शरलॉक होम्स की जासूसी 5

Serlock

Serlock

मॉरमॉन के पैगंबर से मुलाकात की अगली सुबह जॉन फेरियर सॉल्ट लेक सिटी गया और नेवाडा पहाड़ों की ओर जाने वाले दोस्त से मिल कर उस ने उस को जेफरसन होप के लिए अपना संदेश उस को सौंप दिया. उस ने उस युवक को उस खतरे के बारे में बताया जो उस के ऊपर मंडरा रहा था और यह भी कितना जरूरी था कि वह वापस आए. यह कह कर के उस का मन हलका हो गया और वह आराम से घर चला गया.

जब वह अपने फार्म के नजदीक पहुंचा तो उसे यह देख कर ताज्जुब हुआ कि फाटक के दोनों खंभों पर घोड़े बंधे हुए थे. अंदर जाने पर अपनी बैठक में दो युवकों को बैठा देख कर उसे और भी ज्यादा ताज्जुब हुआ. लंबे, पीले चेहरे वाला एक युवक उस की आरामकुरसी पर बैठा और उस के पैर स्टोव पर टिके थे. दूसरा बैल की सी गरदन वाला युवक, जिस के नाकनक्श भोंडे से थे, खिड़की के सहारे, जेब में हाथ डाले एक लोकप्रिय भजन की धुन सीटी बजा कर निकाल रहा था. फेरियर के अंदर आने पर दोनों ने सिर हिला कर उस का अभिवादन किया और आरामकुरसी पर बैठे युवक ने बातचीत शुरू की.

“हो सकता है कि आप हमें नहीं जानते हों,” वह बोला, “यह बुजुर्ग ड्रेबर का बेटा है और मैं जोजफ स्टेंजरसन हूं, जो तुम्हारे साथ उस वक्त रेगिस्तान में था, जब प्रभु ने हाथ बढ़ा कर तुम को अपने सच्चे दामन मेंभरा था.”

“जैसा समय के साथ-साथ वह सभी देशों को अपने दामन में भर लेगा,” दूसरे ने आवाज नाक से निकालते हुए कहा, “वह अपनी चक्की धीरेधीरे पीसता है, पर सभी दानों को पीस डालता है.”

जॉन फेरियर ने ठंडेपन से उन का अभिवादन किया. वह समझ गया था कि ये लोग कौन हैं.

स्टेंजरसन आगे बोला, “हम इसलिए आए हैं क्योंकि हमारे पिताओं ने हमें सलाह दी है कि हम में से दोनों आप की बेटी का हाथ मांगें. आप और आप की बेटी जिसे भी चाहे पसंद कर ले. मेरी सिर्फ चार बीवियां हैं और ब्रदर ड्रेबर की सात, इसलिए मुझे लगता है कि मेरा दावा ज्यादा मजबूत है.”

“नहीं नहीं, ब्रदर स्टेंजरसन,” दूसरा चिल्ला पड़ा, “सवाल यह नहीं है कि हमारी कितनी बीवियां हैं, पर यह है कि हम कितनी रख सकते हैं. मेरे पिता ने अपनी मिलें मेरे नाम कर दी हैं, इसलिए हम दोनों में मैं ज्यादा अमीर हूं.”

“पर मेरा भविष्य बेहतर है,” दूसरे ने गरमजोशी से कहा, “मेरे पिता के मरने पर मुझे उन की चमड़े की फैक्टरी मिल जाएगी. फिर मैं तुम्हारा सरदार और चर्च में भी ऊंची जगह पर हो जाऊंगा.”

“यह फैसला लड़की पर छोड़ दो,” ड्रेबर के बेटे ने शीशे में अपनी छवि पर इतराते हुए कहा, “हम सारा मामला उस के फैसले पर छोड़ देते हैं.”

इस बातचीत के दौरान जॉन फेरियर गुस्से में आगबबूला खड़ा रहा और बड़ी मुश्किल से अपने पर काबू रखा कि अपना चाबुक इन दोनों की पीठ पर न बरसाए.

“देखो,” आखिर में उन की ओर बढ़ते हुए वह बोला, “जब मेरी बेटी तुम्हें बुलाएगी, तब तुम आ सकते हो, पर तब तक मैं तुम्हारी शक्लों को नहीं देखना चाहता.”

दोनों मॉरमॉन युवक उस को आश्चर्य से देखने लगे. उन की नजरों में लड़की के हाथ के लिए उन दोनों के बीच की प्रतिस्पर्धा उस के और उस के पिता के लिए बहुत बड़ी इज्जत की बात थी.

“इस कमरे से बाहर जाने के दो रास्ते हैं,” फेरियर चिल्लाया, “यह दरवाजा है और यह खिड़की है. तुम कौन से रास्ते से जाना चाहोगे?” उस का भूरा चेहरा इतना खूंखार लग रहा था और उस के सख्त हाथ इतने खतरनाक कि उस के मेहमान फौरन उठ खड़े हुए और जल्दी से वहां से चले गए. बूढ़ा किसान उन के पीछेपीछे दरवाजे तक गया.

“मुझे बता देना कि तुम लोगों ने आपस में क्या फैसला किया है,” उस ने घृणा से कहा.

“तुम इस के लिए बहुत पछताओगे!” गुस्से से सफेद पड़ा स्टेंजरसन चिल्लाया. तुम ने पैगंबर और काउंसिल ऑफ फोर का अपमान किया है. तुम जिंदगीभर इस के लिए पछताओगे.

“प्रभु का हाथ तुम्हारे ऊपर भारी पड़ेगा,” ड्रेबर काबेटा बोला वह उठ कर तुम्हें बहुत तकलीफ देगा.

“तो मैं तुम को तकलीफ देना शुरू करता हूं.” फेरियर जोर से चिल्लाया और अपनी बंदूक लाने ऊपर दौड़ने ही वाला था कि लूसी ने उस का हाथ पकड़ कर उस को रोक लिया. वह उस से छूट पाता, इस से पहले ही घोड़ों की टापों की आवाज से वह समझ गया कि वे उस की पहुंच के बाहर जा चुके हैं.

“आवारा लफंगे!” माथे से पसीना पोंछते हुए वह गुर्राया. “बेटी, मैं चाहूंगा कि इन दोनों में से किसी की भी पत्नी बनने से पहले तू मर जाए.”

“मैं भी यही चाहूंगी, पिताजी.” उस ने जोश के साथ कहा, “पर जेफरसन जल्दी ही यहां आ जाएगा.”

“हां, अब उस के आने में देर नहीं है. वह जितनी जल्दी आ जाए, उतना ही अच्छा होगा क्योंकि कुछ कहा नहीं जा सकता कि उन का अगला कदम क्या होगा.”

