पीर बाबा के मजार का रहस्य

Milivoj Kuhar 6k Edbipvm Unsplash

Milivoj Kuhar 6k Edbipvm Unsplash

नोट:यह व्यंग्य किसी के धार्मिक या आध्यात्मिक आस्था पर सवाल नहीं उठती है।रचना का उद्देश्य मनोरंजन  एक व्यंग्य मात्र है।

हमारे गांव में एक बहुत ही गरीब परिवार था।जिसके पास रोजी रोटी के लिए एक गधा मात्र था।जिसके सहारे जैसे तैसे उस परिवार की रोजी रोटी चल रही थी।परिवार का मुखिया उस गधे को लेकर बाजार जाता वहीं कुछ समान  ढुलाई करके जो पैसे मिल जाते उससे ही घर चल रहा था।
जैसे तैसे जिंदगी कट रही थी।

कुछ दिनों के बाद गधा बीमार पड़ गया।परिवार वालों के खाने के लाले पड़ गए।उसी गांव में एक फकीर घूमता हुआ आया।घर के मुखिया ने उस फकीर की बड़ी सेवा करी और अपने घर की समस्या से अवगत कराया।

फकीर ने  भभूत दीया और कहा यह गधे को खिला देना दिन में तीन बार सब ठीक हो जायेगा।गधा तो गधा था वह भभूत से क्यों ठीक होने लगा।कुछ ही दिनों में गधा मर गया।

घर का मुखिया रोता पिटता हुआ फकीर के पास पहुँचा।फकीर ने सारा दुखड़ा सुना और उसने घर के मुखिया को सलाह दी।

“इस गधे को दफना दो और रोज उसपे फूल माला चढ़ाओ और अगरबत्ती जलाओ तुम्हारी सारी परेशानी हल हो जाएगी”

घर का मुखिया मरता क्या न करता कि स्तिथि में था।बिना कोई तीन पाँच किये ,जैसा फकीर ने कहा था करने लगा।
उसने गधे को अपने खेत में दफना दिया और रोजाना उसकी कब्र पर फूल माला चढ़ाकर अगरबत्तियां जला दिया करता था।

धीरे धीरे उसकी देखा देखी कुछ और लोग भी ऐसा करने लगे।धीरे धीरे ये बात फैल गयी कि कोई बहुत बड़े पीर बाबा की ये मज़ार है।अब तो दूर दूर से लोग आकर उस मज़ार पर मन्नत मांगते और चढ़ावे में बहुत कुछ चढ़ाते।

अब तो चढ़ावे से घर के मुखिया का घर चलने लगा।और पीर बाबा की कृपादृष्टि से उसके सारे कष्ट दूर हो गए।भक्तगणो के भी कष्ट पीर बाबा दूर करते ही थे।

प्रातिक्रिया दे