डरावनी चुड़ैल

डरावनी चुड़ैल की कहानी

अमावस्या की काली और सुनसान रात में नागिन की तरह चलती तेज हवाएँ; उस अंग्रेज के शरीर में सिहरन उत्पन्न करने के लिए काफी थी. उसके किए कुकृत्य की सजा आज उसे मिलने वाली थी, उसके सामने बचने के सारे रस्ते बंद हो चुके थे.

यह उस समय की कहानी हैं जब भारत अंग्रेजो का गुलाम था. पुरे भारत में अंग्रेजो का शासन चलता था. अंग्रेज अफसर और सिपाही लोगो का आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से खूब शोषण करते थे . आंध्रप्रदेश के गांव में एक किसान रहता था, जिसकी सुनैना नाम की एक बेटी थी. वह खेतो में अपने पिता के साथ मिलकर सभी काम किया करती थी.


सुनैना दिखने के साथ-साथ व्यवहार से भी बहुत अच्छी थी. उसकी प्रशंसा गांव के सभी लोग करते थे. एक दिन सुनैना अपने खेत में अकेले फसल काट रही थी. उसके पिताजी किसी काम से दूसरे गांव में गए थे तभी वहा कुछ अंग्रेज आ धमके और अकेला देखा वे उसके साथ छेड़खानी करने लगे.

सुनैना ने विरोध किया और जोर-जोर से सहायता हेतु चिल्लाने लगी लेकिन उसकी आवाज सुनने वाला वहा कोई भी नहीं था. उन चारों दरिंदों ने मिल कर सुनैना के साथ सबसे नीच कार्य कर दिया और उसको उसकी हाल पर वही छोड़ दिया.

लोक लाज और शर्म के कारण पास बह रही नदी में सुनैना ने छलांग लगा दी और उसने आत्महत्या कर लिया. पुरे गाँव में शोक की लहर फ़ैल गयी. लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई की उन अंग्रेजो को कुछ कह भी सके सजा देना तो दूर.

कुछ समय पश्चात् एक अंग्रेज का शव जंगल में पड़ा मिला. अंग्रेज अफसरों में तहलका मच गया. अंग्रेजो ने खोज-बिन शुरू की लेकिन कुछ भी पता नहीं चला. ऐसे ही दो तीन दिन बाद एक और अंग्रेज सिपाही की दर्दनाक मौत गयी तथा उसका शव नदी किनारे एक वृक्ष से लटका मिली. उसकी दोनों आँखे फोड़ दी गयी थी.


लगातार दो अंग्रेज सिपाहियों के मृत्यु ने लन्दन में बैठे राजदरबार के लोग भी घबरा गए तथा उच्च स्तरीय जाँच बैठा दी गयी. लेकिन उसका भी कोई परिणाम नहीं मिला। अभी जाँच चल ही रही थी की उस रात एक और सिपाही का शव नाले में पड़ा मिला.

तीन-तीन अंग्रेज की हत्या होने के बाद उन सभी में एक बात की खोज होने लगी जिससे पता चला की वो तीनो एक साथ उस गाँव में ही ड्यूटी कर रहे थे. तो जो चौथा अंग्रेज सिपाही था. जिसने उन सबके साथ मिलकर उस लड़की का बलात्कार किया था. उसका दिमाग घुमा वो दौड़ा-दौड़ा भागा और सीधे अपने उच्च अधिकारीयों के पास गया और सारा कहानी कह सुनाया.

उसके अंग्रेज अधिकारी उस पर हसने लगे की जो खुद मर गया वो दुसरो को कैसे मरेगा. ये इंडियंस मुर्ख और पिछड़े हैं इसीलिए हमारे गुलाम हैं. तुम भी उनके जैसा ही मुर्ख बन रहे हो. भूत, प्रेतात्मा चुड़ैल कुछ नहीं होता हैं.

लेकिन वह बलात्कारी अंग्रेज को शक हो गया और उसे बहुत डर लगने लगा. वह समझ गया था की सुनैना मुझे भी नहीं छोड़ेगी. अब मैं ही अंतिम सिपाही बचा हूँ. बाकी सभी बलात्कार करने वाले अंग्रेज मर चुके हैं. अब उसका अगला शिकार मैं ही हूँ.

भारत में रहते हुवे उस अंग्रेज ने कईं साधू बाबा की कहानियाँ सुन रखा था जो बुरी आत्मा और भुत प्रेत से बचाते हैं. वह जंगल में निवास करने वाले एक साधू बाबा गया तथा उसने अपनी समस्या बताई लेकिन बताया बलात्कार किया हैं.


