हमारे देश में अंग्रेजों का शासन काल था। उस समय अपने देश में अंग्रेजो का शासन हुआ करता था। पूरे देश में उन्हीं की हुकूमत चला करती थी। वह अपनी मनमानी किया करते थे। अंग्रेज जिसकी चाहें उसकी जमीन हड़प ले, जिस पर चाहे कोड़े बरसायें, जिसको चाहें जेल में डाल दें। भारत की सारी जनता अंग्रेजों के इन अत्याचारों से तंग आ चुकी थी।
उन्हीं दिनों उत्तर भारत में भी एक अंग्रेज अफसर आया। उसने भी अन्य क्रूर अंग्रेज अधिकारियों की तरह लोगों पर अत्याचार करना आरंभ कर दिया। वहाँ की जनता उस अंग्रेज अफसर से उसके जुल्मों का बदला लेने के लिए आमादा थी। एक दिन जब वह अंग्रेज अपने घोड़े पर सवार होकर बिहारी चौराहे से होकर निकल रहा था कि गाँव के ही एक नवयुवक ने पीछे से आकर उस पर जानलेवा हमला कर दिया ।
उस नवयुवक के हाथ में उस समय एक कुल्हाड़ी थी। उसने अपनी कुल्हाड़ी से ही उस अंग्रेज का सिर धड़ से अलग कर दिया था। जिस किसी ने भी यह दृश्य देखा सन्न रह गया। सभी लोग उस नवयुवक की हिम्मत देखकर दंग रह गए। गांव वालों ने राहत की सांस ली। ग्राम वासियों ने सोंचा कि चलो अच्छा हुआ, वह जुल्मी अंग्रेज अफसर मारा गया। लेकिन उन गाँव वालों के सुख-शांति के दिन अधिक दिनों तक नहीं चल सके। थोड़े ही दिनों में गाँव में एक नयी मुसीबत ने जन्म लें लिया।
एक दिन की बात है कि जब गाँव के बल्लन चाचा अपने खेत से वापस घर लौट रहे थे। तो उन्होंने रास्ते में गाँव के पीपल के पेड़ पर कुछ लटका हुआ देखा। पीपल के पेड़ पर कोई चीज टंगी हुई देख कर उनकी जिज्ञासा बढ़ गई। उन्होंने सोचा कि आखिर वह क्या चीज है जो इस पीपल के पेड़ से लटकी हुई है।
बस यही जानने के लिए वह पीपल के पेड़ की ओर आगे बढ़े। लेकिन जैसे ही उस पीपल के पेड़ के पास पहुंचे तो दंग रह गए। उन्होंने देखा कि पीपल के पेड़ पर उस अंग्रेज की खोपड़ी टंगी हुई थी, जिसे उस नवयुवक ने बिहारी चौराहे पर कुल्हाड़ी से मार डाला था।
यह समाचार पूरे गाँव में आग की तरह फैल गया कि एक सिर कटा भूत गाँव के पीपल के पेड़ पर देखा गया है़। वह भूत उस अंग्रेज का है जिसको बिहारी चौराहे पर एक नवयुवक ने मौत के घाट उतार दिया था। लोगों के मन में तरह-तरह की भ्रांतियां फैल गयीं। कुछ लोग ने यह कहना शुरू किया कि मरने के बाद उस अंग्रेज को जमीन में दफनाने के बजाए आग में जला दिया गया था।
जिसके कारण उसकी आत्मा भटक रही है। तो कुछ कहते कि अपनी हत्या का बदला लेने के लिए उस अंग्रेज का सिर कटा भूत अपने गाँव में घूम रहा है। जितने मुँह उतनी बातें, लेकिन सच तो यही था कि लोग उस सिर कटे भूत से बहुत भयभीत हो गए थे। क्योंकि लोगों को इस बात का आभास हो गया था कि उनके गांव पर भूत का साया हो गया है। ऐसा खूनी साया, एक न एक दिन पूरे गाँव के लोगों का खात्मा कर डालेगा।
अब गाँव के आदमियों, बच्चों और स्त्रियों का जीना दूभर हो गया। गाँव वाले जिधर देखते उधर ही सिर कटा भूत नजर आने लगता था। सिर कटा भूत लोगों के पीछे पड़ जाता था। ऐसा लगता था कि वह सिर कटा भूत गाँव के हर व्यक्ति का सिर धड़ से अलग कर देना चाहता है़ ताकि सारे ग्रामवासी भी उसकी तरह सिर कटे भूत की तरह भटकें। उस सिर कटे भूत ने गाँव में आतंक मचा रखा था।
