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यह कहानी दो शिशुओं पर आधारित है । एक का नाम था सीत और दूसरे का बसन्त । दोनों भाई और बहन थे ।

एक समय की बात है । एक नगर के वासी बहुत प्रसन्न थे । न कोई भूखा और न कोई प्यासा था । वहाँ हर प्रकार की सुख-सुविधा थी। किन्तु महल में कोई खुशहाली न थी । रानी की गोद बरसों बाद भी भारी न हुई । प्रजा से राजा का दुख देखा न गया । उनके अनुरोध पर राजा ने दूसरी शादी की, फिर भी राजा की आस पूरी न हुई । वंश और कूल को बढ़ाने के लिए राजा ने सात शादियाँ कीं । तब जाकर सातवीं रानी से राजा की इच्छा दुगनी पूरी हो गई । रानी ने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया । रानी के दो बच्चे जैसे हीरे के दो टुकड़े थे । राजा के दोनों कलेजे के टुकड़े थे । रानी भी राजा से अपार प्रेम करते थे ।

परन्तु उन छ: रानियों से उनका सुख देखा न गया । ऐसा लगता था जैसे उनके कलेजे में साँप लोट रहा हो । छ: रानियों को कलियों का खिलना रास न आया । एक दूसरे से सलाह कर, उन्होंने एक व्यक्ति को स्वर्णमुद्राएँ और माला का लोभ दिया । वह व्यक्ति बच्चों को जंगल में ले गया और वहीं उनकी हत्या कर ज़मीन में उनकी लाश गाड़ दी ।

मृत्यु शैया के पास घाटी से दो कमल फूल खिले । उन फूलों पर सबसे पहले एक लकड़हारे की दृष्टि पड़ी । वह उन फूलों को तोड़कर राजा को भेंट करना चाहता था । किन्तु ज्योंही वह फूल तोड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाता, फूल अदृश्य हो जाता । उसने राजा के पास जाकर इस अद्भूत घटना का वर्णन किया । किसी को भी इस बात का विश्वास नहीं हुया । जादू के फूल तोड़ने केलिए पहले मंत्री गया, फिर सेनापति । उनके पास जाते ही फूल डालें पाते आकाश में लग जाते ।

वे दोनों पुष्प और कोई न थे, वे सीत और बसन्त थे । उन्हें अपनी माँ का इन्तज़ार था । राजा ने उनकी माँ को गलत समझकर त्याग दिया था इसलिए राजा उनकी नज़रों में दोषी थे । जब सभी असमर्थ होकर लौटे तो राजा ने राज ज्योतिषी को भेजा । ज्योतिषी बड़ा अहंकारी था क्योंकि उनकी हर भविष्यवाणी सत्य प्रमाणित हुई थी । बच्चों ने उसका अभिमान तोड़ने की सोची । ज्योंही वह आगे बढ़ता, फूल आँखों से ओझल हो जाते । ज्योतिषी क्रोधित होकर, तांत्रिक विद्या द्वारा फूलों को बन्दी बनाकर राजा के पास ले जाना चाहता था ।

तब सीत और बसन्त ने बताया कि जिस महाराज को वे वीर और प्रतापी मानते हैं, उन्होंने अपनी निर्दोष छोटी रानी को महल से निकाल दिया है । ज्योतिषी राजा के पक्ष में कहा कि रानी लापरवाही न करती तो बच्चे गायब न होते । तब सीत और बसन्त ने ज्योतिषी को राजा की छहों रानियों के कुचक्र के बारे में बताया । किस तरह उन्होंने छोटी रानी से ईर्ष्यावश बच्चों की हत्या करवाई । ज्योतिषी को जब पता चला कि जिस जगह वह खड़ा था, उन मासूम बच्चों की हत्या हुई थी तो उसे बड़ा दुख हुआ । पूरे राज्य की ओर से उसने दोनों से क्षमा माँगी ।

सीत और बसन्त अपनी माँ का पता जानने के लिए व्याकुल थे किन्तु किसी को भी पता न था कि रानी राजमहल से कहाँ गई । इधर महाराज को एक अद्भूत स्वप्न आया जिसमें एक लड़का और एक लड़की उनसे कठोर स्वर में बातें कर रहे थे । वे राजा से कह रहे थे कि उन्हें न राजा का धर्म और न पिता का धर्म निभाना आता है । राजा को अपनी गलती का अहसास हुया । वे सोचने लगे , कहीं छोटी रानी के साथ धोखा तो नहीं हुआ । दूसरे दिन महल में माली ने भी आकर राजा से फूलों का अलौकिक वर्णन किया ।

