राम का दर्द 1

कुछ दिनों पहले की बात है। हिन्दू और मुस्लिम अड़ोसी पड़ोसी साथ साथ फैजाबाद के एक छोटे से गांव में रहते थे।सुख दुख तीज त्योहार बिना एक दूसरे के अधूरे मालूम पड़ते थे।हिन्दू परिवार का मुखिया रामबचन और मुस्लिम परिवार के मुखिया का नाम रहमान था।रामबचन का एक पुत्र राजेश था और रहमान की एक पुत्री रजिया।दोनो एक दूसरे के साथ बचपन से खेल कूद कर बड़े हुए औऱ जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था की पढ़ाई करने के लिए दोनों को शहर फैजाबाद जाना पड़ा।वहा रहकर वे अपनी पढ़ाई पूरी करने में तन मन से लग गए।पढ़ लिखकर वो प्रसाशनिक अधिकारी बनकर देश सेवा करना चाहते थे।

इधर 2019 के चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा था चुनावी सरगर्मी तेज़ हो रही थी।सारे चुनावी मेढ़क बिलो से निकल कर टर्टराने लगे थे वे जो पिछले पांच साल से पुरबियों को गाली देकर पिटवाकर अपनी रोटी सेक रहे थे अब उनको इनकी याद आयी और अपनी गलती का पछतावा हुआ।चले आये दौड लगाकर इनके गांव ये दम्भ भरते हुए की राम मंदिर बनवाएंगे।मस्जिद तोड़ दिया है अब सुप्रीमकोर्ट का रूल तोड़ने से कौन रोकेगा।

सत्तारूढ़ पार्टी का इनको पूरा मौन समर्थन था चाहे वह केंद्रसरकार हो या राज्य सरकार।दोनो ही चुनाव रूपी हवन में मानव समूहों को स्वाहा करने की तैयारी कर बैठे थे।एक दो धार्मिक समुदाय भी जुटें पड़े थे बहती गंगा में हाँथ धोने को।
दूसरी तरफ जो नेता सत्तारूढ़ नही थे अपना प्रभाव प्रकट करने के लिए विरोध जाता रही थीं इनमे हमारे सबसे कद्दावर उम्मीदवार थे मुस्लली भाई जो अपना फायदा देखते हुए मंदिर विरोधी विचारधारा में शामिल थे।

अब आप सोच रहे होंगे भाई ये राजनीतिक ब्याख्या क़यू और इसमें नया क्या है।और उन दोनों राजेश और रजिया का इनसे क्या लेना देना।मैं भी यही सोच रहा था मेरे पास तीन कैरेक्टर है नेता लैला मजनू और एक भुक्तभोगी समाज।तो इस कहानी में समाज का दर्द बयां कर आगे बढ़ाऊ या एक दुखद प्रेम के अंत की कथा बाँचु या दो नवजीवन की बहादुरी पे प्रकाश डालू।

सबसे बेहतरीन के लिए थोड़ा इंतज़ार करें कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करता हूँ लीक से हटकर।

एक खुफिया जगह शायद किसी गेस्ट हाउस का बड़ा सा बैंड हॉल इस समय यहाँ देश के चार दिग्गज बैठे आगे की रणनीति तय कर रहे थे जिनमें शामिल थे देश के सर्वेसर्वा प्रदेश के शरवेशर्वा ठकर और धर्म गुरुसारे भविष्य की कोई गहन मन्त्रणा करने में बिजी थे।तभी वहां किसी के आगमन कि खुसर फुसर हुई और वहाँ प्रकट हुआ आतंक का नाम जुगराल।वो आतंकी जिसे देशवासी मृत समझ रहे है और सरकारी तंत्र में उसे कबका मृत घोषित कर दिया गया हैं। सब ।मिलकर कोई बहुत गहरी रणनीति बनाते है और वहा से चुपचाप निकल पड़ते है अपने अपने रास्ते।

इनके साथ एक औऱ किरदार जुड़ा है इस कहानी से नरेश पाटिल वो कारसेवक जिसने बाबरी मस्जिद विध्वंस में मुख्य भूमिका निभाई थी थोड़ा सा इनके इतिहास पर नजर डालते हैं।इनका जन्म महाराष्ट्र के किसी गाँव मे हुआ था पिता के ट्रांसफर होने के वजह से ये शिफ्ट हो कर पानीपत चले आये यहां का माहौल तब ज्यादा ठीक नहीं था हरदम ही दोनों जातियों के लोगो मे कलह हुआ करता था।ऐसे माहौल में इन्हें भी मुस्लिम समुदाय से चिढ़ हो गई और इन्होने आर एस एस जॉइन कर लिया वहा हुए ब्रेनवॉश की वजह से इनमे कट्टरता आ गई।बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय ये भी अपने दलँ के सदस्यों को लेकर पहुँच गए अयोध्या और बाबरी मस्जिद विध्वंस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

