लोककथा भाग 14

एक जूँ थी छोटी सी। लोग उसकी कद-काठी पर हसाँ करते थे। उसकी इतनी हँसी उड़ाने लग गये थे कि एक दिन वह कौवे के पास जाकर बोली – ” कौवे कौवे, मैं तुम्हें खाँऊगी” ,कौवे की आँखे मारे आश्चर्य से छोटी सी हो गई – ” क्या कहा फिर कौवे ने कहा ?” – ” मैं तुम्हें अपनी चोंच के प्रहार से ही मार सकता हूँ ” लेकिन जूँ ने कौवे को खा लिया।

उसके बाद वह आगे बढ़ी। रास्ते में उसे एक आदमी मिला। रोटी बना था वह आदमी। जूँ ने रोटी से कहा रोटी रोटी, मैं तो तुम्हें खाऊँगी। रोटी ने कहा – तुम तो आग में जल जाओगी पर जूँ ने रोटी खा ली।फिर वह आगे चली अपनी यात्रा पर।

रास्ते में उसकी भेंट हुई एक बकरे से। उसने बकरे से कहा बकरा बकरा मैं तुम्हें खाऊँगी बकरा मिनमिनाया और कहा – मैं तो तुम्हेंअपनी खुर के एक प्रहार से ही कुचल सकता हूँ, जूँ ने जवाब दिया – मैं ने खाया कौआ, खाई मैं ने रोटी है। तैयार हो जा बकरे भाई, अब तुम्हारी बारी है,और उसके बाद वह बकरे को निगल गई। और बढ़ती गई।

रास्ते में उसकी भेंट हुई एक भैंसे से। भैंसे भैंसे, मैं तुम्हें निगल जाऊँगी। भैंसे ने कहा – अरे ओ जूँ, मैं तेरे ऊपर से गुज़र जाऊँ जूँ ने जवाब दिया – निगला है मैंने कौवे को, खाई मैं ने रोटी है, डाला बकरे को पेट में मैं ने, अब तुम्हारी बारी है। इतना कहकर जूँ ने भैंसे को खा लिया।

उसके बाद वह फिर आगे बढ़ी।रास्ते में उसे मिले पाँच हटटे-कटठे सिपाही। जूँ ने उनसे कहा – सिपाही सिपाही मैं तुम्हें खाऊँगी  सिपाही तो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे – तुम तो हमारे सर के बाल में ही खो जाओगी ।जूँ ने जवाब दिया – निगला है मैं कौवे को, खाई मैंने रोजी है, डाला बकरा और भैंसा पेट में मैंने, अब तुम्हारी बारी है। और इतना कहकर उसने पाँचो जवान सिपाहियों को निगल लिया।

इसके बाद उसकी भेंट एक हाथी से हुई। जूँ ने कहा – हाथी हाथी, मैं तो तुम्हें खाऊँगी हाथी ने कहा मैं तुम्हें अपनी सूँड की एक फूक से ही उड़ा दूंगा जूँ ने कहा निगला है मैं कौवे को, खाई मैंने रोजी है, डाला बकरा, भैंसा और सिपाही पेट में मैंने, अब तुम्हारी बारी है। इतना कहकर जूँ ने हाथी को खा लिया। और फिर चलती गई।रास्ते में उसे एक बड़ा-सा तालाब मिला। जूँ ने तालाब से कहा- तालाब तालाब, मैं तुम्हें पी जाऊँगी, तालाब ने जवाब दिया – अरे जूँ, तुतो बह जायेगी पर जूँ ने तालाब का सारा पानी पी लिया। और तभी आई कुछ औरतें वहाँ पानी भरने। वे दंग रह गई- कहाँ गया सारा पानी तभी उनमें से एक औरत ने कहा देखो देखो उधर देखो। एक छोटी सी चमकती चीज़  दूसरे औरत ने कहा तो ये है जूँ। इसी ने हमारा सारा पानी पी लिया

 एक औरत झूकी, उसने जूँ को उठाया, और उसे अपने बाँये अंगूठे के नाखून पर रखा और दहिने हाथ के अंगूठे से उसे हल्का सा दबा दिया। पुट सी हल्की सी आवाज़ हुई। और फिर बाहर बह निकला उससे पानी, और उसमें था हाथी, पाँच सिपाही, भैंसा, बकरी, रोटी और कौवा।

Ravi KUMAR

Recent Posts

नेवला

जापान में एक बहुत ही सुंदर जगह है- नारूमी। वहाँ पर एक नदी के किनारे…

12 महीना ago

कुआं

केशवपुर गांव में अधिकतर लोग खेती करने वाले ही थे। पूरे गांव में सिर्फ दो…

2 वर्ष ago

औरत की आत्मा

साल 1950 का यह एक चौंकाने वाला किस्सा रानी बाजार का है। यहां रामप्रकाश रहता…

2 वर्ष ago

गुड़िया मर गयी

गुड़िया मर गयी :* रचना में आँसुओं का आधिक्य, स्याही की कमी है,प्रभू! तू ही…

2 वर्ष ago

कुबेर ऐसे बन गए धन के देवता

अपने पूर्व जन्म में कुबेर देव गुणनिधि नाम के गरीब ब्राह्मण थे. बचपन में उन्होंने…

2 वर्ष ago

सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं…

2 वर्ष ago