वास्तव में इस बात की सख्त जरूरत थी कि कोई समझदार व्यक्ति उस गठीले बूढ़े किसान और उस की बेटी को सही राय दे सके. उस जगह के पूरे इतिहास में बुजुर्गों और सरदारों की ऐसी अवमानना कभी नहीं हुई थी. अगर छोटी छोटी गलतियों की सजा इतनी कड़ी हुआ करती थी, तो न मालूम इस विद्रोही की किस्मत में क्या बंधा था. फेरियर जानता था कि उस का धन और ओहदा उस के लिए किसी फायदे का नहीं होगा. उस के जितने ही प्रसिद्ध और अमीर लोगों को ले जाया गया था और उन की दौलत चर्च को सौंप दी गई थी.
वह बहादुर था पर अपने ऊपर मंडराने वाले अनजाने खौफ से थर्रा रहा था. कोई जानापहचाना खतरा तो वह झेल लेता पर यह रहस्य बौखलाने वाला था. उस ने अपने सारे डर अपनी बेटी से छुपा रखे थे और पूरी बात को हंसी में टालने का दिखावा करता, हालांकि बेटी उस को इतना प्यार करती थी कि उसे साफ दिखाई पड़ रहा था कि वह बहुत बेचैन है.

उस को उम्मीद थी कि जल्दी ही यंग का संदेश या सख्ती भरी डांट उस के पास आएगी और वह गलत नहीं था, हालांकि वह एक अप्रत्याशित तरीके से आई. अगली सुबह उठने पर उस ने हैरत से देखा कि उस की छाती के ठीक ऊपर उस की चादर पर एक चौकोर परचा टंगा है. उस पर साफसाफ शब्दों में लिखा थाः

“तुम को पश्चाताप के लिए उनतीस दिन दिए जाते हैं, और फिर…”

यह अधूरा वाक्य किसी भी धमकी से ज्यादा दहलाने वाला था. जॉन फेरियर के मन में यह खटका बना रहा कि यह धमकी उस के कमरे में आखिर आई कैसे, क्योंकि उस के नौकर बाहर सोते थे और सारे दरवाजे और खिड़कियां अच्छी तरह बंद थे. उस ने परचे को फाड़ दिया और अपनी बेटी से कुछ नहीं कहा, पर इस घटना से उस के दिल में दहशत भर गई.
यह उनतीस दिनों की मोहलत वही थी जितना यंग ने वादा किया था. एक ऐसे दुश्मन के आगे किस की ताकत या हिम्मत काम कर सकती थी, जिस की शक्ति इतनी रहस्यमयीथी? जिस हाथ ने उस की छाती पर पिन से परचा टांगा था, वहीं हाथ उस के सीने को चीर भी सकता था और उसे मालूम भी नहीं पड़ता कि उस को किस ने मारा था.

अगली सुबह वह और भी थर्रा गया. वे लोग नाश्ता करने बैठे थे कि ऊपर की ओर इशारा करती लूसी आश्चर्य से चिल्ला पड़ी, छत के बीचोबीच शायद किसी जली हुई लकड़ी से लिखा गया था- 28. यह उस की बेटी की समझ के परे था, पर उस ने उस को कुछ नहीं बताया. उस रात वह अपनी बंदूक लिए बैठा रहा और निगरानी करता रहा. उस ने न कुछ देखा और न ही कुछ सुना, पर फिर भी सुबह एक बड़ा सा 27 उस के दरवाजे के बाहर पेंट किया हुआ था.

इस तरह दिन पर दिन बीतते गए और सुबह होने पर शर्तिया वह पाता कि उस के दुश्मन दिन गिन रहे हैं और किसी भी आसानी से दिखाई पड़ने वाली जगह पर लिख देते थे कि उस के पास अब कितने दिन बचे हैं. कभी ये मौत के दूत बने अक्षर दीवारों पर प्रकट होते, कभी फर्श पर कभीकभी बाग के गेट या किसी चहारदीवारी पर टंगे होते.

अपने पूरे चौंकन्नेपन के बावजूद जॉन फेरियर यह नहीं समझ पा रहा था कि रोजरोज उस को ये नई धमकियां कैसे मिल रही थीं. जब भी उस की नजरों में ये धमकियां पड़तीं, उस में अंधविश्वास का सा खौफ छा जाता. वह थका हुआ और बेचैन रहने लगता और उस की आंखों में उस प्राणी का सा डर होता, जिस को डर रहता है कि किसी भी वक्त वह शिकार हो जाएगा. उसकी जिंदगी में बस एक ही उम्मीद बची थी, नेवाडा से युवा शिकारी के आ जाने की.

बीस घट कर पंद्रह रह गए थे और पंद्रह बच कर दस, पर अभी तक उस की कोई खबर नहीं आई थी. एकएक कर के दिनों की संख्या कम होती गई. पर फिर भी उस का कोई निशान नहीं था. जब भी किसी घुड़सवार की टाप सड़क से आती सुनाई पड़ती या कोई कोचवान उस की टीम को आवाज देता, बूढ़ा किसान जल्दी से गेट की ओर जाता, यह सोचते हुए कि आखिर मदद आ ही गई.

अंत में जब उस ने देखा कि पांच की संख्या चार में बदल गई और फिर तीन में, उस का दिल डूब गया और उस ने भाग निकलने की उम्मीद छोड़ दी. वह जानता था कि अकेले दम पर और पहाड़ों के बारे में अपने सीमित ज्ञान से वह बिलकुल कमजोर था. जो सड़कें ज्यादा चलती थीं, उन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी और काउंसिल की इजाजत के बगैर उन पर से कोई नहीं गुजर सकता था. वह जिस ओर भी मुड़े, जो वार उस पर लटक रहा था, उस से बचने का कोई साधन नहीं था. फिर भी वह बूढ़ा अपनी इस प्रतिज्ञा से नहीं डिगा कि अपनी बेटी को बेआबरू होने से पहले वह अपनी जान दे देगा.

एक शाम अपनी परेशानियों के बारे में सोचता वह चिंतामग्न बैठा था कि कैसे छुटकारा पाए, पर उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था. उस सुबह 2 का अंक उस की दीवारों पर लिखा दिखाई दिया था और अगला दिन उसके लिए आखिरी दिन होगा. फिर क्या होगा? उस की कल्पना में तरहतरह के भयानक खयाल उठने लगे कि उस के मरने के बाद बेटी का क्या होगा? उस के चारों ओर जो अदृश्य जाल बुना गया था, क्या उस से निकलना संभव नहीं था? उस ने मेज पर अपना सिर टिका लिया और अपनी असमर्थता का खयाल कर के सिसक उठा.

यह क्या था? सन्नाटे में उस ने एक कोमल खरोंचने की आवाज सुनी. धीमी, पर रात के सन्नाटे में एकदम स्पष्ट. वह घर के दरवाजे से आ रही थी. फेरियर चुपचाप हॉल में आया और गौर से सुनने लगा. कुछ क्षणों तक चुप्पी छाई रही, और फिर वह धीमी आवाज फिर से दोहराई गई. जाहिर था कि कोई बड़ी कोमलता से दरवाजा खटखटा रहा था. क्या आधी रात को आने वाला यह कोई हत्यारा था, जो गुप्त कानून के खूनी आदेश का पालन करने आया था? या कोई ऐसा था, जो आखिरी दिन की याद दिलाने आया था. जॉन फेरियर को लगा कि उस का दिल डुबोने वाला और दहलाने वाले इस रहस्य को सहते रहने से अच्छा होगा, उस को तुरंत मौत मिल जाए. आगे लपकते हुए उस ने चटखनी खोली और दरवाजा खोल दिया.