साधू बाबा बड़े सिद्ध पुरुष थे उन्होंने उस अंग्रेज सिपाही की आँखों में देखकर सब बात जान गए और कहा -‘की ये दुष्ट तूने बहुत ही बड़ा अपराध किया हैं. उसके बाद भी झूठ बोलता हैं. तेरे अपराध का कोई समाधान नहीं हैं. तुझे अपने कर्मो का फल अवश्य मिलेगा.’

साधू बाबा के इन बातो से वह अंग्रेज सिपाही और घबरा गया तथा उसने इंग्लैंड जाने का निर्णय कर लिया. वह दुबारा भागा-भागा अपने उच्च अंग्रेज अधिकारी के पास गया और उसको वापस इंग्लैंड ट्रांसफर करने का विनती करने लगा.

उस बड़े अंग्रेज अधिकारी ने कहा- ‘ठीक हैं ! मैं तुमको इंग्लैंड जाने का पत्र दे दूँगा लेकिन तुम्हे उसके लिए मुझे 50 सोने के सिक्के घुस में देने होंगे. वैसे भी तुमने आस-पास के गांव वालो से बहुत पैसा लुटा हैं और हम सब से चोरी कर के रख हैं सब रखते हैं।

इंग्लैंड वापस जाने के लिए अंग्रेज सिपाही ने अपने लूट की संपत्ति से, 50 सोने के सिक्के अपने से उच्च अंग्रेज अधिकारी को घुस दिया और उसी दिन इंग्लैंड के लिए रवाना हो गया.

सुनैना के गांव में सभी लोग दबी जुबान से इन्ही सभी हत्याओं का चर्चा कर रहे थे और सभी मन ही मन खुश थे. वे जानते थे की सुनैना की आत्मा भटक रही हैं. भूत बन कर घूम रही हैं, लेकिन उसके पिताजी ने उसके आत्मा के शांति का पूजा नहीं करा रहे थे क्युकी वो चाहते थे की सुनैना पहले अपने अंतिम अपराधी का भी खून पि कर अपनी तृप्ति करे. उसके साथ हुवे दुष्कर्म का बदला ले. उसके बाद फिर आत्मा की शांति का पूजा कराएँगे.


इधर वह अंग्रेज अपने देश जाने के लिए पानी वाली जहाज में बैठ चुका था. अब वह खुश था की वह बच गया. कुछ दिनों में वह अपने घर चला गया और शराब मांस पीकर-खाकर चैन से रहने लगा एक दिन वो शाम को ऐसे ही पार्टी करके घर आया और थक जाने के कारन खूब गहरी नींद में चैन से सो गया. लेकिन नियती ने शायद उसके भाग्य में कुछ और ही लिखा था.

आधी रात होते ही उस अंग्रेज सिपाही को लगा की उसके छाती पर कोई चढ़ कर बैठा हैं. पहले तो उसे लगा की उसने दारु ज्यादा पि ली इसीलिए उसे ऐसा लग रहा हैं; लेकिन जैसे ही उसने आँख खोली तो उसके होशहवास सब उड़ गए। अपने सीने पर बैठे भयानक चुड़ैल को देखा तो उसकी आँखे फटी-की-फ़टी रह गयी. उसको विस्वास नहीं हुआ ऐसा कैसे हो सकता हैं भारत का भूत यहाँ इंग्लैंड में कैसे आ गया.

उसके बाद चुड़ैल ने पूरी ताकत से अपना दोनों हाथ उसके छाती में घुसा दिया. उसका सीना फाड़ते हुवे सुनैना ने उसका हृदय उसके शरीर से नोच कर बाहर निकाल दिया. वह अंतिम बलात्कारी अंग्रेज अपने बिस्तर पर पड़ा पड़ा तड़पता हुआ मर गया.


उसके मरने के बाद मानो चुड़ैल के चेहरे पर भी शांति के भाव दिखने लगे उस चुड़ैल के आँखों से भी अपने अतीत को याद कर आँशु आ गए. उसने अपने माता-पिता को याद किया और मुक्ति की कामना की.

गाँव में सभी सुनैना की आत्मा की मुक्ति दिलाने के लिए पूजा कराने का पल पल इन्तजार कर रहे थे. उसी रात सुनैना अपने पिता के सपने में आयी और उसने बताया की मैंने बदला ले लिया हैं. अब मुझे शांति और मुक्ति चाहिए। उसके पिताजी सुबह होते ही जंगल में साधु बाबा के पास गए और उनसे सारी कहानी कह सुनाया.

