कैसी हो तुम
जबसे जाना जितना जाना,
बुन रहा बस उसका ताना बाना
नाम सी स्वर्णिम,कर्म स्वरूपा
अंखियां जीवन ज्योत जगाई
अधरों पर मुस्कान समाई।
जबसे जाना जितना जाना,
बुन रहा बस उसका ताना बाना
नाम सी स्वर्णिम,कर्म स्वरूपा
अंखियां जीवन ज्योत जगाई
अधरों पर मुस्कान समाई।