वसंत ऋतु
वसंत ऋतु की भी एक कहानी है। यूनान में अनाज और कृषि की एक देवी मानी जाती है, जिसे 'डैमेटर'...
वसंत ऋतु की भी एक कहानी है। यूनान में अनाज और कृषि की एक देवी मानी जाती है, जिसे 'डैमेटर'...
एक गांव में एक धनी किसान रहता था। किसान के पाम बैलों की जोड़ी और कई खिड़कियों वाले मकान के...
एक समय की बात है कि एक बूढ़ा अपनी बुढ़िया के साथ रहता था । अब एक रोज़ बुड्ढ़े ने...
एक गांव में एक बूढ़ा किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था । उसका एक छोटा-सा खेत था । उस...
एक गांव में एक ज़ार रहता था । उसके तीन बेटे थे । वह चाहता था कि उसके बेटों का...
क्या तुमको पता है कि केवल मादा मच्छर ही काटती हैं ? खून पीती हैं ? बहुत पहले की बात...
एक गरीब लड़का था। इतनी बड़ी दुनिया में उसका कहीं कोई नहीं था। न माता-पिता, न भाई-बहन। पर वह लड़का...
देवधर और मंगल की मित्रता ऐसी थी, जैसे दोनों एक ही शरीर के दो अंग हों । यदि एक को...
बहुत दिन हुए स्पेन के उत्तरी भाग में घोड़ों का एक व्यापारी रहता था। परिवार में अपना कहने के लिए...
बहुत दिनों पहले एक राजा था, जो नए-नए कपड़ों का इतना शौकीन था कि वह अपने राज्य की आमदनी अपने...
एक जंगल के तट-प्रदेश में एक बुढ़िया रहती थी। उसके दो पुत्रियां थीं। एक का नाम था कतिंका और दूसरी...
बहुत दिनों की बात है, एक शहर में एक आदमी रहता था। कुछ समय बाद उसकी पत्नी की मृत्यु हो...
जिला बनारस में बीरा नाम का एक गाँव है। वहाँ एक विधवा वृद्धा, संतानहीन, गोंड़िन रहती थी, जिसका भुनगी नाम...
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिह्वा-स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी...
केशव से मेरी पुरानी लाग-डाँट थी। लेख और वाणी, हास्य और विनोद सभी क्षेत्रों में मुझसे कोसों आगे था। उसके...
स्त्री - मैं वास्तव में अभागिन हूँ, नहीं तो क्या मुझे नित्य ऐसे-ऐसे घृणित दृश्य देखने पड़ते ! शोक की बात...
चैत का महीना था, लेकिन वे खलियान, जहाँ अनाज की ढेरियाँ लगी रहती थीं, पशुओं के शरणास्थल बने हुए थे;...
दुर्गा माली डॉक्टर मेहरा, बार-ऐट ला, के यहाँ नौकर था। पाँच रुपये मासिक वेतन पाता था। उसके घर में स्त्री...
डॉक्टर जयपाल ने प्रथम श्रेणी की सनद पायी थी, पर इसे भाग्य ही कहिए या व्यावसायिक सिद्धान्तों का अज्ञान कि...
पिताजी बहुत मुश्किल से ही साँस ले पा रहे थे। यहाँ तक कि उनकी सीने की धड़कन भी मुझे सुनाई...
मेरा जन्म सन 1876 ई० में हिरनगो (फिरोजाबाद) में सनाढ्य कुल में हुआ था। मेरे पिता पं० रेवतीरामजी का देहांत...