सबसे बड़ा दुश्मन “क्रोध”

डरावनी चुड़ैल की कहानी

परिचय

गौरव अपने माता पिता और भाई बहनों का लाडला।बचपन से ही पढ़ाई लिखाई ही नहीं हर चीज़ में अव्वल था।माता पिता का गर्व और भाई बहनों की आंखों का तारा था।हमेशा ही स्कूल में अव्वल दर्जे से पास होता।कभी किसी टीचर की शिकायत घर नहीं आती ,जब भी आती तारीफ ही आती थी।
दो बहनों और एक भाई के बाद सबसे छोटा पुत्र था।छोटा होने के कारण भी सबका प्यारा था।

पढ़ाई पूरी करने के बाद ही उसकी नौकरी एक बहुत ही अच्छे मल्टीनेशनल कंपनी में लग गयी।उसके माता पिता को यह जानकर बहुत खुशी हुई।उन्होंने सारे गांव में मिठाई बांटी।गौरव के ऊपर घर की बहुत सारी जिम्मेदारी भी थी।गरीब परिवार में पला बढ़ा गौरव के ऊपर बड़ी बहनों की शादी,पुराने टूटे फूटे घर का जीर्णोद्धार ,बड़े  भाई को आर्थिक मदद उसके बिज़नेस के लिए ये सारा कुछ करना था।

गौरव को नौकरी जॉइन करने दिल्ली जाना था।वो अपने माता पिता और बड़ो का आशीर्वाद लेकर एक नए शहर की ओर निकल पड़ा।वहाँ जाकर उसने कंपनी जॉइन करली और मन लगाकर काम करने लगा।कुछ ही सालो में अपनी प्रतिभा और लगन के बदौलत कंपनी में एक अच्छी पोस्ट पर काबिज हो गया।कंपनी की तरफ से उसे एक आलीशान घर भी रहने के लिए मिल गया।जहाँ उसने अपने भाई बहनों और माता पिता को भी बुला लिया।

कुछेक सालो में कुछ पैसे जोड़कर गौरव ने अपनी दोनों बहनों की शादी बड़े धूमधाम से करवा दी।गांव के घर की मरम्मत भी करवा दिया और अपने बड़े भाई को खूब सारी आर्थिक सहायता भी प्रदान कर दिया।बड़े भाई ने अपने कौशल से अपने बिज़नेस को खूब बढ़ाया और गौरव के घर के पास ही नया घर लेकर उसमें परिवार समेत शिफ्ट हो गया।

ये सबकुछ करते हुए समय कब पंख लगाकर उड़ गया उसे पता ही नहीं चला कब उसकी उम्र 40 पार कर गयी।खैर उसे संतोष था उसने अपनी सारी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह से निबटा दी।

मैट्रीमोनी से शादी

अब उसके घर वाले भी गौरव के शादी के लिए फोर्स करने लगे।गौरव की इच्छा तो नहीं थीं मगर समाजिक तानेबाने और घरवालों की खुशी के लिए उसने हा कर दिया।उसके पिताजी और भाई ने रिस्ते की कई जगह बात चलाई मगर कोई बात नहीं बनी।बहनों ने भी हाथ पैर मारे मगर जान पहचान में उसके लायक कोई रिश्ता नहीं मिला।

बड़ी उम्र के कारण अच्छे रिश्ते तो रह नहीं गए थे और जो मिलती थी तो परित्यक्ता या किसी तरह की कमियों के साथ।बहने अपने देव तुल्य भाई के लिए कोई अप्सरा ही ढूंढ रहीं थीं तो उनके पास ज्यादा ऑप्शन नहीं मिले।

किसी ने उन्हें मारिमोनीअल साइट पर लड़की देखने की सलाह दी।आनन फानन में बहनों ने परिवारिक सहमति से भाई की एक अच्छी प्रोफाइल बनाया और कुछ साइट पर डाल दिया।अब दिनमें कुछ समय निकाल कर वो ऑनलाइन ही लडकिया देखना और पसंद नापसंद करने लगे।

