लोककथा भाग 7

बहुत पुराने समय की बात है एक बहुत ही प्यारा इंसानो की भाषा बोलने वाला सुग्गा था। वह एक किसान के घर के आँगन के नीम के पेड़ पर रहता था। किसान रोज़ सुबह उसे खाने के लिए पहले कुछ फल देता बाद में खुद खाता था। किसान खेत में चले जाने के बाद सुग्गा रोज़ उड़ते-उड़ते ब्रह्माजी के दरबार तक पहुँचता था और दरबार के बाहर जो नीम का पेड़ था, उस पर बैठकर ब्रह्माजी की सारी बातें सुना करता था। शाम होते ही सुग्गा उड़ता हुआ किसान के पास पहुँचता और ब्रह्माजी के दरबार की सारी बातें उसे सुनाया करता था।

एक दिन सुग्गे ने सुना कि ब्रह्माजी कह रहे हैं कि इस साल बारिश नहीं होगी। अकाल पड़ जायेगा। उसके बाद ब्रह्माजी ने कहा – “पर पहाड़ो में खूब बारिश होगी।”
शाम होते ही सुग्गा किसान के पास आया और उससे कहा – “बारिश नहीं होगी, अभी से सोचो क्या किया जाये”।
किसान ने खूब चिन्तित होकर कहा – “तुम ही बताओ दोस्त क्या किया जाये”।
सुग्गे ने कहा – “ब्रह्माजी ने कहा था पहाड़ों में जरुर बारिश होगी। क्यों न तुम पहाड़ पर खेती की तैयरी करना शुरु करो?”

किसान ने उसी वक्त पहाड़ पर खेती की तैयारी की। आस-पास के लोग जब उस पर हँसने लगे, उसे बेवकूफ कहने लगे, उसने कहा – “तुम सब भी यही करो। सुग्गा मेरा दोस्त है, वह मुझे हमेशा सही रास्ता दिखाता है” – पर लोगों ने उसकी बात नहीं मानी। उस पर और ज्यादा हँसने लगे।
उस साल बहुत ही भयंकर सूखा पड़ा।

वह किसान ही अकेला किसान था जिसके पास ढेर सारा अनाज इकट्ठा हो गया। देखते ही देखते साल बीत गया इस बार सुग्गे ने कहा – “ब्रह्माजी का कहना था कि इस साल बारिश होगी। खूब फसल होगी। पर फसल के साथ-साथ ढेर सारे कीड़े पैदा होगें। और कीड़े सारी फसल के चौपट कर देंगे।”

इस बार सुग्गे ने किसान से कहा – “इस बार पहले से ही तुम मैना पंछी और छछूंदरों को ले आना ताकि वे कीड़ों को खा जाये।”

किसान  जब ढेर सारे छछूंदरों को ले आया और मैना और दूसरे पंछी को ले आया, आसपास के लोग उसे ध्यान से देखने लगे – पर इस बार वे किसान पर हंसे नहीं।
इस साल भी किसान ने अपने घर में ढेर सारा अनाज इकट्ठा किया।

इसके बाद सुग्गा फिर से ब्रह्माजी के दरबार के बाहर नीम के पेड़ पर बैठा हुआ था जब ब्रह्माजी कर रहे थे – “फसल खूब होगी पर ढेर सारे चूहे फसल पर टूट पड़ेगे।”
कौए ने किसान से कहा – “इस बार तुम्हें बिल्लियों को न्योता देना पड़ेगा – एक नहीं, दो नहीं, ढेर सारी बिल्लियाँ”।

इस बार आस-पास के बाकी किसानों ने भी बिल्लियों को ले आये।
इसी तरह पूरे गाँव में ढेर सारा अनाज इकट्ठा हो गया।
इस तरह सुग्गे ने सबकी जान बचाई।

–:समाप्त

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