महाराज ने सभा बुलाकर उस गंभीर समस्या पर विचार किया । ज्योतिषी ने महाराज को सुझाव दिया कि महारानी को भेजना अत्युत्तम होगा क्योंकि स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से अपनापन होता है । सभासदों के परामर्श पर महारानी को जंगल भेजा गया । महारानी के दिल में खोट थी । फूलों के पास जाने पर उनका कठोर दिल काँपने लगा । डर कर वह वापस लौट आई । राजा बीमार पड़ गये । वे स्वयं जाने के लिए तैयार हुए ।

राज-रथ आते देख सीत और बसन्त आपस में बात करने लगे । सीत ने कहा कि भाई-बहन का रिश्ता उन्हें कई जन्मों के पुण्य से मिला है । तब बसन्त को उस शाप की याद आई जो एक ऋषि ने उनके भाई-बहन के प्यार को देख कर ईर्ष्यावश दिया था । शाप में उनकी हत्या होनी थी और उनकी माँ को अकारण दण्ड मिलना था । बाद में ऋषि को पछतावा हुआ था । उन्होंने कहा कि उनकी बिछड़ी हुई माँ मिल जायेगी ।

राजा जब समीप आए तो उन अद्भूत और विशेष फूलों को देख प्रसन्न हुए । उन्हें भी फूल प्राप्त करने की इच्छा हुई । उन्हें तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाए वे विस्मयकारी ढंग से आकाश में उड़ गए । राजा को अपनी गलती का अनुमान हो चुका था । फूलों के रहस्य को सुलझाने से पहले वे धरती से जाना नहीं चाहते थे इसलिए वे अपने राजमहल वापस लौट आये ।

ऋषि के शाप के टलने का समय आ चुका था । निर्दय रानियों के बुरे दिन आ गये थे । ज्योतिषी ने महाराज से छोटी रानी की तलाश का निवेदन कया । छोटी रानी को फूलों के पास भेजने से ही उनका रहस्य खुल सकता था । ढूंढने पर पता चला कि रानी सोनपुर ज़मींदार के यहाँ कौआ हँकनी के रूप में काम कर रही है । उन्हें महल में लाया गया । रानी का दम महल में घुट रहा था । वह जंगल में लौट जाना चाहती थी । राजा ने अपना अपराध स्वीकार कया । रानी को अपने बच्चों की याद दिलाई ।

तब रानी साधारण कपड़ों में जंगल की ओर प्रस्थान कर गई । उन्हें सोना-चांदी, महल, राज-सम्मान का मोह न था । उन्हें सिर्फ सीत-बसन्त की चाह थी । वह नंगे पांव दिल में आस लिए जंगल की ओर चल पड़ी । सीत और बसन्त माँ को आते देख खुश होकर उनके गले मिले । रानी की ममता की जीत हुई ।

माँ से मिलने के बाद वे महल लौटना नहीं चाहते थे । माँ ने कहा कि दुनिया को सच्चाई बताने के लिए उन्हें महल वापस जाना होगा । रानी को खुशी हुई जब महाराज ने सीत और बसन्त को पहचान लिया । राजा की खुशी का ठिकाना न था । उन्होंने जो खोया था, पूरा पा लिया । छोटी रानी का दम महल में घुट रहा था । उसने महाराज से आज्ञा मांगी । महाराज ने छोटी रानी को राजमहल, राजगद्दी के उत्तराधिकारी का वास्ता दिया । बसन्त अपनी माँ के अलावा और कुछ नहीं चाहता था । महाराज हर तरह से प्रायश्चित करने के लिए तैयार थे । उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों से कहा कि यदि वे चले गये तो वे आत्महत्या कर लेंगे । इस पर बच्चों का दिल पिघल गया । उनके मिलने पर चारों तरफ खुशहाली छा गई ।

महाराज हर प्राणी को जिन्होंने यह काण्ड रचा था, दण्ड देना चाहते थे । छोटी रानी उन सब को क्षमा दान देना चाहती थी । किन्तु महाराज के लिए वे क्षमा योग्य नहीं थे । राजा उन्हें ऐसी सज़ा दिलाना चाहते थे जिससे देखने और सुनने वालों का दिल दहल जाए । वे राज्य के हर प्राणी को सुखी देखना चाहते थे । सबका साथ पाकर महाराज ने राज ज्योतिषी द्वारा गायक बुलवाए और खुशी के गीत से पूरा वातावरण गूंज उठा ।

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