कुछ लड़कियों की प्रोफाइल उन्होंने पसंद करी और बात आगे बढ़ाई।पर अब भी कोई बात बनते नज़र नही आ रही थी।एक दिन ऐसे ही सर्च करते हुए उन्हें एक खूबसूरत लड़की दिखी।उन्होंने उसकी प्रोफाइल देखा।थी तो वो बहुत ही खूबसूरत।घर खानदान भी अच्छा था।पर उम्र में गौरव से पन्द्रह साल छोटी थी।बहनों ने सोचा चलो बात आगे बढ़ाते हैं देखते है।शायद बात बन ही जाये।

उन्होंने प्रोफाइल में दिए हुए नंबर पर कॉल किया उधर से मनीषा ने फोन उठाया।मनीषा ही वो लड़की थी जिसके प्रोफ़ाइल को उन्होंने पसंद किया था।उन्होंने उससे बात की और अपने भाई के बारे मे बताया।और मनीषा के बारे में भी बहुत कुछ पूछा।मनीषा ने अपने परिवार वालो से बात करके जो भी निर्णय होगा बताएगी।ऐसा कहकर उसने फोन रख दिया।

अब गौरव के घर वाले बड़ी बेसब्री से मनीषा की तरफ से आने वाले जबाब का इंतजार करने लगे।इधर मनीषा के घरवाले गौरव का प्रोफ़ाइल देख कर बहुत खुश हो गए।बस उन्हें एक ही चीज़ की कमी लग रही थी दोनो के बीच उम्र का फासला। मगर गौरव की वित्तीय स्थिति को देखकर लड़की वालों ने झट मंगनी पट व्याह करना चाह रहे थे।

मनीषा के दिल में तो कोई और बसा हुआ था उसने शादी से मना करना चाहा पर घरवाले एक सम्पन जमाई को खोना नहीं चाहते थे।मनीषा जिसे पसंद करती थी वो अबतक निखट्टू ही था

मनीषा के न चाहते हुए भी उसके घरवालों और गौरव के घरवालों के सहमति से उनका विवाह का दिन तय हो गया।
विवाह वाले दिन भी मनीषा ने बहुत कहा सुना मगर उसकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।मनीषा क्या करती उसके सपने का राजकुमार तो निखट्टू था वो उसके साथ भाग भी नहीं सकती थी।मनीषा एक ब्यवहारिक लड़की थी उसे प्यार की अठखेलियाँ तो भाती थीं लेकिन उसे बिना पैसे के जीवन का संघर्ष भी पता था।अंततः उसने इसे अपनी नियति मानकर विवाह को राजी हो गई।

खुशहाल जीवन

शादी होने के बाद गौरव के खुशियों का पारावार नहीं था।मनीषा के रूप में इतनी सुंदर पत्नी पाकर वो निहाल हो गया था।उसने जितने भी सपने अपने जीवनसाथी के बारे मे देखे थे या अबतक जितनी भी खूबसूरत लड़कियों को उसने देखा था मनीषा उन सबसे बढ़कर थी।उसे अपनी किस्मत पर रस्क होने लगा था।वो अबतक यकीन नहीं कर पा रहा था कि मनीषा सी खूबसूरत लड़की उसकी बिबी है।

आज गौरव की सुहागरात थी।हमउम्र चाचियां और भाभियां उसे छेड़ रहीं थीं।इनसब की परवाह न करते हुए गौरव अपने कक्ष में जाने के लिये उतावला हो रहा था।उसे लग रहा था जैसे उसकी तपस्या का फल भगवान ने उसे मनीषा के रूप में दे दिया है।

आखिरकार एक लंबे इंतजार के बाद उसे उसके सुहाग कक्ष में जानो का मौका मिला ।रात के दस बज गए थे।उसने सकुचाते हुए कमरे में प्रवेश किया ,उसने कमरे में आने से पहले ही सुहागरात की कल्पना सजा रखी थी मनीषा सेज पर बैठी घूंघट में शर्माते हुए उसका इंतज़ार कर रही होगी।मगर कमरे में पहुचने पर उसको आश्चर्य हुआ।मनीषा साड़ियों को निकाल कर नॉर्मल गाउन में थी और मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी।गौरव को देखते ही उसने फ़ोन रख दिया और अनमने ढंग से बेड पर बैठ गई।

