रोजाना की तरह आज भी धूप खिली हुई थी।ठंढक की ये प्यारी धूप लेने लोग अपने घरों से बाहर निकल आये थे।सौर्य अपने ऑफिस की ओर जाने को निकल चुका था।आज सुबह से ही उसे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था।अपने दिमाग का वहम समझ कर उसने सारी बातें नजरअंदाज कर दिया।

ऑफिस पहुँचकर बेसमेंट में उसने अपने कार को पार्किंग में लगाया।बेसमेंट की पार्किंग में थोड़ा अंधेरा था।एक ट्यूबलाइट भर जल रही थी जिसकी रोशनी पर्याप्त नहीं थी।कार लॉक कर जब सौर्य लिफ्ट की तरफ जाने लगा तभी उसने महसूस किया कोई साया पार्किंग के एक कोने से निकलकर मुख्य द्वार की तरफ भागा।सौर्य को थोड़ा अजीब तो लगा मगर उसने सोचा कोई वर्कर होगा।

लिफ्ट से अपने ऑफिस के फ्लोर पर पहुँचकर वो अपने रोजमर्रा के काम मे व्यस्त हो गया।आज दो नए एम्प्लोयी उसके टीम में जॉइन करने वाले थे।थोड़ी देर के बाद मानवसंसाधन मैनेजर ने आकर उन दोनों का परिचय सबसे करवाया।निधि और नकुल नाम थे उनके।नकुल स्मार्ट और कजुुअल स्टाइल के परिधान में सुंदर लग रहा था वही निधि भी पुरानी ब्लू जीन्स और ग्रे कलर की टॉप में कहीं से कमतर नहीं लग रही थी।

दोनो को सौर्य के पास ले जाकर उनके परिचय के साथ ही आगे के कुछ जरूरी फॉरमैलिटी समझा कर मानवसंसाधन मैनेजर चली गयी।सौर्य थोड़े शर्मीले स्वभाव का था लड़कियों के साथ थोड़ा अनकंफर्टेबल हो जाता था।उसके दोनों का स्वागत किया और भविष्य की शुभकामनाएं दीं।दोनो सौर्य जैसे मैनेजर को पाकर खुश थे।सौर्य ने उनके लिए जरूरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की रिक्वेस्ट आईटी डिपार्टमेंट में भेज दी और दोनो को कंपनी और उनके कार्य सम्बंधित जानकारियां देने लगा।

दोनो बड़े ध्यान से सौर्य की बाते सुन रहे थें।बीच बीच मे नकुल कुछ सवाल पूछ लेता तो कभी निधि अपनी जिज्ञासा व्यक्त कर देती।सौर्य ने नोटिस किया निधि उसके काफी करीब बैठी है।जिसकी वजह से उसका पैर कभी कभी निधि को छू जा रहा था।सौर्य ने शालीनता पूर्वक अपने चेयर को उससे थोड़ा दूर कर लिया।अब उनके बीच थोडी दूरी बन गयी थी।फिर जब सौर्य अपने लैपटॉप पर कुछ प्रेजेंटेशन दिखाने लगा तो निधि ने माउस पकड़ने की जद्दोजहद में उसका हाथ पकड़ लिया।सौर्य ने संकोच वस अपना हाथ हटा लिया।उसने सभ्यता पूर्वक कहा “मैडम आप ये क्या कर रहें हैं?थोड़ी दूरी बनाकर रखें।कृपया मुझे डिस्टर्ब न करें।”

निधि बड़ी बड़ी कजरारी आंखों से उसे घूरती रही मानो जो कुछ भी कहा गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा हो।उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आकर चली गई।जिसपर न सौर्य का ध्यान गया न ही नकुल का।उनके जानकारियों का आदान प्रदान चलता रहा और निधि की भोलेपन के साथ हाथ पैर और शरीर सौर्य को किसी न किसी बहाने छूती रही।सौर्य ने थक हारकर उसपर ध्यान देना बंद कर दिया।थोडी देर के बाद लंच ऑवर हो गया।सब लंच करने चले गए।