जब ये वापस आये तो इनके गांव वालों ने खूब जोर शोर से इनका स्वागत किया।पर प्रशासन के खोज बिन और मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगो की धमकियों की वजह से ये डर डर कर जीने लगे।साथ ही इनके साथ कुछ अलौकिक घटनाएं घटती होने लगी।सोते सोते ये चौक कर उठ जाते लगता जैसे कोई इन्हें काट रहा हो कोई रो रहा हो और ये उसको जागने के बाद भी महसूस करते।
काफी चिकित्सा करवाया पर कोई लाभ नहीं होता थक हारकर ये एक बाबा की शरण मे गए।बाबा ने इनको समझाया जो इन्होंने कर्म किया है वो छमा योग्य नहीं है।किसी समुदाय के दिल को ठेस पहुंचाई है। औऱ परवरदिगार के किसी रूप का अपमान किया है।बाबा ने कहा अगर सुकून से जीना है तो प्रायस्चित करना पड़ेगा नरेश की समझ में कुछ नही आ रहा था कि वो क्या करे थक हार कर व्व एक मौलवी साहब से मिला।मौलवी साहब ने उसकी समस्या सुनी और परवरदिगयार से रहमत की दुआ करि।शायद दुआ कुबूल कर ली गयी और नरेश को सुकून नसीब हुयी।
नरेश अब मुश्लिम धर्म अपना चुका था उसका नाम बदलकर नदीम कर दिया गया और उसके घरवालों ने भी मुस्लिम धर्म अपना लिया।
अब नरेश मस्जिद बनवाने के काम मे तन मन और धन से सहयोग किया करता है।

इधर अयोध्या नगरी में सुगबुगाहट बढ़ चुकी थी काफी संघी एवम आर एस एस वाले भगवाधारी लोगो का जमावड़ा लगने लगा था।मूल वासिंदे डरे सहमे हुए स्तिथियों को देख रहे थे उन्हें पता था अगर बात बढ़ेगी तो कर्फ्यू लग सकता है।इस वजह से वो घरो में महीने भर का राशन और जरुर सामग्रियों का इंतज़ाम करने लगे थे।पंसारियों की निकल पड़ी थी व्व सारा सामान ब्लैक करके औने पौने डैम में बेच रहे थे हालात गंभीर हो गए थे।लोग परेशान थे इनके लिए राम मंदिर एक परेसानी का सबब बन गया था।

इधर दिखावे की पुलिस लग गए थे सारा कुछ कंट्रोल में होने का दावा प्रसाशन कर रहा था पर अंदरुनी स्तिथि काफी बिगड़ी हुई थी दंगे के पूरे आसार थे।साथ ही सोहदो और परिस्थिति जन्य खतरे भी थे।

