गुल्‍ली-डंडा

हमारे अँग्रेजी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूँगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है। अब भी…

4 वर्ष ago

रसिक संपादक

'नवरस' के संपादक पं. चोखेलाल शर्मा की धर्मपत्नी का जब से देहांत हुआ है, आपको स्त्रियों से विशेष अनुराग हो…

4 वर्ष ago

घासवाली

मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखो में…

4 वर्ष ago

लांछन

अगर संसार में ऐसा प्राणी होता, जिसकी आँखें लोगों के हृदयों के भीतर घुस सकतीं, तो ऐसे बहुत कम स्त्री-पुरुष…

4 वर्ष ago

कामरूपी

हेलन अभी कच्ची उमर की ही है। शीशे के सामने अठखेलियाँ करती नाच रही है। सड़क के आवारा छोकरों को…

4 वर्ष ago

हिन्दुस्तान छोड़ दो

’साहब मर गया जयंतराम ने बाजार से लाए हुए सौदे के साथ यह खबर लाकर दी। 'साहब- कौन साहब? 'वह…

4 वर्ष ago

भगत की गत

उस दिन जब भगतजी की मौत हुई थी, तब हमने कहा था- भगतजी स्वर्गवासी हो गए। पर अभी मुझे मालूम…

4 वर्ष ago

कबीर के दोहे

दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोयजो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय तिनका कबहुँ…

4 वर्ष ago

आयाम के भवर

रवि बहुत ही ज्यादा खुस था आज उसके पापा ने नए घर मे शिफ्ट होने का फैसला जो कर लिया…

4 वर्ष ago

भूतों का खेल

रात होने से पहले गाँव के सभी मुसलमान, लगभग पचास लोग, मर्द, औरतें और बच्चे, गाँव के एक छोर पर…

4 वर्ष ago

गुनाहों का देवता 3

आज कितने दिनों बाद तुम्हें खत लिखने का मौका मिल रहा है। सोचा था, बिनती के ब्याह के महीने-भर पहले…

4 वर्ष ago

गुनाहों का देवता 2

'अबकी जाड़े में तुम्हारा ब्याह होगा तो आखिर हम लोग नयी-नयी चीज का इन्तजाम करें न। अब डॉक्टर हुए, अब…

4 वर्ष ago

गुनाहों का देवता

अगर पुराने जमाने की नगर-देवता की और ग्राम-देवता की कल्पनाएँ आज भी मान्य होतीं तो मैं कहता कि इलाहाबाद का…

4 वर्ष ago

विलासी

- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय पक्का दो कोस रास्ता पैदल चलकर स्कूल में पढ़ने जाया करता हूँ। मैं अकेला नहीं हूँ, दस-बारह…

4 वर्ष ago

भाभी

भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी। भैया…

4 वर्ष ago

ब्रह्मराक्षस का शिष्य

उस महाभव्य भवन की आठवीं मंजिल के जीने से सातवीं मंजिल के जीने की सूनी-सूनी सीढियों पर उतरते हुए, उस…

4 वर्ष ago

गड़रिया

सर्दी की एक अँधेरी रात की बात है मैं अपने गर्म बिस्तर पर सर ढके गहरी नींद सो रहा था…

4 वर्ष ago

गोडसे@गांधी.कॉम

पात्र मोहनदास करमचंद गांधी, नाथूराम गोडसे, बावनदास (फणीश्‍वर नाथ रेणु के उपन्‍यास 'मैला आँचल' का पात्र) सुषमा शर्मा (दिल्‍ली की…

4 वर्ष ago

संग्राम

पहला दृश्य  प्रभात का समय। सूर्य की सुनहरी किरणें खेतों और वृक्षों पर पड़ रही हैं। वृक्षपुंजों में पक्षियों का…

4 वर्ष ago

सती मैया का चौरा 6

मन्ने उठ खड़ा हुआ और तेज़-तेज़ क़दम रखता घर से बाहर हो गया। खाने-पीने के अलावा घरेलू ज़िन्दगी से मन्ने…

4 वर्ष ago

सृष्टि

(अदन की वाटिका, तीसरे पहर का समय। एक बड़ा सांप अपना सिर फूलों की एक क्यारी में छिपाये हुए और…

4 वर्ष ago