बाहर सब शांत था. रात अच्छी थी और ऊपर तारे अच्छी रोशनी फैलाते हुए चमक रहे थे. किसान की आंखों के सामने, सामने का बगीचा था और उस की चहारदीवारी के गेट पर और न सड़क पर कोई इनसानदिखाई पड़ रहा था. राहत की सांस ले कर फेरियर ने दाएं देखा फिर बाएं, अपने ही पैरों पर नीचे निगाह डाल कर उस ने देखा एक आदमी मुंह के बल जमीन पर लेटा है, उस के हाथ और पैर फैले हुए थे.

इस नजारे को देख कर वह इतना घबरा गया कि वह अपनी चीख दबाने के लिए गले पर हाथ रख कर दीवार का सहारा लिए खड़ा रहा. उस का पहला खयाल था कि लेटी हुई आकृति किसी घायल या मरणासन्न आदमी की है, पर वह उस को देख रहा था, तभी उस ने उस को सांप की सी फुरती के साथ जमीन पर रेंगते हुए देखा. घर के अंदर दाखिल होने पर वह आदमी अपने पैरों पर खड़ा हो गया, दरवाजा बंद किया और हैरान किसान को जेफरसन होप का दृढ़ भाव दिखाया.

“अरे तुम,” जॉन फेरियर हांफा, “तुम ने मुझे कितना डरा दिया. इस तरह अंदर आने की क्या वजह थी?”

“मुझे खाना दो,” दूसरे ने रुंधे गले से कहा. पिछले अड़तालीस घंटों से मैं ने न खाया है, न पिया है. वह अपने मेजबान की खाने की मेज पर रखे खाने पर टूट पड़ा, “क्या लूसी ठीक है?” जब उस की भूख शांत हुई, तो उस ने पूछा.

“हां, उसे खतरे के बारे में कुछ नहीं मालूम,” पिता ने जवाब दिया.

“अच्छा ही है. घर पर चारों ओर से निगाह रखी जा रही है. इसीलिए मैं रेंगते हुए यहां तक आया हूं. वह बहुत चालाक हो सकते हैं पर एक वॉशो शिकारी सेज्यादा चालाक नहीं हैं.”

यह समझते ही कि अब उस के पास एक सच्चा दोस्त है, जॉन फेरियर अब बदला हुआ आदमी था. उस ने युवक का हाथ पकड़ कर गरमजोशी से हाथ मिलाया, “तुम ऐसे आदमी हो जिस पर नाज किया जा सकता है.” वह बोला, “हमारे ऊपर छाए खतरों को बांटने कौन आ सकता था.”

“यह सही है,” युवा शिकारी ने जवाब दिया. “मैं आप की इज्जत करता हूं, पर अगर आप इस उलझन में अकेले होते तो मैं इस मधुमक्खी के छत्ते में कभी हाथ नहीं डालता. मैं यहां पर लूसी की वजह से आया हूं और इस के पहले कि उसे कोई नुकसान पहुंचे, मैं समझता हूं कि यूटाह में होप परिवार का एक सदस्य कम हो जाएगा.”

“हमें क्या करना होगा?”

“कल आप का आखिरी दिन है और अगर आप ने आज कोई उपाय नहीं किया, तो सब खत्म हो जाएगा. एक खच्चर और दो घोड़े ईगल रेवीन में हमारा इंतजार कर रहे हैं. आप के पास कितने पैसे हैं?”

“सोने में दो हजार डॉलर और नोटों में पांच.”

“उतना काफी है, इतना ही मेरे पास भी है. पहाड़ों से होते हुए हमें कारसन शहर की ओर जाना चाहिए. सब से अच्छा यह होगा कि आप लूसी को जगा दें. यह भी अच्छा है कि नौकर घर में नहीं सोते.”

जब फेरियर अपनी बेटी को आने वाली यात्रा केलिए तैयार कर रहा था, जेफरसन होप ने खाने का जितना भी सामान था, एक पैकेट में बांधा और एक मिट्टी के जार में पानी भरा, क्योंकि वह अनुभव से जानता था कि पहाड़ों में बहुत ही कम कुएं होते हैं और वे भी एक दूसरे से काफी दूरी पर. उस ने अपनी तैयारियां पूरी की ही थीं कि किसान अपनी बेटी के साथ आ गया, जो जाने के लिए तैयार थी. दोनों प्रेमियों के बीच मुलाकात में गरमजोशी थी पर बहुत छोटी, क्योंकि एकएक मिनट कीमती था और करने के लिए बहुत कुछ था.

“हमें फौरन यहां से निकलना होगा,” जेफरसन होप ने धीमी पर दृढ़ आवाज में कहा, जैसे वह जानता था कि खतरा कितना बड़ा है, पर वह उस का सामना करने के लिए लोहे की तरह मजबूत हो चुका है. “आगे और पीछे के रास्तों पर नजर रखी जा रही है, पर हम ध्यान से निकलें तो किनारे की खिड़की से निकल कर हम खेतों में निकल सकते हैं. सड़क पर आने के बाद हम दर्रे से केवल दो किलोमीटर दूर रह जाएंगे, जहां हमारे घोड़े इंतजार कर रहे हैं. पौ फटने तक हम आधी दूरी तक पहाड़ों में निकल जाएंगे.”

“अगर हम रोक लिए गए, तो?” फेरियर ने पूछा. “होप ने रिवाल्वर पर हाथ मारा जो उस की शर्ट के अंदर से चमक रही थी. अगर वे गिनती में ज्यादा हुए, तो हम दो या तीन को अपने साथ ले जाएंगे,” खूंखार हंसी हंसते हुए वह बोला.

घर के अंदर सभी बत्तियां बंद कर दी गई थीं. अंधेरी खिड़की से फेरियर ने बाहर उन खेतों पर नजर दौड़ाई, जो उस के अपने थे और जिन को अब यह हमेशा के लिए छोड़ कर जाने वाला था. उस ने इस बलिदान के लिए खुद को तैयार कर रखा था और उसे अपनी बेटी की खुशी और इज्जत, सारी धनदौलत गंवाने के दुख से बड़ी थी. सब कुछ इतना शांत और खुशनुमा लग रहा था, सरसराते पेड़ और मीलों दूर फैले अनाजों के खेत, कि यह एहसास करना मुश्किल था कि हत्या की रूह पूरे माहौल में मंडरा रही थी. फिर भी युवा शिकारी का सफेद चेहरा और सधा हुआ भाव दिखा रहा था कि घर में आते समय उस ने इस ओर से पूरी तसल्ली कर ली थी.