एक बार गाँव के एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी कुर्सी पर बैठकर अखबार पढ़ रहे थे कि कहीं से वह सिर कटा भूत आ गया। उस सिर कटे भूत ने उन व्यक्ति को कुर्सी से ऊपर उठा लिया और फिर नीचे छोड़ दिया। जिसके कारण वह धड़ाम से जमीन पर जा गिरे। उनका सिर फूट गया। जिसके कारण उनका सिर खून-खून हो गया।
अब वह सर कटा भूत गांव वालों की छत पर मंडराता रहता था और अपनी खौफनाक आवाज से लोगों को भयभीत करता रहता था। एक बार गाँव के एक व्यक्ति अपनी छत पर किसी काम से चढ़े थे कि तभी कहीं से वह सर कटा भूत उनकी छत पर आ गया। जिसे देखकर वह मारे डर के चिल्लाते हुए इधर-उधर भागने लगे। उनकी छत पर चारदीवारी भी नहीं थी इसलिए वह छत पर से नीचे जा गिरे और उनकी हड्डी-पसली टूट गई ।
अब गाँव वाले बहुत परेशान थे। वह ऐसा उपाय सोचने लगे जिससे कि सर कटे भूत से मुक्ति मिल सके। एक दिन एक तांत्रिक को गाँव में बुलाया गया। उस तांत्रिक ने अपने तंत्र विद्या के बल पर उस सिर कटे भूत को बुला तो लिया लेकिन वह उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाये। बल्कि उस सिर कटे भूत ने अपना सिर तेजी से उस तांत्रिक के सर से टकराया। जिसके कारण वह तांत्रिक बेहोश हो गया। उसे किसी तरह होश में लाया गया
एक दिन एक लोहार ने इस सिर कटे भूत से गांव वालों को मुक्ति दिलाने के लिए एक उपाय सोचा।
इतने दिन में लोगों ने उस सिर कटे भूत से संबंधित कुछ बातें जान ली थी। जैसे यह सिर कटा भूत उस व्यक्ति पर जरूर अटैक करता था जो काले रंग के कपड़े पहनता है़। ऐसा लगता था कि उस अंग्रेज के भूत को काले रंग से सख्त नफरत थी।
उस दिन गाँव के एक लोहार ने उस सिर कटे भूत से मुक्ति पाने के लिए एक उपाय करने के बारे में कुछ सोचा। उसने अपनी योजना के अनुसार काले कपड़े पहन लिए, जिससे की वह उस सिरकटे भूत को अपनी और आकर्षित कर सके। उसे यह विश्वास था काले रंग के कपड़े पहनकर छत पर बैठने से वह सिर कटा भूत उसकी छत पर अवश्य आएगा ।
उस लोहार का अनुमान सही निकला। थोड़ी देर में वह सिर कटा भूत खौफनाक आवाज निकालता हुआ उस लोहार की छत पर आ गया और जान से मार डालने के लिए उस पर हमला करने लगा। लोहार अपनी छत से अपने घर के अंदर भागा। लोहार के घर के अंदर भागते ही वह सिर कटा भूत भी उसके पीछे-पीछे भागा ।
लोहार अपने घर के उस स्थान में पहुँच गया। जहाँ उस लोहार की भट्टी जल रही थी। जैसे ही वह सिर कटा भूत लोहार की भट्टी वाले स्थान पर आया। तुरंत तब उसने एक हिमालय के तांत्रिक द्वारा दी गई पुड़िया उस भट्टी में डाल दी। उस पुड़िया के आग में डालते ही एक भयंकर विस्फोट हुआ। लोहार की भट्ठी से आग की ज्वाला चारों ओर फैल गयी। जिसमें उस सर कटे भूत का सिर उस आग में जलने लगा और देखते ही देखते सिर कटे भूत की खोपड़ी राख में बदल गई।
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