प्यार लस्ट या निर्वाण

कहते हैं जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है।शुरू होती है एक बेपरवाह अल्हड़ बचपन से और लेकर जाती है प्रौढ़ता तक।ये…

4 वर्ष ago

अफवाह या हकीकत ?

अभी ऑफिस से घर पहुँचा ही था कि श्रीमती जी ने बताया उनके मायके से फ़ोन आया था।उनकी माताश्री ने…

4 वर्ष ago

लोककथा भाग 19

एक गरीब औरत थी | उसका एक बेटा था | जब वह बड़ा हुआ तो उसने अपनी माँ से कहा…

4 वर्ष ago

रहस्यमयी घड़े

जबतक मेरी पोस्टिंग पिथौरागढ़ के उस छोटे से चौकी पर थी वहां के कुछ अजीबोगरीब केस और कुछ अजीबोगरीब कहानियों…

4 वर्ष ago

लोककथा भाग 18

एक बाघ जंगल में रखे हुये शिकारी के पिंजरे में फंस गया और निकलने के लिये छटपटाने लगा. बहुत कोशिश…

4 वर्ष ago

लोककथा भाग 20

बहुत समय पहले की बात है | एक गाँव में दो भाई रहते थे | एक का नाम था धनपाल…

4 वर्ष ago

अंधेरे में एक चेहरा

एंग्लो इंडियन शिक्षक मिस्टर ऑलिवर एक बार शिमला हिलस्टेशन के बाहर बने अपने स्कूल के लिए देर रात लौट रहे…

4 वर्ष ago

सती मैया का चौरा 5

बारह बरस के बाद घूरे का भी भाग्य पलटता है। यही कहावत सती मैया के चौरे के विषय में चरितार्थ…

4 वर्ष ago

सती मैया का चौरा 4

यह गँवार, नीच जाति, चमार की बेटी क्या मन्ने के लिए एक चुल्लू पानी भी नहीं छोड़ेगी? कैसे मीठी छुरी…

4 वर्ष ago

सती मैया का चौरा 3

पढ़े फ़ारसी बेंचे तेल, देखो जी क़ुदरत का खेल! गाँव के हर आदमी की ज़बान पर यही फ़िक़रा था। जब…

4 वर्ष ago

पर्वत की घटना

“मेरी समझ में तो समस्या इससे गहरी है। आप उसे जिस रूप में देख रहे हैं, उतनी ही बात होती…

4 वर्ष ago

दारोगा अमीचन्द

यों तो जिस जेल की यह बात है उसका नाम मैं बता देता, पर मुश्किल यह है कि उसके साथ…

4 वर्ष ago

दुःख और तितलियाँ

1शेखर उस पहाड़ी से उतरता हुआ चला जा रहा था। उसके क़दम अपनी अभ्यस्त साधारण गति से पड़ रहे थे,…

4 वर्ष ago

गैंग्रीन

दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया…

4 वर्ष ago

खितीन बाबू

वो चेहरे। कौन-से चेहरे? कौन-सा चेहरा? जो जीवन-भर चेहरों की स्मृतियाँ संग्रह करता आया है, उसके लिए यह बहुत कठिन…

4 वर्ष ago

कोठरी की बात

मुझ पर किसी ने कभी दया नहीं की, किन्तु मैं बहुतों पर दया करती आयी हूँ। मेरे लिए कभी कोई…

4 वर्ष ago

कलाकार की मुक्ति

मैं कोई कहानी नहीं कहता। कहानी कहने का मन भी नहीं होता, और सच पूछो तो मुझे कहानी कहना आता…

4 वर्ष ago

एकाकी तारा

ऐसा भी सूर्यास्त कहाँ हुआ होगा... उस पहाड़ की आड़ में से सूर्य का थोड़ा-सा अंश दीख पड़ रहा है,…

4 वर्ष ago

आदम की डायरी

1मैं क्यों और कैसे बना?‘बनना’ क्या होता है, मैं जानता हूँ। क्योंकि यवा ने और मैंने मिलकर इस सुन्दर उद्यान…

4 वर्ष ago

अभिशापित

अंगारे लाल-लाल चमक रहे थे; किन्तु फिर भी छोटी-सी झोंपड़ी में बैठा हुआ व्यक्ति जाड़े से काँप रहा था। रात…

4 वर्ष ago

अलिखित कहानी

मैं अपनी गृहलक्ष्मी से लड़कर अपने पढ़ने के कमरे में आकर बैठा हुआ था और कुढ़ रहा था।लड़ाई मैंने नहीं…

4 वर्ष ago