सुबह होते ही राजेश ने अपने घर पर फोन किया घरवालों की खोज खबर लेने को उसके पिता ने बताया कि हालात तो ठीक नही है तुम अभी वहीं रहो और मन लगाकर पढ़ाई करो इधर उधर की कोई चिंता करने की जरूरत नही है।राजेश का मन नही मैन रहा था वो घर आने को व्याकुल था प्रशासन ने एहतियातन सारे स्कूल कॉलेज की महीने भर की छुट्टी कर दी थी।अब तो राजेश और रजिया को घर वापस जाने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा।दोनो ही अगले दिन निकल पड़े घर को।
बस अड्डे से उन्होंने बस पकड़ी बस।बस समय पर थी चलते चलते जब वो काफी दूर निकल आये जब उनका गांव कुछ दसेक किलोमीटर रह गया तभी बस रुक गयी।सामने चेकपोस्ट था।बस का ड्राइवर और कंडक्टर उतारकर पुलिस वालों से कुछ बात करने लगे।करीब आधे घंटे बाद कंडक्टर बस में आया और सभी यात्रियों को सूचित किया कि बस अब आगे नही जा सकती है आगे की सीमा को सील कर दिया गया है।आपलोग अब उतर जाए बस यह से वापिस जा रही है।कुछ लोग बस में ही वापसी का मन बना चुके थे।बाकी जिनके घर आस पास थे वो बस से उतर कर पैदल ही मंजिल की ओर बढ़ गये।
राजेश और रजिया ने भी पैदल यात्रियों के साथ चलकर अपने घर जाने का फैसला किया वो भी बस से उतर गए और पैदल ही अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगे।शाम हो चुकी थी धीरे धीरे अंधेरा घिर रहा था चलते चलते मुसाफिर अपने अपने रास्ते होते जा रहे थे कुछ पांच किलोमीटर जाते जाते अब राजेश और रजिया अकेले राह गए थे अभी भी उन्हें पाँच किलोमीटर आगे का सफर तय करने की जरूरत थी।
राजेश ने रास्ता छोटा करने के लिए जंगल का रास्ता लेने को सोचा रजिया ने मन किया पर राजेश ने कहा हमलोग रात होने से पहले गांव की सीमा में होंगे ये सुन रजिया जंगल के रास्ते जाने को तैयार हो गयी।वैसे भी व्व रास्ता सामान्य दिनों में बहुत उपयोग में लिया जाता था ऐसी कोई खास खतरे की बात नही थी उस रास्ते सफर करना।
जंगल मे थोड़ी दूर जाने पर राजेश को महसूस हुआ सायद वे भटक गए है राजेश ने कहा रज्जो(प्यार से राजेश रजिया को रज्जो ही बुलाया करता था)हम लगता है रास्ता भटक गए है क़यू ना हैम गूगल मैप का उपयोग करे रज्जो ने सलाह दी राजेश को सलाह उचित लगी उसने जेब से मोबाइल निकल कर गूगल मैप ट्राय करने लगा पर किस्मत ने यह भी साथ नही दिया उस जंगल में नेटवर्क नही के बराबर था फिर भी मैप पर आसपास के कुछ रिहायशी इलाकों का नक्सा झलक रहा थे जो पास ही दिख रहे थे।उन्होंने फिलहाल जंगल से बाहर निकलने की सोची और उस दिशा में आगे बढ़ने लगे।
जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहे थे जंगल और घना होता जा रहा था पर नक्से पर उन्हें पूरा भरोसा था वो आगे बढ़ते गए।

कहानी के इस मोड़ पर पहुँच कर एक अद्भुत अनुभव की अनुभूति हुई जो बहुत ही डरावनी लगी इच्छा हुई आपसे शेयर करू।
इस मोड़ पर आकर के मेरे दिमाग में राजेश और रजिया के मरने का प्लाट तैयार करने का ख्याल आया फिर मैं एक अपराधी की तरह सोचने लगा कब कहा कैसे इनको मारु कितनी दर्दनाक मौत दु की पाठको में दहसत का आभास हो
पाठक इनकी मौत याद रखे इत्यादि इत्यादि।फिर मुझे एहसास हुआ कि कई प्लाट मेरे दिमाग में है जिनमे से सबसे बेहतरीन को लिख दु।फिर मुझे एक खयाल आया कि ये जो राइटर क्रिमिनल स्टोरी लिखते है दरअसल वो ऐसे क्रिमिनल है जिन्हें मौका नही मिला otherwise वो अपनी सोच में एक बहुत बड़े क्रिमिनल ही है।किसी को मारने सताने और दफनाने की प्लानिंग पूरे जोर शोर से करते है और इस बात का उन्हें कोई अफसोस भी नही होता।शायद उतना अवसाद उस क्रिमिनल के अंदर भी नही होता जितना ये लेखक गड़ अपने पाठकों के अंदर पैदा कर देते है एक एक पहलू पर इतना जोर देते है जितना एक शैतान भी नही ध्यानँ देता हो अपने कुकर्म करते वक़्त।मुझे लगता है कि क्राइम लेखक एक मानसिक रूप से बीमार लेखक है जो समाज के करोड़ो मानसिक रूप से बीमार लोगो की जुर्म पिपासा संतुष्ट करता है साथ मे अपनी भी।कितना भयानक अहसास है किसी जिंदा हँसते खेलते किरदार को धीरे। धीरे किसी घटनाक्रम में फसाते हुए अचानक से उसका कत्ल कर देना।किसे ने कहा है सोच से ही कर्मो का जन्म होता है । वह दिन दूर नही जब आज कहानी के मज़े लेने वाले पाठको में से असल जुर्म के मजे न लेने लगे।
पाठक गड़ छमा करे इस कहानी के सारे नकारात्मक पहलू पर अब मेरा लिखने का कोई इरादा नही इसके पहलू को सकारात्मक करके लिखूंगा।
परमात्मा भले ही अपने किरदारों के साथ अनुचित होने दे पर मैं अपने किरदारों को उनसब अनुचित दर्दनाक हादसे से बचा कर रखूंगा।
★★★★★‡‡★★★★★★★‡‡†★★★★★★
नोट:जुगराल रूपी अजगर का काम आपलोग समाज मे दिन ब दिन कूद ही देख रहे है।बुलंद शहर हादसा ही देख ले।
क्रमशः

Ravi KUMAR

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