घासवाली
मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखो में...
मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखो में...
अगर संसार में ऐसा प्राणी होता, जिसकी आँखें लोगों के हृदयों के भीतर घुस सकतीं, तो ऐसे बहुत कम स्त्री-पुरुष...
हेलन अभी कच्ची उमर की ही है। शीशे के सामने अठखेलियाँ करती नाच रही है। सड़क के आवारा छोकरों को...
’साहब मर गया जयंतराम ने बाजार से लाए हुए सौदे के साथ यह खबर लाकर दी। 'साहब- कौन साहब? 'वह...
उस दिन जब भगतजी की मौत हुई थी, तब हमने कहा था- भगतजी स्वर्गवासी हो गए। पर अभी मुझे मालूम...
दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोयजो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय तिनका कबहुँ...
रवि बहुत ही ज्यादा खुस था आज उसके पापा ने नए घर मे शिफ्ट होने का फैसला जो कर लिया...
रात होने से पहले गाँव के सभी मुसलमान, लगभग पचास लोग, मर्द, औरतें और बच्चे, गाँव के एक छोर पर...
आज कितने दिनों बाद तुम्हें खत लिखने का मौका मिल रहा है। सोचा था, बिनती के ब्याह के महीने-भर पहले...
'अबकी जाड़े में तुम्हारा ब्याह होगा तो आखिर हम लोग नयी-नयी चीज का इन्तजाम करें न। अब डॉक्टर हुए, अब...
अगर पुराने जमाने की नगर-देवता की और ग्राम-देवता की कल्पनाएँ आज भी मान्य होतीं तो मैं कहता कि इलाहाबाद का...
- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय पक्का दो कोस रास्ता पैदल चलकर स्कूल में पढ़ने जाया करता हूँ। मैं अकेला नहीं हूँ, दस-बारह...
भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी। भैया...
उस महाभव्य भवन की आठवीं मंजिल के जीने से सातवीं मंजिल के जीने की सूनी-सूनी सीढियों पर उतरते हुए, उस...
सर्दी की एक अँधेरी रात की बात है मैं अपने गर्म बिस्तर पर सर ढके गहरी नींद सो रहा था...
पात्र मोहनदास करमचंद गांधी, नाथूराम गोडसे, बावनदास (फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास 'मैला आँचल' का पात्र) सुषमा शर्मा (दिल्ली की...
पहला दृश्य प्रभात का समय। सूर्य की सुनहरी किरणें खेतों और वृक्षों पर पड़ रही हैं। वृक्षपुंजों में पक्षियों का...
मन्ने उठ खड़ा हुआ और तेज़-तेज़ क़दम रखता घर से बाहर हो गया। खाने-पीने के अलावा घरेलू ज़िन्दगी से मन्ने...
(अदन की वाटिका, तीसरे पहर का समय। एक बड़ा सांप अपना सिर फूलों की एक क्यारी में छिपाये हुए और...
कहते हैं जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है।शुरू होती है एक बेपरवाह अल्हड़ बचपन से और लेकर जाती है प्रौढ़ता तक।ये...
अभी ऑफिस से घर पहुँचा ही था कि श्रीमती जी ने बताया उनके मायके से फ़ोन आया था।उनकी माताश्री ने...