गौरव को ये थोड़ा अजीब लगा।पर उसने सोचा हो सकता है मनीषा मॉडर्न विचारों की हो ये सुहागरात में घूंघट उसे पुराने जमाने के बकवास लगते हो।या फिर गर्मी से परेशान होकर ड्रेस चेंज कर लिया हो।अपने आपको दिलासा देते हुए वो मनीषा के पास गया और मुह दिखाई के लिए लाया हुआ कीमती नेकलेस निकाल कर मनीषा को दे दिया।मनीषा वो नेकलेस लेकर घंटो उसे पहनकर आईने में निहारती रही।नेकलेस था ही इतना खूबसूरत।मनीषा की खूबसूरती पे चार चांद लग रहा था।

गौरव मनीषा को जी भरकर निहारता रहा।मनीषा इस नेकलेस को पाकर बहुत खुश थी ।उसने उसी खुसी के झोंके में गौरव को गले लगा लिया। 

मनीषा ने गौरव से पूछा “हम हनीमून मनाने कहाँ जा रहे हैं?
गौरव ने बताया हम चार दिनों के बाद स्विट्ज़रलैंड जा रहे हैं हनीमून के लिए।ये सुनकर मनीषा मानो सपनों की दुनिया मे खो गयी।मानो अभी ही वो स्विट्जरलैंड की वादियों में पहुँच गयी हो और वहाँ के नज़ारों का आनंद लें रही हो।

गौरव को मनीषा का वर्ताव थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन उसने उसे ज्यादा तूल नहीं दिया।सोचा घरवालों से दूर आयी है तो थोडी परेसान है।गौरव भी शादी के भागदौड़ में काफी थक गया था तो बिस्तर पर लेटते ही नींद की आगोश में चला गया।मनीषा पता नहीं किस किस से सारी रात व्हाट्सएप चैट करती रही।

अगले कुछ दिनों तक घर की औरतों ने नई नवेली दुल्हन को पलको पर बिठाकर रखा ।चार दिन के बाद गौरव और मनीषा स्विट्जरलैंड को निकल पड़े।वहाँ पर वे अपना हनीमून मनाने के बाद जब वापस आये तो घर मे रौनक आ गई थी।ज्यादातर रिस्तेदार अपने अपने घर को प्रस्थान कर चुके थे।उनकी माँ पिताजी अपने बड़े बेटे के पास चले गए थे और बहने अपनी अपनी ससुराल।

दोनो बड़े ही खुशी पूर्वक इस एकांत में जी रहे थे।गौरव का ऑफिस आना जाना शुरू हो गया था।मनीषा भी बीच मे एकाध बार मायके हो आयी थी।

गौरव जब ऑफिस चला जाता तब मनीषा घर में अकेली रह जाती थी।अकेले बोर हो जाती थी।कुछ खास काम तो उसे था नहीं।दिनभर किसी न किसी से फोन पर बाते करते रहती या फिर टीवी देखती रहती थी।शाम को गौरव के लौटने के बाद उसके लिए खाना बनाती और फिर वे दोनों खा पीकर सो जाते।

ऐसे ही नीरस सी जिंदगी चल रही थी।नई नई शादी का सम्मोहन भी धीरे धीरे खत्म होते जा रहा था।कुछ ही समय बाद मनीषा का व्यवहार भी बदलने लगा।अब उसे इस नीरस जिंदगी से उबन होने लगी थी।

गौरव को मनीषा के बदलते व्यवहार को देखकर चिंता होने लगी।उसे लगा शायद उम्र का फासला इनके रिश्ते में दरार पैदा कर रही है।गौरव अपनी तरफ से पूरी कोशिस करता कि मनीषा को खुश रखे मगर उसे कोई सफलता मिलती दिख नही रही थी।