फेरियर ने सिक्कों और सोने का थैला उठाया. जेफरसन के पास खाना और पानी, जबकि लूसी के पास एक छोटी सी गठरी थी, जिस में उस का अपना कीमती सामान था. खिड़की को बहुत ही ध्यान और धीमे से खोलते हुए उन्होंने तब तक का इंतजार किया, जब तक एक काले बादल ने रात को एकदम अंधेरा नहीं कर दिया और फिर वे एकएक कर के छोटे से बगीचे में उतर गए. सांस रोक कर धीरेधीरे वे घुटनों के बल रेंगते हुए आगे बढ़े, फिर एक झाड़ी के साए में छुप गए और फिर वे मक्का के खेतों में चले गए. वे यहां पर पहुंचे भर थे कि युवक ने अपने दोनों साथियों को खींच कर छाया में कर लिया, जहां वे चुपचाप कांपते हुए पड़े रहे.

अच्छा ही हुआ कि उस के प्रशिक्षण ने उस के कानों को बहुत सजग कर दिया था. वह और उस के मित्र छिपे भर थे कि उन से कुछ मीटर की दूरी पर पहाड़ी उल्लू की हूटहूट सुनाई पड़ी और तुरंत ही थोड़ी सी दूरी पर इस हूट का जवाब आ गया, उसी समय एक अस्पष्ट सी आकृति उसी रास्ते में दिखी, जहां वे जा रहे थे और वही हूट फिर से सुनाई पड़ी और एक दूसरा आदमी अंधेरे में से निकला.

“कल आधी रात को,” पहले ने कहा, जो शायद मुखिया था. “जब विपूर विल तीन बार बुलाएगा.”

“ठीक है,” दूसरे ने जवाब दिया. “क्या मैं ब्रदर ड्रेबर को बता दूं?”

“उन को बता दो और उन के जरिए औरों को सात में नौ!”

“पांच में सात!” दूसरे ने दोहराया और दोनों आकृतियां अलगअलग दिशाओं में चली गईं. उन का आखिरी शब्द जाहिर था, किसी तरह का इशारा था. जैसे ही उन के कदमों की आहट दूर जा कर खत्म हुई, जेफरसन होप अपने पैरों पर खड़ा हुआ और अपने सहयात्रियों की मदद करता उन को खेतों के पार तेजी से ले गया. कभी गोद में उठा कर लड़की को सहारा देता, क्योंकि उस की ताकत शायद जवाब दे रही थी.

“जल्दी करो, जल्दी करो!” बीचबीच में वह हांफता, “चौकीदारों की पंक्ति से हम निकल चुके हैं. सब कुछ रफ्तार पर निर्भर है. जल्दी करो!”

एक बार सड़क पर आने के बाद, वे जल्दीजल्दी आगे बढ़ने लगे. सिर्फ एक बार उन के रास्ते में कोई मिला, और वे खेतों में छिप गए ताकि वे पहचाने न जाएं. शहर पहुंचने से पहले युवक एक खुरदुरी, पतली सी पगडंडी की ओर मुड़ गया जो पहाड़ों की ओर जाती थी. अंधेरे में दो ऊफबड़खाबड़ पर्वत की चोटियां झलक रही थीं और इन दोनों के बीच से जो रास्ता जाता था, वह ईगल दर्रे से गुजरता था, जहां पर घोड़े उन की प्रतीक्षा कर रहे थे. अपने सटीक अंदाज से जेफरसन होप ने बड़ीबड़ी चट्टानों के बीच से और एक सूखे जल स्रोत से होते हुए अपना रास्ता ढूंढ़ा और वे लोग वहां तक पहुंच गए, जहां चट्टानों से ढके हुए एक एकांत कोने में उस के वफादार घोड़े बंधे हुए थे. लड़की को खच्चर पर बैठाया गया, और बूढ़ा फेरियर एक घोड़े पर अपने रुपए के थैले के साथ, जबकि जेफरसन होप दूसरे घोड़े के साथ उस खतरनाक रास्ते पर आगेआगे चल पड़ा.

जिस किसी को प्रकृति को अपने सब से रौद्र रूप में देखने की आदत नहीं थी, उस के लिए यह रास्ता बौखलाने वाला था. एक तरफ करीब तीन सौ मीटर लंबी, काली, खतरनाक और डरावनी चट्टान खड़ी थी, जिस की ऊफबड़खाबड़ सतह पर लंबीलंबी लकीरें ऐसी दिख रही थीं, मानो किसी डरे हुए जंतु की पसलियां हों. दूसरी ओर ऊफबड़खाबड़ चट्टानों और कंकड़ों के कारण आगे बढ़ना नामुमकिन था. इन दोनों के बीच में यह टेढ़ीमेढ़ी पगडंडी थी, जो कई जगहों पर इतनी संकरी थीकि उन को एक पंक्ति में चलना पड़ रहा था और इतनी पथरीली कि सिर्फ अनुभवी घुड़सवार ही उस पर गुजर सकता था. फिर भी, सारी परेशानियों और खतरों के बावजूद इन लोगों के हौसले बुलंद थे, क्योंकि हर कदम के साथ इन का और भयानक शत्रुओं के बीच का फासला बढ़ता जा रहा था.

परंतु उन को जल्दी ही सबूत मिल गया कि वे अभी भी संतों के क्षेत्र में ही हैं, वे दर्रे के सब से बियाबान इलाके में थे कि लड़की चौंक कर चीख पड़ी और ऊपर की ओर इशारा किया पगडंडी के ऊपर एक चट्टान पर एक प्रहरी खड़ा था. जैसे ही इन लोगों ने उस को देखा, उस ने भी इन को देख लिया और उस की सैनिक गुहार “कौन है उधर…” पूरे दर्रे में गूंज उठी.

“नेवाडा जाने वाले यात्री,” जेफरसन होप ने बंदूक पर हाथ रखते हुए कहा, उस की काठी से लटक रही थी.

उन्होंने उस अकेले प्रहरी को अपनी बंदूक टटोलते देखा और वह नीचे की ओर इन लोगों को ऐसे देखने लगा मानो इन के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ हो.

“किस की आज्ञा से?” उस ने पूछा.

“पवित्र चार” फेरियर ने जवाब दिया उस के मॉरमॉन अनुभव ने सिखाया था कि वही सब से ऊंची संस्था है, जिस की दुहाई वह दे सकता था.

“सात में नौ,” प्रहरी चिल्लाया.

“पांच में सात,” जेफरसन होप ने तुरंत जवाब दिया,उस को बगीचे में हुई यह बात याद थी.

“जाओ,” ऊपर से आती आवाज ने कहा. उस की चौकी के आगे पगडंडी चौड़ी हो गई और घोड़े टपाटप चलने लगे. पीछे मुड़ कर उन्होंने देखा कि अकेला प्रहरी अपनी बंदूक के सहारे खड़ा है और वे समझ गए कि वे मॉरमॉनों की पहुंच से बाहर निकल आए हैं और आजादी उन के सामने है.

