अधिक कोई फूहड़ता से किया गया अपराध होता है, जिस का उद्देश्य इतना पारदर्शी होता है कि स्काटलैंड यार्ड का अधिकारी भी उस को आरपार देख सकता है.”

बातचीत करने के उस के इस घमंडी अंदाज से मैं अब भी चिढ़ा हुआ था. मैं ने सोचा कि बातचीत का विषय बदल देना ही सब से अच्छा होगा.

“मैं सोच रहा हूं कि वह आदमी क्या ढूंढ़ रहा है?” मैं ने सादा कपड़े पहने एक हट्टेकट्टे व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए पूछा, जो सड़क के उस पार धीरेधीरे चल रहा था और अंकों को चिंतित दृष्टि से देखता जा रहा था. उस के हाथ में एक बड़ा सा नीला लिफाफा था और स्पष्ट था कि वह किसी का संदेशवाहक था.

“तुम्हारा मतलब है समुद्री जहाज का अवकाशप्राप्त सारजेंट,” शरलॉक होम्स ने कहा.

‘साफतौर पर यह अपना ढिंढोरा खुद पीट रहा है,’ मैं ने सोचा, ‘यह जानता है कि मैं इस के अनुमान की पुष्टि नहीं कर सकता.’

यह विचार मेरे मन में आया ही था कि जिस व्यक्ति को हम देख रहे थे, उस आदमी की दृष्टि हमारे दरवाजे पर लगे नंबर पर पड़ी और वह जल्दी से सड़क पार करने के लिए दौड़ा. हम ने एक तेज दस्तक सुनी. नीचे एक गहरी और सीढ़ियां चढ़ते भारी कदमों की आवाज सुनाई पड़ी.

“मिस्टर शरलॉक होम्स के लिए,” कमरे में प्रवेशकरते हुए उस ने पत्र मेरे दोस्त को थमाते हुए उस ने कहा.

उस का घमंड दूर करने का यह एक अच्छा मौका था. हवा में उछाली गई टिप्पणी करते समय उस ने ध्यान नहीं दिया था. “क्या मैं पूछ सकता हूं,” मैं ने सपाट आवाज में कहा, “तुम्हारा पेशा क्या है?”

“नौसेना में हूं, सर,” उस ने रुखाई से कहा. “मेरी वरदी ठीक होने गई है.”

“और तुम क्या थे?” मैं ने अपने मित्र की ओर एक द्वेषपूर्ण दृष्टि डालते हुए पूछा.

“सारजेंट सर, रॉयल मैरीन लाइट इंफेंट्री सर.” कोई जवाब नहीं? “ठीक है सर.”

उस ने अपनी एड़ियां खटखटाईं, हाथ सेल्यूट में उठाया और वह जा चुका था.

Ravi KUMAR

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