अनसुलझा रहस्य

Aayam Ke Bhavar

Aayam Ke Bhavar

यह कहानी मेरे चचेरे भाई की है। उस वक्त वह इलाहाबाद में पढ़ाई कर रहा था और वहीं एक होटल में कमरा लेकर रहता था। उस होटल में ज्यादातर लोग मासिक किराये के आधार पर रहते थे। उनके किराये में सुबह की चाय और दोनों वक्त का सामिष भोजन शामिल था। उसका कमरा होटल की पहली मंजिल पर सीढ़ियों से लगा हुआ था। वह निडर और लड़ाकू मिजाज का था। हमेशा जेब में एक चाकू रखता था। उसने स्वयं यह कहानी सुनाते हुए बताया था कि रोज रात को एक-डेढ़ बजे करीब पायल बजने की आवाज़ सुनाई देती थी। वह सशंकित होकर सोचता था कि इस होटल में कोई लड़की रहती नहीं है तो फिर पायल की आवाज़ कहां से आ रही है। उसके खुराफाती दिमाग में यह बात आई कि हो न हो यहां गुपचुप तरीके से देह व्यापार जैसा कोई धंधा चलता है। जैसे ही आवाज़ आती वह चाकू हाथ में लेकर आवाज का स्रोत तलाशने के लिए कमरे से निकल जाता और पूरे होटल का चक्कर लगाता लेकिन कोई सुराग नहीं मिलता। यह चक्कर करीब एक महीने तक चलता रहा।
एक दिन की बात है वह अपने कमरे के बाहर रेलिंग पर बैठकर सुबह की चाय पी रहा था तभी नीचे आंगन में खड़े रसोइए ने इस तरह बैठने से मना किया। उसने पूछा क्यों न बैठूं इस तरह। कौन रोकेगा।
रसोइए ने कहा कि पहले इस कमरे में जो बाबू रहते थे एक दिन उसी तरह चाय पी रहे थे कि नीचे गिर गए। भाई ने पूछा-अच्छा, फिर क्या हुआ उनका।
रसोइए ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन वे बच नहीं सके। उनकी मौत हो गई। इसीलिए इस तरह कोई बैठता है तो डर लगता है।
बात आई-गई हो गई। रात को पायल की आवाज़ आने और उस आवाज़ के पीछे भागने का सिलसिला जारी रहा। करीब डेढ़ माह इसी तरह गुजर गए। एक दिन वह अपने कुछ दोस्तों के साथ होटल के सामने पान की दुकान पर खड़ा था। अचानक उसने दोस्तों से यह बात साझा कर दी। पान दुकानदार ने पूछा-क्या आप सामने वाले होटल में रहते हैं….। भाई ने कहा-हां। उसने बताया कि उस होटल का मालिक पुराना बदमाश है। उसने इस होटल में बहुत सारे तीर्थयात्रियों को मारकर उनका धन लूटा है। सैकड़ों महिलाओं का बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी है। उनकी लाशें आंगन में मौजूद कुएं में खपा दी हैं। इसमें अतृप्त आत्माओं का वास है।
भाई को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसके दोस्तों ने कहा कि आज वे सारे लोग उस कमरे में रात बिताएंगे और देखेंगे कि मामला क्या है।
उस रात करीब सात-आठ लोग हर्वे-हथियार से लैस होकर कमरे में आए। उतने लोग सो तो सकते नहीं थे। कुछ लोग ताश खेलने बैठ गए। कुछ गप्पें मारने लगें। रातभर जगने की तैयारी थी। एक मित्र सीढ़ी के सामने चादर बिछाकर सो गए। रात के करीब डेढ़ बजे वे अकचका कर उठे और कमरे के अंदर आकर बोले कि उन्हें लगा कि कोई उनका गला दबा रहा है और नींद टूट गई। सबने कहा कि आपको वहम हो गया है जाइए सो जाइए। वे सोने चले गए। फिर कुछ देर बाद लौटे और कहा कि फिर कोई गला दबा रहा था। भाई ने कहा कि बैठकर ताश खेलिए। उस रात पायल की आवाज़ नहीं सुनाई पड़ी या फिर शोरगुल की आवाज़ में दब गई।
अगले दिन इलाहाबाद एक परिचित परिवार की एक युवती जिसे सारे लोग दीदी कहकर पुकारते थे को इसकी जानकारी हो गई। उन्होंने भाई को बुलाया और तुरंत घर बदल देने को कहा। भाई ने बात मान ली और होटल छोड़ दिया। लेकिन आज भी उस रहस्य को समझ नहीं पाया कि आखिर उस होटल में क्या था, जिसे सिर्फ वह महसूस करता था। होटल में रह रहे और लोगों का अनुभव क्या था पता नहीं क्योंकि वह अन्य लोगों से अपनी बातें शेयर नहीं करता था।

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