लंच के दौरान नकुल ने निधि से पूछा “निधि तुम्हें क्या हो गया था?तुम सर को ऐसे परेशान क्यों कर रही थी?”
“मुझे पता नहीं क्या हो गया था उन्हें देखते ही।पता नहीं क़यू मैं उनकी तरफ खिंची चली जा रही थी।न चाहते हुए भी मेरा कंट्रोल मुझपे नहीं था।”निधि ने बताया।

नकुल ने कहा “वो तो सर बहुत अच्छे हैं नहीं तो तुम्हारा ऑफिस का पहला दिन ही आखरी दिन हो जाता।उनका व्यवहार भी मुझे कुछ अजीब लग रहा था।तुमसे यूँ दूर हो रहे थे जैसे उन्हें कोई झटका लग गया हो।तुमसे छु ही तो गए थे।एक साथ काम करने में ऐसा होना कोई बड़ी बात तो नहीं है।”

“पता नहीं क्या हुआ।” निधि ने बेपरवाह होकर जबाब दिया और अपना लंच करने लगी।लंच के बाद फिर से तीनों एकसाथ बैठकर जानकारीयो का आदान प्रदान करते रहें।

ऑफिस ऑवर खत्म होने के बाद आपस मे विदा लेकर सब अपने अपने घर को निकल पड़े।घर पहुँचकर निधि अपने कमरे में चली गई।वहीं बिस्तर पर लेटकर ऑफिस की सारी बाते याद करने लगी।सौर्य का खयाल आते ही उसके अधरों पर एक अजीब सी मुस्कान छा जाती थीं।

सौर्य के लिए ये रात बहुत भारी गुज़री।सुबह उठने के बाद उसे बहुत ही थकान सी महसूस हो रही थी।उसे नाश्ता करते समय अखबार पढ़ने की आदत थी।अखबार पर नजर डालते ही उसकी निगाहें एक खबर पर टिककर रह गई उसमे लिखा था “सुनसान रास्ते पर एक 23 वर्षीय युवती की हत्या।हमलावर अज्ञात।” उस युवती की तसवीर को देखकर सौर्य को लगा उसने इसे कहीं देखा है।दिमाग पर बहुत जोर डालने पर भी उसे कुछ याद नहीं आ रहा था।उसने सोचना छोड़कर अपना नाश्ता खत्म किया और तैयार होकर आफिस को निकल पड़ा।

ऑफिस में भी उसका सर भारी हो रहा था।निधि और नकुल भी आ गये थे।सौर्य ने उनसे पिछले दिन बताई गई जानकारी का डिस्कशन किया और फिर उन्हें कोई रिपोर्ट बनाने को बोलकर थोड़ा आराम करने लगा।ऑफिस ऑवर खत्म हुआ और सबलोग अपने अपने गृह को प्रस्थान करने लगें लेकिन निधि अबतक ऑफिस में ही बैठी हुई थी।निधि को बैठा देखकर सौर्य उसके पास आया और पूछा “क्या बात है निधी?घर नहीं जाना क्या?”निधि ने अपना सर ऊपर किया उसकी आँखों को देखकर सौर्य के रोंगटे खड़े हो गए।बिल्कुल गुस्से से भरी लाल लाल आँखे थी उसकी।”निधि क्या हुआ तुम्हे तुम ठीक तो हो ना?अगर कोई प्रोब्लेम हो तो क्या मैं तुम्हे घर छोड़ दूँ?”सौर्य ने कहा।

निधि ने कोई जबाब नहीं दिया और अपना सर झुककर कुछ बुदबुदाने लगी।सौर्य को लगा उसे मदद की जरूरत है।उसने निधि को अपने साथ आने को कहा ।