पूरी रात उन का रास्ता पेचीदे और ऊफखड़ खाबड़ पगडंडियों से गुजरता रहा. एक से ज्यादा बार वे रास्ता भटके, पर होप की पहाड़ी इलाके की गहरी जानकारी से वे सही रास्ते पर लौट आते. सवेरा होने पर, उन के सामने खूबसूरत दृश्य था. चारों दिशाओं में बर्फ ढकी पहाड़ों की चोटियां थीं, जो दूर क्षितिज तक फैली थीं. उन के दोनों ओर इतना ढलान था कि ऐसा लग रहा था कि पेड़ उन के सिरों के ऊपर लटक रहे हैं और तेज हवा के झोंके से वे उन पर गिर पड़ेंगे. यह डर कोई मिथ्या नहीं था क्योंकि बंजर घाटी पेड़ों और चट्टानों से भरी पड़ी थी, जो इसी तरह गिर चुके थे. जब वे गुजर रहे थे, एक बड़ी चट्टान तेज आवाज से लुढ़कती हुई नीचे आई जिस से शांत दर्रों की प्रतिध्वनियां जाग गईं और थके हुए घोड़े घबरा कर दौड़ने लगे.

पूर्व के क्षितिज में धीरेधीरे जब सूरज उगा, पहाड़ियों की चोटियां एकएक कर के उठीं मानो किसी उत्सव के दीपक हों और अंत में लालिमा लिए चमकने लगीं. इस सुंदर नजारे ने तीनों भगोड़ों के दिलों में उत्साह भर दिया. दर्रे में से निकलने वाले एक पहाड़ी झरने पर वे रुके, घोड़ों को पानी पिलाया और जल्दीजल्दी नाश्ता किया. लूसी और उस के पिता थोड़ी देर आराम करना चाहते थे, पर जेफरसन होप को कोई थकान नहीं हुई थी- “इस समय तक वे हमारी खोज में निकल चुके होंगे,” वह बोला. सब कुछ हमारी रफ्तार पर निर्भरकरता है. एक बार सहीसलामत कारसन पहुंच जाएं तो जिंदगीभर आराम कर सकते हैं.”

उस पूरे दिन वे मुश्किलों का सामना करते आगे बढ़ते रहे और शाम तक उन्होंने अंदाज लगाया कि वे अपने दुश्मनों से करीब अड़तालीस कि. मी. से भी ज्यादा फासले पर थे, रात का समय उन्होंने एक दर्रे की ओट में बिताया, जहां चट्टानों से उन्हें बर्फीली हवाओं से कुछ राहत मिली और वहां पर एकदूसरे से सट कर वे आराम से कुछ घंटों के लिए सो गए. पौ फटने से पहले ही वे उठ गए और एक बार फिर से निकल पड़े. उन्होंने अपना पीछा करते किसी को नहीं देखा था और जेफसरन उम्मीद करने लगा था कि वे उस भयंकर संस्था के शिकंजे से बच निकले हैं. जिस की दुश्मनी उन लोगों ने मोल ले ली थी उस को शायद मालूम नहीं था कि उन का मजबूत शिकंजा कितनी दूर पहुंच सकता है या कितनी जल्दी वह उन के पास पहुंच कर उन लोगों को मसल डालेगा.

निकल भागने के दूसरे दिन के बीच में उन के खानेपीने का सामान खत्म होने लगा. इस से शिकारी को कोई खास उलझन नहीं हुई, क्योंकि पहाड़ों पर शिकार मिल ही जाता था और अकसर जिंदगी की जरूरतें पूरी करने के लिए उस को अपनी बंदूक का सहारा लेना पड़ता था. एक छुपा हुआ कोना ढूंढ़ कर, उस ने कुछ सूखी लकड़ियां इकट्ठी कीं और आग जलाई, जिस से उस के साथी अपने को गरम कर सके, क्योंकि इस वक्तवे समुद्र की सतह के करीब पंद्रह सौ मीटर ऊपर थे और हवा सरद थी. घोड़ों को फिर से बांध कर और लूसी से विदा ले कर उस ने बंदूक अपने कंधे पर डाली और खाने की खोज में निकल पड़ा. पीछे मुड़ कर देखने पर उस ने बूढ़े आदमी और युवती को आग के पास बैठे देखा और तीनों जानवर वही पीछे खड़े थे. फिर चट्टानों की आड़ हो जाने से वे आंखों से ओझल हो गए.

वह करीब 3 कि. मी. तक इस झरने से उस झरने तक बिना किसी सफलता के भटकता रहा, हालांकि पेड़ों के तनों पर पड़े निशान और दूसरे संकेतों से उस ने अंदाज लगाया कि आसपास कई भालू होंगे. आखिर में, दो तीन घंटों की असफल खोज के बाद वह निराश हो कर वापस जाने की सोच रहा था कि अचानक ऊपर देखने पर उस ने ऐसा नजारा देखा जिस से उस के दिल में खुशी की लहर दौड़ गई. उस के ऊपर एक सौ बीस मीटर की ऊंचाई पर एक बाहर को निकली चोटी के किनारे एक जानवर खड़ा था जो देखने में तो भेड़ लग रहा था, पर इस के दो बड़ेबड़े सींग थे. यह बड़े सीगों वाला ऐसे लग रहा था मानो अपने पूरे झुंड की रखवाली कर रहा था. पर वह दूसरी दिशा में जा रहा था और उस ने शिकारी को नहीं देखा था. चेहरे के बल लेटते हुए, उस ने अपनी बंदूक चट्टान से टिकाई और ध्यान से निशाना साधा और फिर बंदूक दागी, जानवर हवा में लपका, एक पल डगमगाया और फिर जोरों से नीचे घाटी में आ गिरा.

जानवर बहुत भारी था इसलिए उठाने में परेशानी थी. अतः शिकारी ने उस का कुछ हिस्सा काट लिया. इस को कंधे पर लटका कर वह जल्दीजल्दी चलने लगा, क्योंकि शाम ढलने को थी और वह चला ही था, कि उस को एक कठिनाई सामने नजर आई. अपनी उत्सुकता में, वह उन दर्रों के पार चला आया था जो उस के जानेपहचाने थे और वापसी का रास्ता ढूंढ़ना आसान नहीं था. जिस घाटी में वह अब था, वह अनेक रास्तों में बंटी हुई थी जो एक दूसरे से इतने समान थे कि एक का दूसरे से भेद करना मुश्किल था. वह एक रास्ते में एक किलोमीटर से भी ज्यादा चला. वह एक पहाड़ी झरने पर आया, जो वह जानता था कि उस ने पहले कभी नहीं देखा था. जब उसे यकीन हो गया कि वह गलत मोड़ पर है, उस ने दूसरा रास्ता पकड़ा, पर उस का भी यही नतीजा निकला. रात चढ़ती जा रही थी और लगभग अंधेरा हो गया था जब आखिर में उसे एक जानीपहचानी जगह मिल गई. दोनों ऊंची चट्टानें उसे और भी बौखला रही थीं, अपने साथ के वजन और थकान की वजह से वह लड़खड़ाता चला जा रहा था और अपने दिल को हौसला देता जा रहा था कि हर कदम उसे लूसी के करीब ले जा रहा है और उस के पास अब इतना भोजन था कि उन की बाकी यात्रा आराम से कट सके.