इधर मनीषा के फ़ोन पर वक़्त बेवक्त फ़ोन आता रहता।गौरव से दूर जाकर मनीषा का फोन पर घण्टो बात करना गौरव को अजीब लगता था। अब गौरव के घर आने पर मनीषा उसपे ज्यादा ध्यान नहीं देती,वो बस अपने काम से काम रखती। 
गौरव एक दिन ऑफिस से जल्दी घर आ गया और कई बार डोरबेल बजाने के बाद मनीषा ने दरवाज़ा खोला।मनीषा सामने गौरव को देखकर थोड़ी आश्चर्य चकित रह गई।उसने पूछा “आज इतनी जल्दी कैसे आ गए?”
गौरव का मूड वैसे ही खराब था वो बिना कुछ बोले अंदर आ गया।अंदर आकर उसने ड्राइंग रूम में किसी अजनबी इंसान को बैठे देखा।उसे देखकर उसका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया।मगर खुद को संभाला और बिना कुछ बोले अंदर बेडरूम में चला गया।

थोड़ी देर बाद आगंतुक को विदा कर मनीषा बेडरूम में आयी। “वो मेरे कॉलेज का मित्र था।यहाँ कुछ काम से आया था तो मुझसे मिलने आ गया” मनीषा ने कहा।गौरव ने कहा “मैंने तुमसे कब पूछा वो कौन है” मनीषा ने कहा “तुमने नहीं पूछा मगर तुम्हारी शक्ल से लग रहा है उसका आना तुम्हे पसंद नहीं आया।

मनीषा किचेन में चाय बनाने चली गयी।बात आई गई हो गयी।मगर गौरव के मन के किसी कोने में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा था।

ऐसी ही छोटी छोटी बाते उनकी ज़िंदगी में दूरियां ला रहीं थीं।एक दूसरे के साथ जिंदगी निभाने के सपने देखने वाले दो लोगो के बीच एक अनजानी सी खामोशी घर बनाने लगी थी।
जब हम खुलकर एक दूसरे से बात करते है तो बहुत सारी गलतफहमी खुद ब खुद खत्म हो जाती हैं लेकिन अगर खामोशी छा जाए तो विनाश निश्चित हो जाता है।ये दोनों भी आने वाले तूफान की इस खामोशी को पहचान नहीं पाए।

गौरव की बहन राधिका जो गौरव से बड़ी थी उसकी जिंदगी में भी तूफान आया हुआ था।उसके पति का अफेयर ऑफिस के किसी सहकर्मी के साथ चल रहा था।दोनो की तू तू मैं मैं रोजाना की बात हो गयी थी।बात इतनी बढ़ गयी कि दोनों ने तलाक का फैसला कर लिया।लेकिन गौरव नहीं चाहता था उनका तलाक हो।उसने बहन को अपने पास कुछ दिनों के लिए बुला लिया कि दोनों को समझा बुझाकर कोई न कोई हल वो निकाल ही लेगा।

उसकी बहन अब आकर गौरव के घर मे रहने लगी थी।गौरव शाम को ऑफिस से आता और अपने जीजाजी से फोन पर बाते करता ।उसके जीजाजी को अपनी गलती का एहसास हो गया था पर राधिका का दिल उस घर मे जाने का नहीं होता था।उस इंसान से हमेशा के लिए नफरत सी हो गई थी।

गौरव अब अपनी दीदी को समझाता मगर जितना वो समझाता उतनी ही उसकी दीदी रोती।गौरव ने सोचा शायद वक़्त दीदी जे घाव को भर देगा।उसने राधिका को समझना बन्द कर दिया और अपने जीजाजी से वायदा किया कि एक दो महीने में दीदी को मनाकर उनके पास भेज देगा।उसके जीजाजी शर्मिंदा थे।उन्होंने कहा “कोई बात नहीं गौरव, दो महीने बाद मैं खुद ही उसे लेने आ जाऊंगा, तबतक उसका गुस्सा ठंढा पड़ जायेगा”।