निधि अब सौर्य के साथ उसके कार में थी ।उसकी हालत अब सामान्य हो चुकी थी।सौर्य उसके घर का रास्ता पूछते हुए कार ड्राइव कर रहा था।जब गंतव्य स्थान पर पहुँच कर सौर्य ने कार रोकी तो उसे आश्चर्य हुआ कि यहीं तो उसका घर भी है।उसने सोचा यहीं कहीं बगल वाले कोठी में इसका भी घर होगा।उसने निधि से पूछा कौन सा घर तुम्हारा है? निधि ने सौर्य को एक तरफ इशारा करके दिखाया।सौर्य को उधर देखकर बहुत हैरानी हुई।वो घर तो सौर्य का था फिर निधि उसे अपना क्यो बता रही है।निधि चलती हुई उस घर के अंदर गई और फूलदान के नीचे से चाभी का गुच्छा निकाल कर दरवाजा खोला और अंदर चली गयी।

सौर्य कार के पास ही हक्का बक्का खड़ा रह गया।थोडी देर बाद जब उसे होश आया तो वो घर के अंदर गया।उसे निधि कही नजर नहीं आ रही थी।उसने पूरा घर छान मारा लेकिन निधि का कहीं आता पता नहीं था।उसने फोन करके निधि से बात करनी चाही लेकिन निधि का नम्बर डायल करते ही बस सनसनाहट और घड़घड़ाहट की आवाज आती।सौर्य ने नकुल को फोन करना चाहा पर कुछ सोचकर फोन नहीं लगाया।

सौर्य अपने बिस्तर पर लेटा हुआ इसी घटनाक्रम के बारे में सोच रहा था।सोचते सोचते कब उसे नींद ने घेर लिया उसे कुछ पता भी नहीं चला।

अगले दिन सुबह नाश्ते के समय जब सौर्य अखबार के पन्ने पलट रहा था उसकी नजर फिर एक विचित्र समाचार पर ठहर गयी वो एक और मासूम युवती के कत्ल की खबर थी।जिसमें किसी ने उसे मारकर उसका दिल निकाल लिया था।तसवीर काफी भयावह थी।सौर्य को फिरसे वो लड़की जानी पहचानी सी लगी।अब तो उसके सामने दो दो पहेली थी।इस समाचार को देख वह परेशान हो रहा था उधर निधि की पहेली उसे समझ में नहीं आ रही थी।उसने फैसला किया कि आज ऑफिस पहुँचकर निधि से उस बारे में बात करेगा।ये सोचकर सौर्य आफिस को निकल पड़ा।

आफिस में उसे सबकुछ सामान्य दिखाई दिया।निधि एक सामान्य लड़कियों की तरह वर्ताव कर रही थी।सौर्य ने उससे कल रात की घटना के बारे में पूछना चाहा लेकिन निधि की सामान्य दिनचर्या देख उसे लगा ये उसका भरम भी हो सकता हैं।उसने इस बारे में निधि से कोई बात नहीं की।
शाम को ऑफिस से निकलते समय निधि उसके पास आई और डिनर पर जाने का आग्रह करने लगी।सौर्य को थोड़ा अटपटा तो लगा लेकिन निधि के बार बार आग्रह करने पर वह तैयार हो गया।दोनो ऑफिस से थोड़ी दूर एक रेस्तरां में पहुँच गए।निधि ने अपने लिए कुछ स्टार्टर और वाइन का ऑर्डर दिया और सौर्य से पूछा वो क्या लेगा

“ज…ज…जूस”सौर्य ने हकलाहट में कहा।ये देख कर निधि के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उसने कहा “क्या बात है सर कुछ खोये खोये से हो?सब ठीक तो है ना ”

सौर्य ने कहा “हाँ निधि सब ठीक है।मैं तो बस कुछ सोच रहा था”
“क्या सोच रहे थे सर बताओ ना मै भी तो जानु” निधि ने सवाल दागा।”कुछ नहीं बस ऐसे ही ऑफिस की कुछ बातें” सौर्य ने निधि को टालना चाहा।निधि उसकी यह हालत देखकर बस मंद मंद मुस्कुराते रही।थोड़ी देर में वेटर आर्डर सर्व करने आ गया।आर्डर सर्व करने के बाद थोड़ी देर खड़े होकर वो सौर्य को देखता रहा।जब सौर्य का ध्यान उसपर गया तो वह झेंप गया और सॉरी सर कहकर वहाँ से चला गया।सौर्य और निधि ने डिनर किया।निधि ने खाने का बिल चुकाया और वे घर को निकल पड़े।सौर्य पूरे रास्ते निधि को कनखियों से निहारता रहा।