वह अब उसी रास्ते पर आ गया था, जहां उस ने उन लोगों को छोड़ा था. अंधेरे में भी वह उन चट्टानों को पहचान पा रहा था. उस ने सोचा कि वे लोग व्याकुल होकर उस का इंतजार कर रहे होंगे क्योंकि उस को गए लगभग पांच घंटे हो चुके थे. खुश होते हुए उस ने अपने मुंह पर हाथ रख कर आवाज निकाल कर इशारा भेजा कि वह आ रहा है. वह रुका और जवाब का इंतजार करने लगा. उस की अपनी प्रतिध्वनि के अलावा कोई इशारा वापस नहीं आया. वह फिर से चिल्लाया, पहले से भी जोरों से, और फिर भी कोई फुसफुसाहट तक नहीं सुनाई पड़ी और फिर भी उस को अपने मित्रों से कोई जवाब नहीं मिला जिन को वह थोड़ी देर पहले छोड़ कर आया था. एक बेनाम सा अनजान खौफ उस के दिल में भर गया और वह बेतहाशा आगे बढ़ा, अपनी हड़बड़ी में वह अमूल्य भोजन भी वहीं छोड़ गया.

जब वह कोने से मुड़ा, उस को वह जगह साफ दिखाई दी, जहां उस ने आग जलाई थी. वहां पर अब भी लकड़ी सुलग रही थी, पर जब से वहां से गया था, आग का किसी ने ध्यान नहीं रखा था. वही मौत का सन्नाटा चारों ओर फैला था. उस का डर अब यकीन में बदल गया था और वह जल्दीजल्दी वहां पहुंचा. आग के पास कोई भी जीवित प्राणी नहीं था. जानवर, पुरुष, युवती, सब जा चुके थे- साफ था कि अचानक कोई भयंकर हादसा उस की गैर मौजूदगी में घटा था-एक ऐसा हादसा जो सब को लील गया पर जिस ने अपने पीछे कोई छाप नहीं छोड़ी थी.

इस वार से स्तब्ध हो कर जेफरसन को लगा कि उस का सिर घूम रहा है, और अपने को गिरने से बचाने केलिए उस को अपनी बंदूक का सहारा लेना पड़ा. फिर भी, वह कर्मयोगी था और इस क्षणिक कमजोरी से फौरन बाहर निकल आया. सुलगती आग में से एक जलती लकड़ी निकाल कर उस को फूंक कर उस की लपट बनाई और उस की मदद से वह उस जगह का मुआयना करने लगा. पूरी जमीन पर घोड़ों के पैरों के निशान थे, जो ये बता रहे थे कि कई घुड़सवारों ने उस के साथियों को धरदबोचा था और उन के पैरों के निशान बता रहे थे कि वे लोग वापस सॉल्ट सिटी की ओर चले गए थे, क्या वे उन दोनों को भी अपने साथ ले गए थे? जेफरसन होप लगभग यह मान चुका था कि ऐसा ही हुआ होगा कि तभी उस की निगाह किसी चीज पर पड़ी जिस से उस का रोमरोम झनझना उठा. उन के कैंप से कुछ दूर एक तरफ लाल मिट्टी का ढेर पड़ा था, जो शर्तिया पहले नहीं था. जाहिर था कि यह कुछ और नहीं, एक ताजा खोदी हुई कब्र थी. युवा शिकारी जब उस के पास पहुंचा, उस ने देखा कि कब्र पर एक डंडी गाड़ी गई थी और उस पर एक परची टंगी थी. कागज पर लिखावट संक्षिप्त, पर सटीक थी.

‘जॉन फेरियर.’

सॉल्ट लेक सिटी का भूतपूर्व निवासी.

वह मजबूत बूढ़ा पुरुष, जिसे उस ने कुछ देर पहले ही छोड़ा था, अब हमेशा के लिए जा चुका था और यह उस की कब्र थी. जेफरसन होप ने बदहवासी से इर्दगिर्द देखा कि कहीं दूसरी कब्र तो नहीं है, पर ऐसा कोई चिन्हनहीं था. लूसी को वे भयानक लोग बुजुर्ग के बेटे के हरम का हिस्सा बनाने के लिए उठा ले गए थे, जैसा उसे लग रहा था. जैसे ही उस युवक को समझ में आया कि लूसी की किस्मत असल में क्या है और वह कुछ कर पाने में कितना बेबस है. उस की इच्छा हुई कि उस की भी बूढ़े किसान के बगल में कब्र खुद जाए.

फिर भी, एक बार फिर से उस की बेचैन आत्मा ने उस की वह तंद्रा दूर कर दी जो हताशा की वजह से उस पर छाई थी. अगर उस के पास कुछ भी नहीं बचा था, तो कम से कम वह अपना बाकी जीवन बदला लेने में बिता देगा. अदम्य सब्र और लगन के साथसाथ जेफरसन होप के पास बदला लेने की भी ताकत थी, जो शायद उस ने उन भारतीयों से सीखा था, जिन के बीच वह रहता था. एकाकी आग के पास खड़ेखड़े उस को लगा कि उस का गम तभी कम होगा, जब वह पूरी तरह से अपने हाथों से दुश्मनों से बदला लेगा. उस का दृढ़ निश्चय और कार्यक्षमता सिर्फ इसी लक्ष्य को पाने में इस्तेमाल होंगे. उग्र, सफेद चेहरा लिए वह वापस उस जगह तक गया, जहां उस ने भोजन गिराया था और सुलगती आग को हवा दे कर और तेज किया. उस ने इतना भोजन पका लिया जितना उस को कई दिनों तक काफी होता. यह उस ने गठरी में बांधा और हालांकि वह थका हुआ था, पर फिर भी वह पहाड़ों के रास्ते वापस प्रतिशोध लेने वाले फरिश्तों की राह पर चल पड़ा.

पांच दिनों तक पैरों में छाले लिए और थकाहुआ-वह चलता गया उन रास्तों पर, जिन से वह कुछ दिन पहले गुजरा था. रात में वह चट्टानों पर लेट जाता, पर दिन उगने से पहले वह हमेशा चल पड़ता. छठे दिन वह ईगल दर्रे पर पहुंचा, जहां से उन्होंने अपनी उड़ान शुरू की थी. वहां से वह संतों के घरों पर नजर रख सकता था. टूटा और थका हारा वह अपनी बंदूक का सहारा ले कर खड़ा हो गया और उस ने क्रोध से अपना हाथ नीचे फैले शहरों की ओर बढ़ाया. नीचे देखने पर उस ने गौर किया कि मुख्य सड़कों पर झंडे लहरा रहे हैं और उत्सव के दूसरे चिन्ह भी थे. वह अंदाज लगा ही रहा था कि इस का क्या मतलब हो सकता है कि उस ने घोड़ों की टापें सुनीं और एक घुड़सवार अपनी ओर आता दिखाई दिया. जब वह पास आया, उस ने पहचान लिया कि वह काउपर नाम का मॉरमॉन है, जिस से पहले कई बार उस का वास्ता पड़ा था, इसलिए उस ने उस का अभिवादन किया, यह जानने के लिए कि लूसी फेरियर का क्या हुआ.

