किसी गाँव में एक जवान लड़का रहता था जो ढोरों को चराया करता था. जिस मैदान में वह अपने ढोर चराता था वहां उसने यह देखा कि रोज़ दोपहर में एक तय समय पर एक कुतिया मैदान से गुज़रकर झुरमुटों में पानी के कुंड तक जाती थी. उसे इसपर अचरज हुआ कि वह किसकी कुतिया है और इस तरह रोज़ एक ही समय पर दबे-छुपे कुंड तक क्यों जाती है! उसने यह तय किया कि वह अगले दिन छुपकर इस बात का पता लगायेगा. अगले दिन जब कुतिया मैदान से गुज़री तो उसने दबे पाँव उसका पीछा किया और झाड़ियों में छुपकर उसे देखने लगा. उसकी आँखें यह देखकर फटी रह गईं कि कुंड के पानी में उतरने से पहले कुतिया ने अपनी खाल उतार दी और वह अपूर्व सुंदरी में बदल गई! नहाने के बाद सुंदरी कुंड से बाहर आई और कुतिया की खाल पहन के वापस गाँव की और चल दी. लड़के ने यह देखने के लिए उसका पीछा किया कि वह किस घर में जाती है. उसने उस घर का पता लगा लिया और वापस काम पर लौट गया.
उन्हीं दिनों लड़के के माँ-बाप उसकी शादी का विचार कर रहे थे और उसके लिए एक लड़की ढूंढ रहे थे. लड़के ने अपने माँ-बाप से कहा कि वह शादी करेगा तो एक कुतिया से ही! कुतिया से शादी! घर में तो हंगामा हो गया! आसपड़ोस वालों ने इस बात का भरपूर मज़ा लिया. लेकिन जवान हो चुके लड़के पर कब किसका जोर चला है!? धीरे-धीरे सब लोग यह बोलने लगे कि इस लड़के में एक कुत्ते की आत्मा है और उसके लिए कुतिया ही ठीक रहेगी.
तो लड़के के माँ-बाप ने उससे पूछा कि क्या उसकी नज़र में कोई ख़ास कुतिया शादी के लायक है. लड़के ने उन्हें उस आदमी का नाम बता दिया जिसके घर में वह कुतिया रहती थी. लड़के के माँ-बाप उस आदमी के घर रिश्ते की बात करने के लिए गए. कुतिया के मालिक ने भी इस बात की खूब मौज ली कि कोई उसकी कुतिया से शादी करना चाहता था लेकिन अंततः वह कुतिया के बदले कुछ दहेज़ की रकम तय करके अपनी कुतिया का पाँव लड़के के हाथ में देने के लिए राजी हो गया.
indian dog weddingमुहूर्त के दिन नाचते-गाते हुए गाँव के लोग शादी के लिए आये. शादी के लिए आकर्षक पंडाल लगाया गया और स्वागत के लिए कुछ कुत्तों को भी द्वार के पास बिठाया गया. दूसरे गावों से भी लोग फोकट का खाने के लिए आ गए. पूरे रीति-रिवाजों से विवाह संपन्न हुआ. कुतिया की विदाई की रस्म भी ठीक तरीके से निपट गई.
कुछ दिनों तक लड़का अपनी नवविवाहिता पर नज़र रखे रहा. एक रात कुतिया दबे पाँव उठी और उसने अपनी खाल उतार दी. वह घर से बाहर जाने लगी. लड़का सोने का नाटक करके उसे देख रहा था. जैसे ही वह कमरे से बाहर जाने लगी लड़का झपटकर उठा और उसने लड़की को पकड़ लिया और खाल उठाकर आग में फेंक दी. सुंदरी अब कुतिया नहीं बन सकती थी. उसने लड़की की पत्नी बनकर रहना मंजूर कर लिया. उसकी सुन्दरता के चर्चे दूर-दूर तक फ़ैल गए और सबने कुतिया से शादी करने के लिए लड़के की दूरदर्शिता की तारीफ की.
लड़के का एक दोस्त था जिसका नाम जीतू था. जब जीतू ने अपने दोस्त की सुन्दर पत्नी अर्थात भूतपूर्व कुतिया को देखा तो उसने भी तय कर लिया कि वह भी एक कुतिया से ही शादी करेगा. इस बार गाँव में किसी को इस बात पर अचरज नहीं हुआ और सब लोग एक बार और बारात में जाने की तैयारी करने लगे. जीतू ने भी अपने लिए एक कुतिया पसंद कर ली और शादी तय हो गई. शादी के दिन जब कुतिया को हल्दी और चन्दन का उबटन लगाया जा रहा था तब वह गुर्राने लगी. मंडप के नीचे जीतू कुतिया की मांग में सिन्दूर भरने लगा तो कुतिया उसका हाथ चबाने के लिए लपकी. खैर, बीच बचाव हो गया. विदाई के समय जीतू की दुल्हन अपना बंधन छुड़ाकर भागने लगी. सबने जीतू से कहा कि अपनी पत्नी को पकड़कर लाओ. जीतू उसके पीछे-पीछे भागकर पस्त हो गया लेकिन वह उसके हाथ नहीं आई. थक-हारकर जीतू अपनी माला नोचता हुआ अपने घर वापस चला गया.
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