निधि ने उससे कहा “सर रात ज्यादा हो गई है और मेरे होस्टल का गेट बंद हो गया होगा।क्या आप मुझे किसी होटल पे छोड़ सकते हैं?”
सौर्य ने कहा “मेरे घर पर तुम रुक सकती हो कोई परेशानी नहीं होगी” निधि ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई।दोनो सौर्य के घर पहुँच गए।अपने अपने कपड़े बदलकर दोनो ने साथ मे थोडी देर टीवी देखा फिर सोने चले गए।

सुबह उठकर सौर्य निधि को जगाने उसके कमरे में गया और ये क्या निधि शायद पहले ही उठकर जा चुकी थीं।कमरे में निधि का कोई नामोनिशान नहीं था।सौर्य को अपने देर तक सोए रहने की ग्लानि हुई पर अब वो क्या कर सकता था।

पिछली कुछ रातो की तरह आज की रात भी एक 25 वर्षीय लड़की की हत्या हुई थी और उसके दिल को भी कोई निकालकर ले गया था।शहर में होती इन हत्याओं ने आम जनता में डर का माहौल बना दिया था।लोग खास करके कामकाजी महिलाओं का रात को निकलना बंद हो गया था।मीडिया पुलिस वालों की नाक़ाबलियत को मिर्च मसाला लगाकर दिखा रही थी।पुलिस महकमे में लोगो का जीना मुश्किल कर दिया था।शहर में हर तिराहे पर एक पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगा दी गयी थी।फिर भी कातिल का कोई सुराग नहीं मिल रहा था।कातिल के बारे में कोई भी जानकारी देने पर इनाम की घोषणा भी कर दी गई थी लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था।

रात के 11 बज गए थे।निशा जल्दी जल्दी अपने घर को पहुँचना चाहती थी।कुछ दिनों से जो हत्यावो का जो सिलसिला शुरू हुआ था उससे निशा काफी डरी हुई थी।अगर शिशिर की कार रास्ते मे खराब नहीं हुई होती तो निशा क़भी पैदल न आती।शिशिर ने तो उसे रुकने को कहा भी था लेकिन निशा का घर कुल 500 मीटर ही रह गया था तो निशा ने विदा लेकर कहर को प्रस्थान करने लगी।

घर से अब वह 10 मीटर दूरी पर रही होगी।उसे अपने पीछे कोई साया आता महसूस हुआ।निशा ने पीछे मुड़कर देखा।उस साये के पहनावे से वह किसी महिला की तरह लग रही थी।निशा ने चैन की सांस ली और घर के अंदर प्रवेश करने लगी।तभी उसके सर पर किसी कठोर चीज का प्रहार हुआ।निशा अपना सर पकड़ कर वहीं गिर पड़ी।गरते हुए उसने हमलावर को देखा।हमलावर को देखकर उसकी आंखें फ़टी की फटी रह गयी।धीरे धीरे निशा बेहोसी की गर्त में समाने लगी।

सुबह सौर्य के उठते ही उसे बहुत थकान महसूस हो रही थी।उसने सोचा रात को नींद सही से पूरी नहीं हुई होगी इसलिए ऐसा महसूस हो रहा है।ब्रेकफास्ट की टेबल पर उसने अखबार पर एक सरसरी तौर पर नजर डाली।इसबार फिर एक युवती के हत्या और उसके दिल निकालने की खबर थी।सौर्य उसे देखकर चौक पड़ा।उसे अब याद था कि उसने उस लड़की को सपने में देखा था।हत्या वाली जगह भी वहीं थी जहाँ सपने में उसने देखा था।सौर्य को अपना सर दुखता से महसूस हुआ।उसे समझ नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा था उसके साथ।