“मैं जेफरसन होप हूं. तुम मुझे पहचानते हो.”

मॉरमॉन ने उसे अचरज से देखा. वास्तव में इस मैलेकुचैले गंदे यात्री को पहचानना मुश्किल था, जिस का चेहरा अप्राकृतिक रूप से सफेद पड़ा था और जिस की आंखों में बहशीपन था कि वह पहले वाला बांका शिकारी था. पर जब उसे यकीन हो गया कि वह वही है, उस आदमी का आश्चर्य चिंता में बदल गया.

“तुम पागल हो जो यहां आए हो,” वह बोला, “तुमसे बात करते दिखाई दिए जाने पर मेरी जान भी खतरे में पड़ जाएगी. तुम्हारे खिलाफ पवित्र चार का वारंट जारी है. क्योंकि तुम ने फेरियरों को यहां से भागने में मदद दी.”

“मैं न उन से डरता हूं और न उन के वारंट से,” होप ने आतुर हो कर कहा. “तुम इस मामले के बारे में कुछ जानते होगे, काउपर. मैं तुम को उन सब चीजों की कसम दिलाता हूं, जो तुम को सब से ज्यादा प्रिय है. मेरे कुछ प्रश्नों का जवाब दो. हम हमेशा मित्र रहे हैं. मुझे जवाब देने से इनकार मत करना.”

“क्या है?” मॉरमॉन ने बेचैनी से पूछा. “जल्दी करो. यहां पर चट्टानों तक के कान हैं और पेड़ों की आंखें हैं.”

“लूसी फेरियर का क्या हुआ?”

“कल उस की शादी छोटे ड्रेबर से कर दी गई. संभालो, अपने को संभालो. तुम्हारे अंदर बिलकुल भी जान नहीं बची है.”

“मेरी चिंता मत करो.” होप ने क्षीणता से कहा. उस के होंठ तक बिलकुल सफेद पड़ चुके थे और निढाल हो कर उसी चट्टान पर बैठ गया जिस के सहारे वह अब तक खड़ा हुआ था. “शादी हो गई, तुम ने बताया.”

“कल हो गई शादी, ये झंडे उसी खुशी में लहरा रहे हैं. ड्रेबर और स्टेंजरसन के बेटों में कुछ कहा सुनी हुई थी कि लूसी किस को मिले. उन लोगों की खोज में गई पार्टी में वे दोनों ही गए थे और स्टेंजरसन ही था जिस ने उस के पिता को गोली मारी थी और इसलिए उस केहिसाब से उस का दावा ज्यादा दमदार था. पर जब कांउसिल में यह बहस चल रही थी, ड्रेबर की पार्टी ज्यादा मजबूत थी इसलिए पैगंबर ने लूसी को उसे सौंप दिया, पर कोई भी उस को ज्यादा देर तक नहीं रख सकेगा क्योंकि कल मैं ने उस के चेहरे पर मौत लिखी देखी थी. वह प्रेत ज्यादा, युवती कम नजर आई. तो फिर तुम जा रहे हो?”

“हां, मैं जा रहा हूं.” जेफरसन होप ने कहा, जो अपनी सीट से उठ चुका था. उस का चेहरा मानो संगमरमर से तराशा गया था, उस का भाव इतना कठोर था, जबकि उस की आंखों में एक विनाशकारी चमक थी.

“कहां जा रहे हो?”

“फिक्र मत करो,” उस ने जवाब दिया. अपने हथियार कंधे पर लटका कर वह दर्रे से नीचे गया और पहाड़ों के सीले चीरता हुआ जंगली जानवरों की मांदों से गुजरा, उन सब में कोई उस से ज्यादा खूंखार या खतरनाक नहीं था.

मॉरमॉन की वह भविष्यवाणी सही साबित हुई. अपने पिता की भयंकर मौत के कारण या उस घृणित शादी के असर से जो उस की जबरन कर दी गई थी, बेचारी लूसी फिर कभी अपना सिर ऊपर नहीं उठा सकी. वह सूखती गई और एक महीने के अंदर मर गई. उस का पियक्कड़ पति, जिस ने सिर्फ जॉन फेरियर की जायदाद हासिल करने के इरादे से यह शादी की थी, अपनी बीवी की मौतसे बिलकुल भी दुखी नहीं था. उस की दूसरी बीवियों ने इस मौत का गम मनाया और दफनाए जाने तक उस के साथ बैठी रहीं, जैसा मॉरमॉन रिवाज है.

सुबह होने पर वे लाश को घेरे खड़ी थीं, कि वे तब भयभीत और आश्चर्यचकित रह गईं जब अचानक दरवाजा खुला और एक बहशी सा, बदहवास आदमी मैलेकुचैले कपड़े पहने कमरे में घुस आया. डरी औरतों की ओर देखे बिना या उन से एक भी शब्द बोले बिना वह सफेद, शांत पड़ी आकृति की ओर बढ़ा, जिस में कभी लूसी फेरियर की पवित्र रूह बसती थी. उस के ऊपर झुकते हुए उस ने अपने होंठों से बड़ी श्रद्धा से उस का ठंडा माथा चूमा और फिर उस का हाथ उठा कर उस की अंगुली से शादी की अंगूठी निकाल ली. ‘वह इस अंगूठी में नहीं दफनाई जाएगी,’-उस ने एक खूंखार हुंकार भर कर कहा और जब तक शोर मचता, वह सीढ़ियों के रास्ते छलांग लगा चुका था. यह घटना इतनी अजीब और इतनी संक्षिप्त थी कि अगर दुलहन की अंगुली में पड़ा सोने का छल्ला गायब नहीं हुआ होता, तो देखने वालों को इस पर विश्वास करना या दूसरों को बताना मुश्किल हो जाता.

कुछ महीनों तक जेफरसन होप पहाड़ों में मंडराता रहा, एक अजीब जंगली सा जीवन बिताते हुए और अपने दिल में इंतकाम की आग सुलगाए, जो उस के अंदर धधक रही थी. शहर में इस विचित्र आकृति के किस्से सुनाए जा रहे थे जो शहर के आसपास मंडरातीनजर आती थी और जो वीरान पहाड़ी दर्रों में रहती थी. एक बार एक गोली स्टेंजरसन की खिड़की के अंदर सनसनाती हुई आई और उस से थोड़ीथोड़ी दूरी पर दीवार में अटक गई.

