Categories: संस्मरण

अफवाह या हकीकत ?

अभी ऑफिस से घर पहुँचा ही था कि श्रीमती जी ने बताया उनके मायके से फ़ोन आया था।उनकी माताश्री ने बताया कि यहाँ लोग कह रहे है।लोगों के लोहे के सन्दूक को खोलने पर उसके अंदर पैरों के निशान मिल रहे हैं।

वैसे तो वो अंधविश्वास नहीं मानती मगर जब उन्होंने अपने सन्दूक खोले तो निशान पाया।जो उन्होंने व्हाट्सएप किया।

गांव में बहुत से घरों और बहुत से संदूको में इस तरह के निशान मिल रहे हैं।

मैं आपके जानकारी के लिए यहाँ एक फोटो पोस्ट कर रहा हूं।शायद आपमे से कोई इस रहस्य का पर्दाफाश कर सके।

Ravi KUMAR

Share
Published by
Ravi KUMAR

Recent Posts

नेवला

जापान में एक बहुत ही सुंदर जगह है- नारूमी। वहाँ पर एक नदी के किनारे…

12 महीना ago

कुआं

केशवपुर गांव में अधिकतर लोग खेती करने वाले ही थे। पूरे गांव में सिर्फ दो…

2 वर्ष ago

औरत की आत्मा

साल 1950 का यह एक चौंकाने वाला किस्सा रानी बाजार का है। यहां रामप्रकाश रहता…

2 वर्ष ago

गुड़िया मर गयी

गुड़िया मर गयी :* रचना में आँसुओं का आधिक्य, स्याही की कमी है,प्रभू! तू ही…

2 वर्ष ago

कुबेर ऐसे बन गए धन के देवता

अपने पूर्व जन्म में कुबेर देव गुणनिधि नाम के गरीब ब्राह्मण थे. बचपन में उन्होंने…

2 वर्ष ago

सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं…

2 वर्ष ago