थोड़ी देर बाद सबकुछ भूलकर सौर्य ऑफिस को निकलने की तैयारी करने लगा।आज उसने सोच रखा था कि निधि से मिलकर उसे अपना जीवनसाथी बनाने के बारे में बात करेगा।उसे यकीन था कि निधि उसकी बात जरूर मान जाएगी।आखिर निधि भी तो उसका साथ पसंद करती है।
अपने उधेडबुन में फंसा सौर्य कब ऑफिस की पार्किंग में पहुँच गया उसे खुद पता नहीं चला।ऑफिस में पहुँचकर उसकी नजरें निधि को तलाश रहीं थीं लेकिन निधि आज शायद छुट्टी पर थी।सौर्य को निधि ओर बहुत गुस्सा आने लगा।इतना कुछ सोचकर वह आज आया था लेकिन निधि की अनुपस्थिति ने सबपर पानी फेर दिया।

सारा दिन आफिस में बेमन से गुजारने के बाद सौर्य शाम को वापस घर चला आया।घर आने और उसे अपने घर का दरवाजा खुला हुआ मिला।उसे लगा कहिं कोई चोर तो नहीं आ गया घर मे। धीरे से उसने दरवाजा खोला अंदर नजर पड़ते ही चौक पड़ा।अंदर निधि सोफे पर बैठी इत्मीनान से tv देख रही थी।सौर्य निधि को देखकर सबकुछ भूल गया और चहकते हुए पूछा “निधि क्या सरप्राइज दिया है तुमने!मुझे तो कोई उम्मीद नहीं थी कि तुम मुझे यहाँ मिलोगी”।
“क़यू मैं यहाँ नहीं आ सकती?” निधि ने पूछा।
“नहीं नहीं।इसे अपना ही घर समझो।तुम यहाँ कभी भी आ जा सकती हो।मेरे तरफ से कोई पाबंदी नहीं है।”सौर्य ने कहा।

सौर्य ने दोनों के डिनर का इंतजाम किया फिर दोनों मिलकर डिनर करने लगें।निधि ने अपना प्लान पहले ही बता दिया था आज रात उसे यहीं रुकना है।दोनो मिलकर थोड़ी देर tv देखते रहें फिर सो गए।

रात को कुछ खटपट की आवाज़ से सौर्य की आंख खुल गई।उसने बाहर जाकर निधि के कमरे में झांका उसे निधि कही नजर नहीं आयी।बाहर की तरफ देखने पर निधि उसे गेट से निकलती हुई सड़क पर जाती दिखी।सौर्य की समझ मे नहीं आ रहा था निधि इतनी रात गए कहाँ जा रही है।सौर्य ने उसका पीछा करना सुरु कर दिया।

थोड़ी दूर जाकर निधि उसकी आँखों से ओझल हो गई।उसने इधर उधर निधि को तलाशने की कोशिश की लेकिन उसे निधि का कुछ पता नहीं चला।सौर्य थोड़ी देर वहीं निधि के इंतजार में खड़ा रहा।कुछ ही देर के बाद उसे अगले मोड़ पर एक चीख सुनाई पड़ी।भागता हुआ सौर्य वहाँ पहुँचा।वहाँ का दृश्य देख उसके रोंगटे खड़े हो गए।

सामने एक पुलिसकर्मी घायल पड़ा हुआ था।उसके सर से बहुत ज्यादा खून बह रहा था।पास में निधि बैठी हुई थी ।निधि के हाथ मे मांस का एक छोटा सा टुकड़ा था।सौर्य ने निधि को उठाया।निधि नींद की आगोश में थी।उसके मुँह में खून लगा हुआ था।सौर्य ने उसे सहारा दिया और अपने घर में लाकर सुला दिया। उसके सिरहाने ही बैठे हुए इन सारी घटनाओं को जोड़कर कुछ निष्कर्ष निकलने की कोशिस करने लगा।

Ravi KUMAR

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