दूसरे मौके पर, जब ड्रेबर एक चट्टान के नीचे से जा रहा था तो उस के ऊपर एक बड़ा सा पत्थर आ कर गिरा और वह मुंह के बल लेट कर ही अपने को एक भयानक मौत से बचा पाया. दोनों युवा मॉरमॉनों को यह अंदाज लगाते देर नहीं लगी कि उन के ऊपर ये जानलेवा हमले किस वजह से हो रहे हैं और बारबार पहाड़ों पर अपनी फौज ले कर इस उम्मीद में जाते कि दुश्मन को पकड़ लें, मार डालें, पर हमेशा नाकामयाब रहते. फिर उन्होंने सतर्कता बरती कि कभी भी बाहर अकेला या रात ढलने पर नहीं निकलें और अपने घर पर भी कड़ा पहरा लगा दिया. कुछ समय बाद उन्होंने अपनी चौकसी में ढील दे दी, क्योंकि दुश्मन न देखा गया, न उस के बारे में कुछ सुना गया और उन्होंने उम्मीद की कि समय के साथ उस की इंतकाम की आग ठंडी पड़ गई है.

पर ऐसा होना तो दूर, समय ने उस आग को और भड़का दिया था, शिकारी का दिमाग बेहद सख्त और अड़ियल था और बदले का खयाल उस के ऊपर इस तरह हावी हो चुका था कि किसी और भावना की जगह नहीं बची थी. वह बेहद व्यावहारिक किस्म का था. उस ने जल्दी ही जान लिया कि उस की मजबूत काठी भी उस मेहनत और तनाव को ज्यादा दिन नहीं झेल पाएगी,जिस से वह गुजर रहा था. पौष्टिक खुराक की कमी और सरदीगरमी के थपेड़ों से वह गलता जा रहा था. अगर पहाड़ों के बीच वह कुत्ते की मौत मर गया, तो उस के इंतकाम का क्या होगा? पर ऐसी मौत उस पर जरूर हावी हो जाएगी अगर वह यूं ही भटकता रहेगा. उसे लगा कि यह तो दुश्मन की इच्छा पूरी करने की बात हो जाएगी, इसलिए बेमन से वह नेवाडा की खदानों की ओर लौट गया कि अपनी सेहत बना ले और इतना पैसा कमा ले कि बेहिसाब अपने काम को अंजाम दे सके.

उस का इरादा था कि हद से हद एक साल तक गायब रहे, पर कुछ अनचाहे हालात ऐसे बन गए कि पांच सालों तक वह खदानों को नहीं छोड़ सका. पर इस समय के अंत तक उस के साथ हुए अन्याय और उस की प्रतिशोध की यादें उतनी ही तीखी थीं जितनी उस रात, जब वह जॉन फेरियर की कब्र पर खड़ा था. भेष और नाम बदल कर वह सॉल्ट लेक सिटी वापस पहुंचा, इस से बेपरवाह कि उस की अपनी जिंदगी का क्या होगा. बस इस बात की फिक्र थी कि वह न्याय पा सके. वहां बुरी खबर उस का इंतजार कर रही थी.

उन लोगों के बीच कुछ महीनों पहले ही चर्च में फूट पड़ गई थी. चर्च के कुछ युवा सदस्यों ने बुजुर्गों की सत्ता के खिलाफ बगावत कर दी, जिस का नतीजा यह हुआ कि कुछ असंतुष्ट यूटाह छोड़ कर चले गए थे. इन लोगों में ड्रेबर और स्टेंजरसन भी थे और किसी को भी नहीं मालूम था कि वे कहां गए थे. अफवाह थी कि ड्रेबर नेअपनी जायदाद का काफी हिस्सा पैसे में तबदील कर लिया है और वह यहां से काफी दौलतमंद हो कर गया है जबकि उस का मित्र स्टेंजरसन उस से काफी गरीब था. फिर भी, ऐसा कोई सुराग नहीं था कि अब वे लोग कहां हैं.

इतनी कठिन परिस्थिति में बड़े से बड़ा इंतकाम लेने को आतुर कोई भी व्यक्ति इंतकाम का खयाल छोड़ देता, पर जेफरसन होप एक पल को भी विचलित नहीं हुआ. उस के पास जितनी हैसियत थी जो उस ने इधरउधर काम कर के कमाई थी, वह संयुक्त राष्ट्र के शहरशहर में भटकता, दुश्मनों की खोज करता रहा. साल पर साल बीतते गए, उस के काले बाल अधपके हो गए, पर वह भटकता रहा. एक शिकारी कुत्ते के रूप में इनसान की तरह, उस के दिमाग में सिर्फ एक ही लक्ष्य था. आखिरकार उस की मेहनत रंग लाई.

वह सिर्फ एक खिड़की में किसी चेहरे की झलक थी पर उस झलक से वह समझ गया कि ओहियो के क्लीवलैंड में वे आदमी हैं जिन की उसे तलाश थी.

वह अपने ठिकाने पर आया. उस के मन में बदले की सारी योजना तैयार थी. पर ऐसा हुआ कि खिड़की से देखते हुए ड्रेबर ने सड़क पर खड़े आदमी को पहचान लिया था और उस ने उस की आंखों में खून पढ़ लिया था. वह जल्दी से स्टेंजरसन के साथ, जो उस का निजी सेक्रेटरी बन चुका था, पुलिस के पास गया और उसे बताया कि उस की जान को खतरा है, एक पुराने विरोधीकी ईर्ष्या और नफरत की वजह से. उस शाम जेफरसन होप को बंदी बना लिया गया और जमानत न ढूंढ़ पाने की वजह से कुछ हफ्तों तक वह कैद रहा. आखिरकार जब वह रिहा हुआ, तो उसे पता चला कि ड्रेबर का घर खाली हो चुका है और वह और उस का सेक्रेटरी यूरोप जा चुके हैं.

एक बार फिर बदला लेने वाले को मात मिली थी और एक बार फिर उस की बदले की आग ने उस को उन का पीछा करने के लिए उकसाया. पर उस के पैसे खत्म होते जा रहे थे और कुछ समय के लिए उसे काम पर वापस लौटना पड़ा. वह अपनी आने वाली यात्रा के लिए हर डॉलर को बचाता था. अंत में जब उस ने जीने लायक काफी धन कमा लिया, वह यूरोप की ओर रवाना हो गया. उस ने शहरशहर अपने दुश्मनों की खोज की, कोई भी काम करना स्वीकार किया, पर वे नहीं मिले.

जब वह सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचा, वे लोग पेरिस जा चुके थे और जब वह उन के पीछे वहां गया, उसे पता चला कि वे हाल ही में कोपनहागेन जा चुके हैं. डेनमार्क की राजधनी पहुंचने में उसे फिर कुछ दिनों की देरी हो गई क्योंकि वे लोग लंदन जा चुके थे, जहां अंत में वह उन तक पहुंच गया था. अब लंदन में क्या घटा, बेहतर होगा कि हम युवा शिकारी का ही बयान सुन लें, जो डाक्टर वॉटसन के जर्नल में दर्ज है, जिस के हम पहले ही इतने आभारी हैं.

प्रातिक्रिया दे