अब तीनो लोग साथ मे रहने लगे।सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था।पर राधिका को मनीषा की हरकतें कुछ अजीब लग रहीं थीं।मनीषा रोजाना गौरव के ऑफिस जाने के बाद घर से मार्केट जाने के बहाने निकल जाती और घण्टो बाद वापस लौटती।जब कभी कही बाहर नहीं जाती तो अपने कमरे में बंद होकर घंटो किसी से फ़ोन पर बात करती रहती।

दूध का जला छाछ भी फूक फूक कर पिते है।अब राधिका उसपर नजर रखने लगी।उसके फोन को किसी न किसी बहाने से चेक करने लगी।अब उसका शक यकीन में बदलने लगा।मनीषा का किसी के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा था।ये सब देखकर राधिका को बहुत धक्का लगा।वो अपने देवता तुल्य भाई का दिल नहीं दुखाना चाहती थी इसलिए उसने अपने भाई से कुछ नहीं कहा पर वो मनीषा पर लगाम कसने लगी।

मनीषा को अपनी आजादी में खलल बर्दास्त नहीं हो रहा था।आये दिन अब राधिका और मनीषा के झगड़े होने लगे।गौरव इस सबसे अनभिज्ञ था मगर एक दिन बात इतनी बढ़ गयी कि उसकी दीदी ने मनीषा की सारी बातें गौरव से बता दी।गौरव को ये कतई बर्दाश्त नही हुआ उसने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया  और उसने मनीषा से पूछा ये सब क्या है?मनीषा ने भी बेहयाई की हद पार करते हुए गौरव और उसकी दीदी के बीच आपत्ति जनक रिस्ते का आरोप लगा दिया।

अब गौरव को काटो तो खून नहीं।गौरव का दिमाग अब काम करना बंद कर चुका था।इतनी समझदारी से कम करने वाला गौरव पूरी तरह टूट चुका था।रात को ही गौरव ने अपनी दीदी को अपने भाई के पास पहुंचा दिया।जब वापस अपने घर आया तो उसकी बिबी मुँह फुलाये बैठी थी।

गौरव ने उसे समझाने की कोशिश करी पर बात काफी आगे बढ़ गयी।गौरव और मनीषा में रातभर झगड़े होते रहे।

सुबह होते ही सोसाइटी में खूब हलचल मची हुई थी।लोग एक टावर की तरफ भागकर जा रहे थे।पुलिस भी आ चुकी थी।लोग गौरव के घर का दरवाजा पिट रहें थे मगर दरवाज़ा कोई खोल ही नहीं रहा था।पुलिस वाले आकर लोगो को वहाँ से हटाने लगे फिर उन्होंने एक चाभी बनाने वाले को बुलाया।सभी पड़ोसियों की सांसें अटकी हुई थी की क्या हुआ।

थोड़ी देर में चाभी बनाने वाले ने लॉक तो खोल दिया मगर दरवाज़ा अंदर से किसी और तरीके से लॉक था।पुलिस वाले कुछ और लोगो के साथ मिलकर दरवाजे को तोड़ने लगे।थोड़ी ही कोशिस के बाद दरवाजा टूट गया।

अंदर घुसते ही उन्हें एक खौफनाक नज़ारे से रूबरू होना पड़ा।घर के हॉल में मनीषा की लाश थी।उसके सिर पर किसी भारी चीज़ से वॉर किया गया था और पेट मे किचेन नाइफ घुसा हुआ था।उसकी लाश के पास ही खून से सना सिलबट्टा पड़ा हुआ था।

बेडरूम में पहुचने पर गौरव की लाश पंखे से लटकी हुई मिली।उसके गले मे मनीषा का दुपट्टे का फन्दा बना हुआ था।
वहीं स्टडी टेबल पर गौरव का सूइसाइड नोट भी पड़ा हुआ था।जिसमे उसने सारी राम कहानी लिख रखी थी।

मनीषा और गौरव के घरवाले भी वहीं थे ये सब देखकर उसकी बहन मूर्छित होकर वहीं गिर पड़ी।पुलिश वाले पंचनामा बनाने में जुट गए।पड़ोसियों की आंखों में आंसू आ गए एक हँसते खेलते परिवार को शक और क्रोध ने लील लिया था।।।

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