जंगल में रहने वाले साधू बाबा पहले से ही सारे घटना क्रम पर नजर बनाये हुए थे. उन्होंने विद्वान् ब्राह्मणों को निमंत्रण दिया और अपने दिशा-निर्देश में सुनैना के आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ संपन्न कराया. अंत में हवन हुआ पुरे गांव के लोग सम्मिलित हुवे तथा नम आँखों से सुनैना को हमेशा-हमेशा के लिए इस मृत्यु लोक से विदा किया. Chudail Ki Kahani.


प्राचीन समय की बात हैं एक ब्राह्मण राजकुमार शिकार खेलते-खेलते अपने सैनिको से अलग हो गए तथा रास्ता भटक कर जंगल के बीचों बिच पहुँच गए. जब उन्हें यह एहसास हुआ की वो भटक चुके हैं, तबतक बहुत देर हो चुकी थी तथा वो जंगल के बहुत अंदर तक प्रवेश कर चुके थे.

भाग-दौड़ की वजह से उनको प्यास लगी उन्होंने पहले अपनी प्यास बुझाने के लिए अगल-बगल में नदी या तालाब खोजने लगे. खोजते-खोजते उनको एक तालाब मिला उन्होंने अपने घोड़े को तलाब के किनारे पेड़ में बांध कर तलाब में पानी पिने चले गए.

उसी पेड़ पर अपने शक्ति से सैकड़ो सालो से एक चुड़ैल रहती थी. वह इस राजकुमार के रूप को देखकर मोहित हो गयी. राजकुमार के पहनावे और शरीर के पहनावे को देखकर उसने अंदाजा लगा ही लिया की यह जरूर किसी उच्च खानदान के राजा के घर का हैं.

चुड़ैल ने सोचा की कई वर्षो से मैं प्यासी हूँ; ना ही किसी मनुष्य का खून मिल पाया हैं और ना ही पुरुष का साथ मिल पाया हैं. मुझे जंगल को अब छोड़ कर अपने शिकार की तरफ चलना चाहिए क्युकी वर्षों की प्यास अब बुझाने का समय आ गया हैं.

चुड़ैल ने राजकुमार को मोहित करने के लिए स्वर्ग के अप्सराओं जैसा अपना रूप बना लिया तथा उसी पेड़ के निचे खड़ी होकर राजकुमार के पानी पीकर वापस आने का इंतजार करने लगी. तलाब शीतल जल से अपना प्यास बुझाने के बाद राजकुमार वापस उसी पेड़ के पास आये जहा उन्होंने अपने घोड़े को बाँध रखा था.


अपने घोड़े के पास पहुँचते हैं तो देखते हैं की एक बला की खूबसूरत स्त्री वही पेड़ के निचे खड़ी हैं. उसके शरीर से मादक खुशबु चारो तरफ फ़ैल रही हैं. ब्राह्मण पुत्र उसकी सुंदरता देखकर अपना सूझबूझ खोने लगे. बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपने आप को नियंत्रित किया तथा पूँछा – ‘आप कौन हो और यहाँ खूंखार जानवरो से भरे इस बिच जंगल में क्या कर रही हैं ?

उस स्त्री ने कहा -“हे राजकुमार! मैं तुमपर मोहित हूँ तथा मैं स्वर्ग की अप्सरा हूँ; तुमसे विवाह करना चाहती हूँ. हम दोनों से उत्पन्न होने वाला पुत्र इस पुरे पृथ्वी पर राज करेगा. यही नियती हैं और इसी नियती के तहत मैं तुमपर मोहित हो रही हूँ. मेरी विनती स्वीकार करो और विधि को, नियती को सम्पूर्ण कर मुझे मुक्ति प्रदान करो.”

वह राजकुमार चुड़ैल के माया में तो पहले ही थोड़ा आकर्षित हो चुके थे. अब धर्म की चुकनी-चुपड़ी बातो और उसके चेहरे के तेज को देखकर राजकुमार को विस्वास हो गया. अतीत में भी तो ऐसा कई बार हो चुका हैं क्या पता विधाता ने मुझे इस कार्य हेतु चुना हो ऐसा विचार करते हुवे उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.
तभी राजकुमार को खोजते-खोजते उनकी पूरी पल्टन वहा आ पहुँची. राजकुमार का सेनापति राजकुमार के निकट आकर उनका कुशल मंगल पूछा और पीछे छूट जाने की क्षमा याचना माँगने लगा. राजकुमार साहब तो पहले से ही प्रसन्न थे उन्होंने कहा कोई बात नहीं और उन्होंने सारा कहानी बताया और तुरंत उस देवी को ले जाने के लिए पालकी के निर्माण का आज्ञा दिया. सैनिको ने टहनियाँ काट कर आनन्-फानन में पालकी बनाया.

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