विलासी
- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय पक्का दो कोस रास्ता पैदल चलकर स्कूल में पढ़ने जाया करता हूँ। मैं अकेला नहीं हूँ, दस-बारह...
- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय पक्का दो कोस रास्ता पैदल चलकर स्कूल में पढ़ने जाया करता हूँ। मैं अकेला नहीं हूँ, दस-बारह...
भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी। भैया...
उस महाभव्य भवन की आठवीं मंजिल के जीने से सातवीं मंजिल के जीने की सूनी-सूनी सीढियों पर उतरते हुए, उस...
सर्दी की एक अँधेरी रात की बात है मैं अपने गर्म बिस्तर पर सर ढके गहरी नींद सो रहा था...
पात्र मोहनदास करमचंद गांधी, नाथूराम गोडसे, बावनदास (फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास 'मैला आँचल' का पात्र) सुषमा शर्मा (दिल्ली की...
पहला दृश्य प्रभात का समय। सूर्य की सुनहरी किरणें खेतों और वृक्षों पर पड़ रही हैं। वृक्षपुंजों में पक्षियों का...
मन्ने उठ खड़ा हुआ और तेज़-तेज़ क़दम रखता घर से बाहर हो गया। खाने-पीने के अलावा घरेलू ज़िन्दगी से मन्ने...
(अदन की वाटिका, तीसरे पहर का समय। एक बड़ा सांप अपना सिर फूलों की एक क्यारी में छिपाये हुए और...