अघोरी का मोह
‘‘आज तो भैया, मूँग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है। मैं तो….’’...
‘‘आज तो भैया, मूँग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है। मैं तो….’’...
मैं उसे देखकर नजरअंदाज कर दिया करता था।तब मुझे इनके ढकोसले पन और कर्महीनता पर बहुत ही क्रोध आता था।गन्दगी...