अबकी होली
रंगों और खुशियों की
दही भल्ले और गुजियो कि
भागमभाग और हुड़दंगों कि
रंगों में रंगी होती है होली।
सबमे शामिल होकर भी
सबसे गाफिल होकर भी
मुस्कान वाले चेहरे लेकर भी
सबसे घिरे होकर भी
क़यू मौन है इनकी होली।
यूँ लगे कोई तिक्त दवाओं का असर हो।
या कोई गहरा जख्म हरा हो।
सोचा पूछ लूं तोड़ सारे शिष्टता के बंधन।
भर दूँ उनके जीवन मे भी कुछ रंग।
डर जाता हूं उनकी सहमी सी आंखों के सवालों से।
हिम्मत जबाब दे जाती है उनकी खामोशियों पे।
शायद टूट चुका है भरोसा सबसे।
या फिर नहीं उम्मीद कुछ जीवन से।
क्यूं ना एक कोशिस की जाए।
सबके जीवन मे होली के रंग भरी जाए।
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