वसंत ऋतु
वसंत ऋतु की भी एक कहानी है। यूनान में अनाज और कृषि की एक देवी मानी जाती है, जिसे ‘डैमेटर’ कहते हैं। किसी समय इस देवी के एक रूपवान लड़की थी, जिसका नाम था फलेरी। ऐसे ही एक बार जब यूनान में वसंत ऋतु चल रही थी तो फलेरी ने चुपचाप अपनी मां का सोने का रथ हांका और वह आसमान से धरती पर उतरी, अपने रथ को धरती के राजा प्लेटो के शाही बगीचे में ले जाकर मस्त-मस्त रंग-बिरंगे खुशबूदार फूलों के बीच घूमने-फिरने लगी, कभी फूल तोड़ने लगी तो कभी प्यारी-प्यारी तितलियां पकड़ने लगी..।
राजा प्लेटो जब किसी काम से अपने शाही उपवन में आया तो उसकी नजर फूलों के बीच खड़ी खूबसूरत फलेरी पर अटकी। वह उस पर मोहित हो गया। उसने तरकीब से उसका अपहरण कर अपने महल में ले गया और उसके साथ चुपचाप विवाह रचा लिया।
इधर जब डैमेटर को अपनी बेटी स्वर्ग लोक में कहीं दिखाई न दी तो वह पृथ्वी पर उतरी। उसने पृथ्वी का चप्पा-चप्पा छान मारा, किंतु उसे अपनी बेटी कहीं नहीं मिली। अंत में वह निराश होकर एक पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी, जब सूर्य देवता ने डैमेटर को इस तरह रोते देखा तो उन्हें दया आ गई। उन्होंने फलेरी का पता उसे बता दिया।
यह अनोखी खबर सुनते ही डैमेटर गुस्से में आग बबूला हो गई। आखिर वह भी एक देवी थी। राजा प्लेटो की यह मजाल कि वह उसकी बेटी को इस तरह चुराकर अपने महल में रख ले। उसने तुरंत घोषणा कर दी। पृथ्वी पर अनाज का एक भी दाना तब तक न निकले, जब तक कि उसकी बेटी उसे वापस नहीं मिल जाती। किसानों ने अपने खेतों में जी-तोड़ मेहनत की, खेतों को खाद से पाट दिया, किंतु सब व्यर्थ, अनाज का एक भी दाना नहीं उगा, अब तो पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मचने लगी। खलिहान सूने पड़े रहे। सभी देवताओं को चिंता होने लगी कि कहीं पृथ्वी पर अकाल न पड़ जाए?
अंत में देवताओं के राजा जुपिटर ने यह निश्चय किया कि उसे शीघ्र ही इन दोनों में कोई समझौता करा देना चाहिए, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा, उसने डैमेटर से आग्रह किया कि वह अपना कड़ा प्रतिबंध पृथ्वी से हटा ले…।
लेकिन, डैमेटर तो अड़ी हुई थी कि जब तक उसे अपनी बेटी वापस नहीं मिल जाती, वह पृथ्वी पर एक भी बीज नहीं फूटने देगी। इधर प्लेटो भी फलेरी को छोड़ना नहीं चाहता था। अंत में जुपिटर ने दोनों के बीच एक समझौता कराया कि फलेरी छः महीने राजा प्लेटो के पास रहेगी और छः महीने अपनी मां के पास।
फलेरी जब अपने पति के पास होती है तो वसंत ऋतु आ जाती है, फूल खिलकर महकने लगते हैं। वृक्षों पर कोयल की सुरीली आवाज सुनाई देने लगती है और जब छः महीने के लिए अपनी प्यारी-प्यारी मां के पास लौटती है तो पृथ्वी पर पतझड़ आ जाता है।